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ठीक हो चुके बेटे को साथ रखने में मां के साथ पत्नी ने भी मुंह फेरा

सीआईपी से निकलने के बाद मरीज मतेन्द्र साथ में पीएलवी पत्नी ने सीआईपी से नाम कटवाया, लेकिन साथ रखने को तैयार नहीं इकलौती संतान को भी मां साथ नहीं रखना चाहती डालसा ने सीआईपी से निकलवाने में निभाई...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीThu, 25 June 2020 11:18 PM
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मां, अब मैं पूरी तरह से ठीक हो गया हूं। डॉक्टर से बात कर मुझे यहां (सीआईपी) से ले चलो। मैं अब यहां रहना नहीं चाहता हूं, लेकिन मां का दिल इकलौती संतान की आवाज सुनकर भी नहीं पसीजा। अब तो उसकी मां ने फोन उठाना ही बंद कर दिया है। जी हां, रातू का रहनेवाला मतेन्द्र कुमार झा (नाम बदला हुआ) को तीन फरवरी 2020 को कांके स्थित केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान(सीआईपी) में मानसिक इलाज के लिए उसकी पत्नी ने भर्ती करवाया था। लगभग चार महीने के इलाज के बाद वह पूरी तरह से ठीक हो गया, लेकिन सीआईपी से न तो मां ले जाने को तैयारी हुई, न ही उसकी पत्नी। जब इसकी सूचना झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस एचसी मिश्रा को प्राप्त हुई तो तत्काल डालसा रांची के अध्यक्ष नवनीत कुमार को ठीक हो चुके मरीज को उसके परिवार तक पहुंचाने का निर्देश दिया। इसके बाद डालसा सचिव अभिषेक कुमार ने पीएलवी शंपा दास और प्रीति पाल को सीआईपी जाकर मरीज का पूरा विवरण लेने को कहा। दोनों ने 10 जून 2020 को सीआईपी जाकर वहां के डॉक्टर से मुलाकात की और मरीज का हाल जाना। साथ ही मरीज से बातचीत की। बातचीत में ही उसने घर जाने की इच्छा व्यक्त की। न मां न ही पत्नी साथ रखने को तैयार हुई पीएलवी शंपा दास ने डॉक्टर से नंबर लेकर उसकी मां से बात की और बेटे को ले जाने को कहा गया। इस पर बोकारो में रह रही मां ने कहा कि मेरी बहू ने बेटे को भर्ती करवाया है। बहू डिस्चार्ज करवा देगी तो मैं रख लूंगीं। इसके बाद नामकुम में अपने बच्चों के साथ रह रही मतेन्द्र की पत्नी से बात की। उसने अपने पति को साथ रखने से इनकार कर दिया। जब उसकी काउंसिलिंग की गयी तो सीआईपी से डिस्चार्ज कराने को तैयार हुई, लेकिन साथ रखने को नहीं। इसकी जानकारी उसकी मां को दी गयी। उसने एक सप्ताह का समय मांगा, लेकिन एक सप्ताह बाद उसकी मां ने फोन उठाना ही बंद कर दिया। दोबारा उसकी पत्नी की काउंसिंलिग की गयी। तब जाकर साथ नहीं दूसरे मकान में रखने के साथ खर्चा उठाने को भी तैयार हुई। 23 जून को सीआईपी से डिस्चार्ज कराया जा सका। इसमें बेंगलुरु में रहने वाले दोस्त ने भी सहयोग किया। आर्थिक स्थिति बेहतर मतेन्द्र फिलहाल बेरोजगार है, लेकिन उसके स्व. पिता सरकारी नौकरी ग्रेड-2 से अवकाश प्राप्त थे। उसकी मां को फैमिली पेंशन मिलती है। साथ ही उसके पिता ने बेटे के नाम मोटी रकम फिक्स डिपोजिट कर रखी है। पत्नी नौकरी करती है। जब मतेन्द्र को परिवार की जरूरत है तो उनके अपने भी उनका साथ नहीं दे रहे हैं।

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