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प्रकृति से जुड़ी चीजें होती है छठ सूप में सजने वाली सामग्री

साहिबगंज में छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हुई। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित है, जिसमें महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत करती हैं। इस दौरान प्रकृति से प्राप्त फल-सब्जियों का उपयोग किया...

Newswrap हिन्दुस्तान, साहिबगंजMon, 4 Nov 2024 11:10 PM
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साहिबगंज। लोकआस्था का पर्व छठ लोगों की गहरी आस्था से जुड़ा है। यह प्रकृति से जुड़ाव वाला पर्व है। बिहार, झारखंड, यूपी आदि के लोगों के लिए इस पर्व का खास महत्व है। इसे लोक आस्था का महापर्व भी कहा जाता है। सालोंभर देश-परदेश में रहने वाले इन प्रांतों के लोग इस पर्व पर अपने घर जरुर लौटते हैं। यह संदेश होता है कि वे सालभर कहीं रहे लेकिन इस पर्व पर अपनी माटी, अपना गांव-शहर जरुर लौट आते हैं। दूसरी ओर इस महापर्व पर प्रसाद में इस्तेमाल होने वाली अधिकांश चीजें प्रकृति प्रदत होती हैं। चाहें बांस के सूप,दउरा हो या फिर सूप में सजाया जाने वाला विविध फल,प्रसाद सभी प्रकृति से मिलते हैं। सूप में नारियल, ढाब नींबू, आंवला, ईख, केला सहित कई प्रकार के फल, कद्दू-कदीमा, शकरकंद, सुथनी, पानीफल, खीरा, अमरूद, शरीफा, कच्चा हल्दी, अदरख, मूली सहित कई फल सभी प्रकृति से मिलते हैं। सूप में चढ़ने वाले अधिकांश फल-मूल में अपार औषधीयगुण मौजूद रहते हैं जो स्वास्थ के लिए अत्यंत लाभदायक होते हैं। सभी में भरपुर औषधीय गुण होने के कारण मौसम में बदलाव पर यह स्वास्थ हित में होते हैं।

कद्दू व आंवला से होता शरीर को कई औषधीय लाभ

नहाय-खास पर बनने वाले कद्दू के विविध व्यंजन औषधीय गुणों की खान है। कद्दू खाने से ब्लड सुगर, ब्लड प्रेशर में काफी लाभ होता है। इसमें खनिज, फाइबर, विटामिन सी, कैरोटीनॉयड आदि होते हैं जो त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं। इसमें मौजूद बीटा कैरोटीन सूजन कम करता है और त्वचा कैंसर रोकता है। आंवले में विटामिन सी की उच्च मात्रा होती है जो बालों के झड़ने को कम करने में मदद करती है। यह जड़ों को भी मजबूत करता है और बालों का रंग बनाए रखता है। आंवला के जीवाणुरोधी गुण रूसी से लड़ने में मदद करते हैं। आंवला एक बेहतरीन तनाव निवारक है जो नींद लाने और सिरदर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। गन्ने के रस में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है, इससे शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर में हमेशा सुधार होता है, संक्रमणों को रोकता है, मूत्रवर्धक व पाचन क्रिया ठीक करता है। नारियल का पानी हल्का, प्यास बुझाने वाला, अग्निप्रदीपक, वीर्यवर्धक तथा मूत्ररोग में उपयोगी होता है। हल्दी मेटाबॉलिज्म तेज करती है क्योंकि इसमें विटामिन बी, सी, ओमेगा-3, पोटैशियम और आयरन पाया जाता है। इसमें एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। अन्य सामग्री भी सेहत के लिए लाभदायक होते हैं।

पर्व-त्योहार पर जो भी फल-मूल प्रयुक्त होता है सब में कई प्रकार की औषधीय गुण होते हैं। इनका सेवन करने से कई प्रकार के रोगों में लाभ मिलता है। नियमित रूप से इन फल, सब्जी आदि का सेवन करने से कई गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।

डॉ. मोहन मुर्मू, चिकित्सा पदाधिकारी,साहिबगंज सदर अस्पताल

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कोई बीमारी से मुक्ति तो कोई खुशहाली को कर रही छठ

साहिबगंज। नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व मंगलवार से शुरू हो रहा है। इसे लेकर व्रती महिलाओं ने सोमवार को गंगा स्नान कर घरों को शुद्धिकरण किया । छठ महापर्व पर

शुद्धता व पर्व के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है।

चूंकि पूरे झारखंड में सिर्फ साहिबगंज जिला से होकर ही गंगा बहती है। लिहाजा जिले के ग्रामीण इलाकों के अलावा गोड्डा व पाकुड़ जिलों से भी काफी संख्या में व्रती गंगा स्नान करने पहुंचे थे। गंगा स्नान करने पहुंच कोई व्रती पति या बच्चों के बीमार रहने पर छठ शुरू की तो किसी ने घर-परिवार में खुशहाली के लिए सालों से छठ करने की बात कही। इधर,व्रतियों ने गंगा स्नान कर शुद्ध होने के बाद घाट पर ही पूजा अर्चना की। अहले सुबह से दोपहर तक यहां के गंगा घाटों पर स्नान के लिए व्रती व श्रद्धालूओं की भीड़ बनी रही है।

फोटो 5 और 6, साहिबगंज के बिजली घाट पर गंगा स्नान कर पूजा करती महिला।

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बांझी रक्सो की अनिता देवी ने कहा कि बच्चा हमेशा बीमार रहता था। घर में खुशहाली नहीं थी। किसी छठ करने की सलाह दी। छठ करने के बाद न केवल घर में खुशहाली लौटी,बल्कि बच्चा भी स्वस्थ रहने लगा। बीते 12-13 सालों से वह छठ कर रही हैं।

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साहिबगंज के पुरानी साहिबगंज नयाटोला (बायसी स्थान)की भारती देवी छठ कर रही हैं। मन्नत पूरा होने पर पहले सास मीरा देवी ने छठ की। अब बहू उनकी जगह छठ कर रही हैं। छठ करने से घर में शांति व खुशखाली बना रहता है।

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गोड्डा जिले के ललमटिया से यहां गंगा स्नान करने पहुंची रीना देवी ने बताया कि वह बीते चार साल से छठ कर रही हैं। बच्चा के स्वस्थ्य के खातिर के उसने छठ करना शुरू किया। छठ करने से मन में काफी शांति मिलती है। परिवार में भी खुशहाली रहती है।

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गोड्डा जिले के महगामा से यहां गंगा स्नान करने पहुंची रूना देवी ने कहा कि बच्चा बार-बार मर जाता था। बीते 10-12 साल से छठ कर रही है। अब सबकुछ ठीक है। परिवार में शांति है। छठ मईया के प्रति उनको काफी आस्था है।

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नहाय खाय के साथ आज से शुरू होगा छठ महापर्व

साहिबगंज। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू होगा। छठ महापर्व पांच से लेकर आठ नवंबर तक मनाया जाएगा। यह पर्व भगवान सूर्य व छठी मैया को समर्पित है। संतान के कल्याण, पारिवारिक खुशहाली और सुख समृद्धि की कामना से छठ पर महिलाएं करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत करती हैं। यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें लंबे समय तक निर्जला रहना होता है। छठ का पहला अनुष्ठान मंगलवार को नहाय खाय यानि कद्दू भात से शुरू हो जायेगा। इस दिन व्रती पवित्र नदी-तालाब में स्नान पूजन करने के बाद शुद्ध-सात्विक तरीके से भोजन बना कर सबसे पहले छठी मईया को भोग लगा कर फिर व्रती उसे ग्रहण करेंगे। इसके बाद अन्य सदस्य व प्रियजन कद्दू भात प्रसाद लेंगे।

फोटो 4, गंगा स्नान के बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती महिलाएं।

छठ पर कद्दू के भाव आसमान पर

साहिबगंज। छठ पर्व पर कद्दू भात का खास महत्व होने से स्थानीय स्तर पर इसकी डिमांड बढ़ गई है। आम दिनों में 25-30 रुपयो में बिकने वाला कद्दू सोमवार को 60-100 रुपये प्रति पीस पर पहुंच गया। छठ के कद्दू भात को लेकर मंडी में काफी मात्रा में कद्दू मंगाया गया है। इसके बाद भी इसके भाव बहुत अधिक हैं। स्थानीय मंडी में कद्दू पश्चिम बंगाल, बिहार के अलावा जिला के विभिन्न इलाकों से आता है। हालांकि इस बार अधिक समय तक गंगा में बाढ़ रहने व कुछ दिन पहले आये बारिश व तूफान के चलते कद्दू की फसल के नुकसान की बात बताते कम उपजने की बात कह कर दाम बढ़ा दिया गया है। जबकि सोमवार को भी स्थानीय सब्जी मंडी में बहुत संख्या में यह बिकने आया था। मंगलवार को भी इसके भाव तेज रहने की पूरी संभावना है।

फोटो 3 और 17, छठ को लेकर साहिबगंज में कद्दू खरीदते लोग।

कद्दू भात पर बनेगा विविध व्यंजन

नहाय खाय से शुरू होने वाले छठ महापर्व के दिन कई प्रकार के व्यंजन बनेंगे । इसमें कद्दू मुख्य रूप से रहेगा। इस दिन अरवा चावल, चना दाल, कद्दू के विविध व्यंजन के अलावा अन्य कई प्रकार की सब्जियां आदि भी बनाये जायेंगे। कद्दू भात पर भोजन तैयार होने पर व्रती भगवान को भोग लगाने के बाद खायेंगे। उसके बाद फिर अन्य लोग कद्दू भात ग्रहण करेंगे।

छठ पूजा कैलेंडर:

05 नवंबर, मंगलवार- नहाय खाय

06 नवंबर, बुधवार-खरना

07 नवंबर, गुरुवार- संध्या अर्घ्य

08 नवंबर, शुक्रवार- उषा अर्घ्य

मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी पर बनता है प्रसाद

साहिबगंज। छठ पर्व के दौरान बनाया गया प्रसाद होता है। छठ का प्रसाद शुद्ध व सात्विक तरीके से बनाया जाता है। प्रसाद हमेशा मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। मान्यता है कि छठ का प्रसाद सिर्फ उसी चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर ही बनाया जाता है जिसे पहले कभी भी खाना बनाने के लिए इस्तेमाल न किया गया हो। मान्यता है कि नए चूल्हे पर बनाया गया प्रसाद छठी मैया को अधिक प्रिय होता है। मिट्टी के चूल्हे का उपयोग प्रकृति से हमारे जुड़ाव को दर्शाता है। यह हमें हमारे पूर्वजों के सरल जीवन और प्रकृति के साथ उनके संबंध की याद दिलाता है। मिट्टी के चूल्हे पर पकाया गया भोजन अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के अलावा स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।

फोटो 9, आम की लकड़ी बेचती महिलाएं।

फोटो 2, साहिबगंज गंगा घाट पर मिट्टी के चूल्हा खरीदती महिलाएं।

क्या कहती हैं व्रती:

फोटो 24

बीस साल से छठ पर्व पूरी नेम निष्ठा से करती आई है। इस व्रत की कृपा उनके परिवार पर हमेशा बनी है। इस व्रत को नियमपूवर्क पवित्रता से करने से छठी मईया सारी मनोकामना पूरी करती हैं।

प्रेमलता देवी, सकरुगढ़

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छठ मईया की कृपा से सात साल से इसे निष्ठापूवर्क कर रहे हैं। पर्व को लेकर शुद्धता व पवित्रता का विशेष ख्याल रखा जाता है। पर्व को लेकर समूचे परिवार में खुशी का माहौल होता है और सभी सहयोग देते हैं।

सुनीता देवी, मिर्जाचौकी

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करीब 40 साल से छठ कर रहे हैं। इसे उनकी सासु मां ने उन्हें सौंपा है। अब उम्र अधिक होने के बाद पुत्रवधु को पर्व सौंप देंगे। अभी जब तक है करना है। छठ मईया की महिमा से उनका परिवार फलफुल रहा है।

मीरा सिंह, बड़ी कोदरजन्ना

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20 साल से लगातार छठ करते आये हैं। इस व्रत को करने से काफी खुशी व सुख मिलता है। परिवारजनों के सुख,शांति, समृद्धि के लिए करते हैं। इस पर्व पर पवित्रता रखना जरुरी है। बहुत ही महिमा है इसकी।

शनिचरी देवी,भगैया

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