ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित होगा 1937 में निर्मित राजमहल थाना भवन
साहिबगंज में 1937 में निर्मित राजमहल थाना भवन को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाएगा। डीसी हेमंत सती की अध्यक्षता में हुई बैठक में पर्यटन स्थलों के विकास और प्रबंधन पर चर्चा हुई। नई योजनाओं...
साहिबगंज। 1937 में निर्मित राजमहल थाना भवन ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित होगा । यह निर्णय सोमवार को यहां समाहरणालय सभागार में डीसी हेमंत सती की अध्यक्षत में जिला स्तरीय पर्यटन संर्वधन परिषद (डीटीपीसी) की बैठक में लिया गया है। बैठक में जिले के पर्यटन स्थल, उनकी स्थिति, विकास की दिशा और पर्यटन से संबंधित पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। बैठक में पर्यटन स्थलों के प्रबंधन, सुविधाओं का सुधार और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नई योजनाओं पर विचार किया गया। पर्यटन विभाग की ओर से चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और परियोजनाओं की समीक्षा भी की गई। मौके पर स्थानीय पर्यटन स्थलों के विकास में समुदाय की भूमिका और स्थानीय संसाधनों के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया गया। डीसी ने साहिबगंज के ओझा टोली गंगा घाट और कन्हैया स्थान गंगा घाट, शुक्रवासनी को पर्यटन विभाग की ओर से अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया है। यह निर्णय क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने और गंगा घाटों के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को उजागर करने के उद्देश्य से लिया गया है। बिंदुवासिनी, बंगाकोच व रक्सी स्थान के सौंदर्यीकरण का निर्देश भी दिया। राजमहल गंगा भवन को झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को हस्तगत करने पर सहमति बनी। डीसी ने 1937 में निर्मित राजमहल थाना भवन को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को कहा। यह भवन न केवल ऐतिहासिक ही नहीं स्थापत्य कला और ऐतिहासिक घटनाओं से भी जुड़ा हुआ है। डीसी ने पर्यटन स्थलों पर पर्यटन प्रबंधन क्लब गठित करने का निर्देश दिया । इसका उद्देश्य पर्यटन स्थलों के बेहतर प्रबंधन, रखरखाव और पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाना है। ये क्लब स्थानीय प्रशासन, नागरिक समूहों और विशेषज्ञों के सहयोग से कार्य करेंगे। इसके अलावा, सभी पर्यटन स्थलों को जोड़कर टूरिज्म सर्किट विकसित करने और इसे सुगम बनाने के लिए टूरिस्ट वाहन सेवा शुरू करने का भी निर्देश दिया गया है। यह सर्किट पर्यटकों को एक संगठित यात्रा अनुभव प्रदान करेगा। इससे वे कम समय में सभी महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण कर सकें। शिवगादी धाम में अतिक्रमण हटाकर नजरी नक्शा के साथ 25 जनवरी तक प्रस्ताव देने को कहा। डीसी ने माघी मेला, हूल दिवस और सिदो-कान्हू के जन्मदिवस को राजकीय मेले के रूप में घोषित करने के लिए संबंधित विभाग को प्रस्ताव भेजने की बात कही। राजकीय मेले के रूप में घोषित होने पर इन आयोजनों में सरकारी सहयोग, बेहतर व्यवस्था और सुविधाओं का विस्तार होगा, जिससे बड़ी संख्या में लोग इन आयोजनों का हिस्सा बन सकेंगे। प्रशासन ने इस प्रस्ताव को शीघ्र कार्यान्वित करने का आश्वासन दिया है, ताकि इन ऐतिहासिक आयोजनों को नए रूप में मनाया जा सके।
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