Hindi Newsझारखंड न्यूज़रांचीThree to five percent beneficiaries in Ranchi are not filling cylinders again

रांची में तीन से पांच प्रतिशत लाभुक फिर से नहीं भरा रहे हैं सिलिंडर

रसोई गैस की कीमत में बढ़ोत्तरी का असर उज्जवला योजना के लाभुकों पर, रांची में तीन से पांच प्रतिशत लाभुक फिर से गैस सिलिंडर नहीं भरा रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीTue, 23 Feb 2021 03:20 AM
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राजू प्रसाद

रांची। रांची में रसोई गैस की कीमत में बढ़ोत्तरी का असर उज्जवला गैस योजना पर दिखने लगा है। प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना के लाभुक कीमत में वृद्धि के बाद अब सिलिंडर रिफिलिंग नहीं करा रहे हैं। ऐसे लाभुक बढ़ती महंगाई को लेकर अब फिर से रसोई तैयार करने में सिलिंडर के बजाय पारम्परिक उर्जा स्रोत लकड़ी एवं कोयला चूल्हा के अलावा बिजली चलित हीटर का प्रयोग करने लगे हैं। इनमें रांची के ग्रामीण इलाके के लाभुक ज्यादा हैं। उज्जवला योजना का लाभ दिलाने वाली विभिन्न तेल कंपनी के अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि रांची में इस योजना से जुड़े कुल लाभुको में से तीन से पांच प्रतिशत लाभुक सिलिंडर को फिर से नहीं भरा रहे हैं।

सिलिंडर की कीमत बढ़ी, सब्सिडी घटी

एलपीजी सिलिंडर की कीमत एक साल के अंदर बढ़ी है और इसपर मिलने वाली सब्सिडी घटी है। पिछले साल फरवरी माह में घरेलू सिलिंडर की कीमत 776 रुपए और इसपर सब्सिडी 158 रुपए थी। इस साल फरवरी माह में सिलिंडर की कीमत 826 रुपए और सब्सिडी 40 रुपए है। सिलिंडर की कीमत में बढ़ोत्तरी और सब्सिडी घटने की वजह से भी लाभुक रिफिलिंग नहीं करा रहे हैं।

रांची में 1.61 लाख से अधिक हैं लाभुक

रांची में उज्जवला योजना के लाभुकों की संख्या एक लाख 61 हजार 926 है। इनमें से 73 हजार दो सौ लाभुक आइओएल के, 65077 लाभुक बीपीसी और 23649 लाभुक एचपीसी से जुड़े हुए हैं। जिन्हें रांची के शहरी और ग्रामीण इलाके में स्थित विभिन्न तेल कंपनी की 65 गैस एजेंसी के जरिए योजना का लाभ मिला था। इनमें से तीन से पांच प्रतिशत लाभुक सिलिंडर को फिर से नहीं भरा रहे हैं। सिलिंडर नहीं भराने वालों में रांची के ग्रामीण क्षेत्र के लाभुकों की संख्या सबसे ज्यादा है।

स्वस्थ परिवार को लेकर चलायी गयी थी उज्जवला योजना

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी उज्जवला योजना का उद्देश्य समाज के नीचे तबके के वैसे लोगों और अभावग्रस्त परिवार को स्वस्थ रखने, धुआं वाले चूल्हे से कई तरह की बीमारी से परेशान गृहणियों को प्रदूषणरहित वातावरण में रसोई तैयार करने के लिए आदर्श ईंधन उपलब्ध कराना था। इसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए नि:शुल्क भरा हुआ गैस सिलिंडर, पाइप, रेगुलेटर और चूल्हा उपलब्ध कराया जा रहा था। लाभुकों को बाद सिलिंडर भराने पर सामान्य उपभोक्ताओं की तरह उनके बैंक खाते में सब्सिडी के पैसे भेजे जा रहे थे। पिछले एक साल से यह योजना बंद है।

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