राजमहल स्वतंत्र सीट पर पहली बार मुस्लिम विधायक बने
राजमहल की स्वतंत्र सीट बनने के बाद, मोहम्मद ताजुद्दीन पहली बार मुस्लिम समुदाय से विधायक बने हैं। इससे पहले 2005 में अल्पसंख्यक समुदाय के थोमस हांसदा विधायक बने थे। राजमहल क्षेत्र में 1952 में पहले...
साहिबगंज। राजमहल स्वतंत्र सीट बनने के बाद पहली बार मुस्लिम समुदाय से मोहम्मद ताजुद्दीन विधायक बने। हालांकि 2005 में यहां से अल्पसंख्यक समुदाय के थोमस हांसदा कांग्रेस पार्टी के सिम्बल पर विधायक बने थे। वे ईसाई समुदाय से थे। दरअसल, अविभाजित बिहार में 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के समय राजमहल क्षेत्र दो सीटों में विभक्त था । राजमहल के नाम से दो विधायक चुने गए थे। एक सामान्य व दूसरा अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से थे। उस समय राजमहल स्वतंत्र सीट नहीं बना था। चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक सीट राजमहल दामिन व दूसरा राजमहल के नाम से जाना जाता था। उस चुनाव में बैलेट पेपर (मतपत्र)से मतदान हुआ, लेकिन मतपत्र पर प्रत्याशी के नाम के बदले सिर्फ चुनाव चिह्न अंकित था। पहले विधानसभा चुनाव में राजमहल दामिन सीट पर जेएचपी (झारखंड पार्टी) के जेठा किस्कू व इंडियन नेशनल कांग्रेस के बुधराय हेम्ब्रम के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। जेठा किस्कू को 17,314 एवं बुधराय हेम्ब्रम को 12997 वोट मिले। 4317 वोटों के अंतर से इस चुनाव में जेठा किस्कू की जीत हुई। कुल 74728 मतदाताओं में से 33114 यानी 44.31 फीसदी ने मतदाताओं ने अपने मताधिकार का आयोग किया। रिपोर्ट के मुताबिक इसी प्रकार राजमहल सामान्य सीट पर इंडियन नेशनल कांग्रेस के मो. बुहरानुद्दीन खान व केएमपीपी (किसान मजदूर प्रजा पार्टी) के नथमल डोकानिया के बीच सीधी टक्कर हुई। 5908 मतों के अंतर से मो. बुहरानुद्दीन चुनाव जीते। कुल 61014 में से 21481 यानी 35.21 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मो. बुहरानुद्दीन खान को 11,309 व नथमल डोकानिया को 5401 वोट मिले। इधर,पांच साल बाद 1957 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में राजमहल को स्वतंत्र सामान्य सीट घोषित कर दिया गया।
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