खूंटी जिले के अस्पतालों में फायर सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी, मरीजों की सुरक्षा दांव पर
खूंटी जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा को लेकर गंभीर लापरवाही पाई गई है। फायर एक्सटिंग्विशर की कमी और फायर अलार्म सिस्टम की अनुपस्थिति के कारण मरीजों की सुरक्षा खतरे में है। फायर...

खूंटी, संवाददाता। खूंटी जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में आग से सुरक्षा को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। फायर सेफ्टी के नाम पर केवल दीवारों पर फायर एक्सटिंग्विशर टांग कर खानापूर्ति की जा रही है। न तो अस्पतालों में फायर अलार्म सिस्टम मौजूद है और न ही नियमित फायर ऑडिट कराया जाता है। अधिकांश फायर एक्सटिंग्विशर या तो एक्सपायर हो चुके हैं या फिर उनकी जांच नहीं कराई जाती, जिससे आपातकालीन स्थिति में इनकी कार्यक्षमता पर संदेह बना रहता है। फायर सेफ्टी वीक के दौरान भी नहीं हुआ कोई कार्यक्रम:
राज्य सरकार के निर्देश पर 21 से 26 अप्रैल तक फायर सेफ्टी वीक मनाया गया, लेकिन खूंटी के सदर अस्पताल सहित किसी भी अस्पताल में इस अवधि में कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया, जबकि संबंधित विभाग द्वारा इस संबंध में पत्र भी भेजा गया था। सरकारी आदेश की अनदेखी कर मरीजों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया है।
सदर अस्पताल में न्यूनतम इंतजाम, राहत भी सीमित:
खूंटी सदर अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड, एमसीएच, आईसीयू और एसएनसीयू वार्ड में लगभग 100 मरीज भर्ती रहते हैं। इन मरीजों की आग से सुरक्षा के लिए केवल 20 फायर एक्सटिंग्विशर लगाए गए हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि यहां लगे फायर एक्सटिंग्विशर की वैधता अक्टूबर 2025 तक है और उनकी नियमित जांच भी की जा रही है। अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट, ओपीडी, एक्स-रे, सीटी स्कैन, लैब और प्रशासनिक कार्यालयों में भी अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं।
फायर अलार्म और पानी की टंकी का नहीं है प्रबंध:
सदर अस्पताल में अब तक फायर अलार्म सिस्टम नहीं लगाया गया है। आग लगने की स्थिति में पानी की टंकी जैसी कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी मौजूद नहीं है। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि जल्द ही पानी की एक अतिरिक्त टंकी लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।
बिजली के तारों का रखरखाव बेहतर:
सदर अस्पताल की इमारत में बिजली के तारों का प्रबंधन सही तरीके से किया गया है। कहीं भी ढीले या खुले तार नजर नहीं आते, जिससे शॉर्ट सर्किट से आग लगने का खतरा कम हो गया है। वर्ष 2023 में तैयार हुए फेब्रिकेटेड इमरजेंसी वार्ड में वायरिंग कार्य भी गुणवत्ता के मानकों का ध्यान रखते हुए किया गया है।
अस्पताल परिसर में लगा है अग्निशमन यंत्र : परिजन
अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों सोमा पूर्ति, किशुन मुंडा, रीना देवी, भादो प्रधान और संजय कंडीर ने बताया कि अस्पताल परिसर में अग्निशमन यंत्र लगे होने से सुरक्षा की भावना बनी रहती है। मरीजों ने यह भी कहा कि अस्पताल में सुरक्षित निकासी के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हैं। हालांकि उन्होंने बेहतर फायर सेफ्टी इंतजाम की भी मांग की ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में व्यापक सुरक्षा मिल सके।
फायर एनओसी की अनुपलब्धता बनी बड़ी चिंता:
खूंटी जिले के किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल ने अभी तक फायर एनओसी (नॉन-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) प्राप्त नहीं किया है। फायर एनओसी का अभाव अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के प्रति गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। इसके अलावा, अग्निशमन यंत्रों की नियमित जांच और समय पर प्रतिस्थापन जैसी प्रक्रियाओं पर भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
जल्द सुधार की है आवश्यकता:
जिले में मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द अस्पतालों और क्लीनिकों में फायर अलार्म सिस्टम, पानी के टैंक, अग्नि सुरक्षा मॉक ड्रिल और फायर एनओसी की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही, अस्पताल प्रबंधन को नियमित फायर ऑडिट कराना अनिवार्य बनाना चाहिए, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में जानमाल की क्षति को रोका जा सके।
सदर अस्पताल के इमेरजेंसी वार्ड, एमसीएच, आईसीयू, एसएनसीयू, ओपीडी सहित सभी स्थानों में अग्नि से सुरक्षा के लिए फायर एक्सटिंग्विशर लगे हैं। इसकी नियमित जांच भी की जाती है। सदर अस्पताल के लिए 100 बेड का नया भवन तैयार किया जा रहा है। जल्द ही यह भवन तैयार हो जायेगा उस भवन में फायर सेफ्टी के सभी संसाधन उपलब्ध रहेंगे। फायर अलार्म, आग भुझाने के सभी उपाय उसमे रहेंगे। फायर एनओसी के साथ नया भवन में आग से सुरक्षा के सभी प्रबंध होंगे। सदर अस्पताल के साथ साथ सभी सीएचसी, पीएचसी, आयुष्मान आरोग्य मंदिर में भी आग से बचाव के साधन उपलब्ध है।
डॉ नागेश्वर माझी, सिविल सर्जन।
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