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मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार

रांची में इस वर्ष वसंत पंचमी 03 फरवरी को मनाई जाएगी। एक हजार से अधिक स्थानों पर मां शारदा की पूजा की जाएगी। मूर्तिकार विशेष रूप से तितली और डॉल थीम पर मूर्तियाँ बना रहे हैं। प्राकृतिक रंगों से सजाई गई...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 31 Jan 2025 03:15 AM
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मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार

रांची, संवाददाता। हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष, वसंत पंचमी 03 फरवरी को है। शिक्षण संस्थान, हॉस्टल समेत सार्वजनिक स्थानों पर पूजा की तैयारी तेज हो गई है। रांची जिले में एक हजार से अधिक स्थानों पर सार्वजनिक रूप से मूर्ति स्थापित कर मां शारदे की पूजा-अर्चना की जाएगी। कुम्हार व कलाकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस बार सरस्वती पूजा पर मां अलग-अलग रूप में दर्शन देंगी। मूर्तिकार डॉल और तितली थीम पर 13 फीट तक की ऊंची प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं। कीमत पांच सौ से एक लाख रुपए तक है। मूर्तिकार अजय पाल ने बताया कि वह थ्री डी पेटिंग के साथ इंदौर से मंगाए चटकदार रंगों से काफी आकर्षक मूर्ति बना रहे हैं। ये रंग मूर्ति को मनमोहक, खूबसूरत और जीवंत बना रहे हैं। ये प्राकृतिक रंग मूर्तियों पर लगभग बीस दिनों तक रहेंगे। बताया कि इस वर्ष तितली के रूप में भी मां की प्रतिमा बना रहे हैं। कहा, तितलियों से वसंत ऋतु का संदेश लोगों मिल जाता था, लेकिन अब तितलियां विलुप्त होती जा रही हैं। इन्हें बचाने का संदेश देने के लिए ही मां के इस रूप में प्रतिमा बनाई जा रही है।

शहर में कई पूजा समिति द्वारा पंडाल में श्रीकृष्ण लीला को भी दिखाया जाएगा। कहीं, मां का स्वरूप सीधे समुद्र से निकलते हुए और परियों के रूप में भी दिखाई देगा। तो कुछ जगह मां स्वर्ग से आशीष देती दिखेंगी।

मांग के अनुसार निर्माण

मांग के अनुसार इसबार गोल्डन रंग में अंजता आर्ट में भी मूर्तियां बनाई जा रही हैं। साथ ही, पारंपिक साड़ी- सिल्क, बनारसी, शिफॉन और गर्द का प्रयोग किया जा रहा है। प्रतिमा बनाने में बलुई और चिकनी मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए बंगाल के विभिन्न प्रांतों से मिट्टी रांची लाई गई है। मूर्ति को सजाने में धान और प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग किया जा रहा है।

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