बोरियो सीट नहीं बचा सके लोबिन हेम्ब्रम
लोबिन हेम्ब्रम ने भाजपा के टिकट पर पहली बार बोरियो सुरक्षित सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन धनंजय सोरेन से 19273 वोटों के अंतर से हार गए। लोबिन पहले से ही पांच बार विधायक रह चुके थे। भाजपा ने...
बोरियो सीट नहीं बचा सके लोबिन हेम्ब्रम साहिबगंज। लोबिन हेम्ब्रम भाजपा के टिकट पर पहली बार बोरियो सुरक्षित सीट से विधानसभा चुनाव लड़े। हालांकि जीत हासिल नहीं कर सके। उन्हें राजनीति में अपेक्षाकृत नए धनंजय सोरेन ने 19273 वोटों के अंतर से हरा दिये। इससे पहले लोबिन इसबार लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़े थे। लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके थे। दरअसल, बोरियो सुरक्षित सीट से लोबिन हेम्ब्रम ने पहली बार 1990 में विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे। वे पांच बार बोरियो सीट से विधायक रहे। 1995 का विधानसभा चुनाव लोबिन निर्दलीय जीते। लोकसभा चुनाव के बाद लोबिन हेम्ब्रम को भाजपा में शामिल कराने के पीछे पार्टी की मंशा उनके माध्यम से आगामी विधानसभा चुनाव में साहिबगंज व पाकुड़ जिले के चार ट्राइबल सीटों को साधने की थी। ये सीट बोरियो,बरहेट, महेशपुर व लिट्टीपाड़ा है । लेकिन इसबार चुनाव में इनमें से एक भी सीट पर कमल नहीं खिल सका। जिले के छह में से छह सीटों पर महागठबंधन की जीत हुई ।
छह सीटों पर सफल नहीं हुआ बांग्लादेशी घुसपैठिए का मुद्दा
साहिबगंज। भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठिए एवं रोटी , बेटी , माटी को मुद्दा बनाकर इस बार राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ी। यह मुद्दा खासतौर पर संताल परगना क्षेत्र से ही उठा। इस नारे के जरिए भाजपा संताल क्षेत्र में डेमोग्राफी में हुए बदलाव व बांग्लादेशी घुसपैठिए की बढ़ती संख्या को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया। भाजपा के तमाम स्टार प्रचार अपने चुनावी सभा में इसे जमकर उठाया। हालांकि भाजपा के चुनावी नैया को पार लगाने में यह मुद्दा सफल नहीं रहा। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना था कि झामुमो समेत इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने राजमहल लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले छह विधानसभा सीट पर भाजपा के इस मुद्दे का रणनीति के तहत काट किया। नतीजा यह रहा है कि लोकसभा क्षेत्र के छह में से छह सीट इंडिया गठबंधन की झोली में चली गई। पांच सीट झामुमो व एक सीट कांग्रेस जीतने में कामयाब रही। छह सीटों के रिजल्ट को देखने से एक बात साफ हो जाती है कि भाजपा की ओर से उठाए गए इस मुद्दे के जवाब में झामुमो व कांग्रेस ने एक तरफ अल्पसंख्यक वोटरों को न केवल अपने पक्ष में मजबूती से गोलबंद किया, बल्कि रणनीति बनाकर हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण होने नहीं से रोक दिया। इससे भाजपा को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा। भाजपा के पूर्व प्रदेश महासचिव कमलकृष्ण भगत ने कहा कि झारखंड में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा भ्रष्टाचार,कुशाशन,लचर कानून व्यवस्था,कोयला, बालू,पत्थर की लूट था,न की बांग्लादेशी घुसपैठ। घुसपैठ की समस्या केवल पाकुड़, साहिबगंज व थोड़ा बहुत गोड्डा व दुमका जिलों की है। उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रदेश स्तरीय कुछ नेताओं ने घुसपैठ को ही इस चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाने की भूल की। प्रतिक्रिया में मुस्लिम,मतदाता और अधिक धुर्वीकृत हो गये। भाजपा के विरोध में मिशन की भी बड़ी भूमिका रही ।
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