सस्ता सामान खरीदने 245 साल पुराने धुपची मेले में पहुंचते हैं लोग
बरहड़वा के भीमपाड़ा गांव में धुपची मेला मकर संक्रांति के बाद शुरू हुआ है। पहले दिन ही हजारों की भीड़ उमड़ने लगी है। मेले में लकड़ी और लोहे के सामान की बिक्री के लिए दूर-दूर से कारीगर आए हैं। मेले को तीन...
बरहड़वा, प्रतिनिधि। मकर संक्रांति के बाद पहले रविवार को प्रखंड क्षेत्र के भीमपाड़ा गांव में आयोजित होने वाला धुपची मेला रविवार से विधिवत शुरू होगा। हालांकि मेले में शनिवार से ही हजारों की भीड़ उमड़ने लगी है। मेले में मुख्य रूप से लकड़ी व लोहे के सामान बेचने के लिए दूर-दराज से कारीगर पहुंचे हैं। इसबार भीड़ को देखते हुए एक दिवसीय मेले को तीन दिनों तक लगाने का निर्णय लिया गया है। तीन दिनों में करीब 40-50 लाख का कारोबार मेले में होने की उम्मीद है। दरअसल, शुरू में कुछ बीघा क्षेत्रफल में इस मेले को लगाया जाता था। साल-दर-साल मेले का दायरा बढ़ता चला गया। वर्तमान में करीब 100 बीघा जमीन पर धूपची मेला का आयोजन हुआ है। मेला कमेटी के अध्यक्ष देवाशीष सिंह ने बताया कि धुपची मेला 245 साल पुराना है। मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मेला परिसर में ही बने मंदिर में सूर्य की उपासना कर पूजा अर्चना करते हैं। मेले में लकड़ी व लोहा के सामान की जमकर बिक्री होती है। मेले में इस बार बेचने के लिए लकड़ी और लोहा का सामान काफी मात्रा में मेला में पहुंचा है। इनमें लकड़ी का पलंग, चौकी,टेबल मेज, कुर्सी सहित लकड़ी का फर्नीचर ,लोहा और पत्थरों के सामानों की जमकर बिक्री होती है। यह मेला गरीबों के बीच काफी प्रिय है। वजह है सस्ता से सस्ता लकड़ी और लोहा का सामान मेले में मिल जाता है। मेले में पश्चिम बंगाल से लकड़ी व लोहे के सामान बेचने वाले दुकानदारभारी काफी संख्या में आते हैं। मेले में दुकानदारों के द्वारा जितना सामान लाया जाता है ,सभी को बेचकर ही वे लौटते हैं।
फोटो 1, मेले में सजी लकड़ी के फर्नीचर।
मिठाई की भी खूब होती है बिक्री
मेले में आसपास गांव के लोग इस मेल से काफी मात्रा में मिठाई की खरीदारी करते है। रविवार को लोग सुबह-सुबह घर से निकलकर मेले में पहुंचकर सर्वप्रथम काफी मात्रा में मिठाई खरीद कर घर ले जाएंगे।
गोपालडिग्गी पोखर के पास रूकती है ट्रेन
धुपची मेला आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बरहड़वा-पाकुड़ रेलखंड के मोगलपाड़ा गांव के गोपालडिग्गी पोखर के पास पैसेंजर ट्रेन रुकती है। इससे ट्रेन में आने वाले श्रद्धालुओं को वहां उतर कर मेला आने में सुविधा होती है।
मेले में दूरदराज से पहुंचते हैं खरीदार
मेला में आए लोगों का कहना है कि लकड़ी के बनाए गए फर्नीचर व लोहा के समान का दाम इतना कम होता है कि फर्नीचर बनाने की मजदूरी पर फर्नीचर मिल जाता है। इस मेल में लकड़ी का फर्नीचर, लोहा और पत्थरों का सामान खरीदने के लिए पश्चिम बंगाल सहित गोड्डा, पाकुड़ जिला सहित अन्य लोग पहुंचकर सामान खरीद कर घर ले जाते हैं।
वाहनों की लम्बी से लगती है जाम
मेले के चलते बरहड़वा-पाकुड़ और बरहरवा-फरक्का सहित गांव के मुख्य पथ पर वाहनों की लम्बी कतार लग जाने से जाम लग जाता है। इससे लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है। खासकर बरहड़वा-पाकुड़ मुख्य पथ पर केंचुआ पुल से लेकर भीमपाड़ा गांव तक सड़क काफी सकरा होने से वाहनों की जाम लग जाती है ।
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