नए सत्र में छात्रों की उपस्थिति पर विशेष फोकस
रांची के सरकारी स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत हो गई है। छात्रों की उपस्थिति और उनके समग्र विकास के लिए 10 प्वाइंट तय किए गए हैं। जिला शिक्षा अधीक्षक ने प्राचार्यों को विशेष दिशा-निर्देश दिए हैं कि...

रांची, वरीय संवाददाता। रांची के सरकारी स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत हो गई है। इसबार स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति सहित उनके ओवरऑल डेवलपमेंट को लेकर कई विशेष प्रयास शुरू किए जाएंगे। इसके लिए पहली से आठवीं तक के स्कूलों में छात्रों के साथ स्कूल विकास को लेकर जिला शिक्षा विभाग ने 10 प्वाइंट तय किए हैं। इसके अनुपालन के लिए स्कूल के प्राचार्यों को जिला शिक्षा अधीक्षक ने गाइडलाइन भी दिया है। इसमें छात्रों की उपस्थिति पर विशेष जोर दिया गया है। जिला शिक्षा अधीक्षक बादल राज ने कहा कि निजी स्कूलों की तर्ज पर स्कूलों में नए नामांकित छात्रों का उन्मुखीकरण किया जाना है। छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाने को लेकर लगातार गतिविधियों का आयोजन किया जाना है। स्कूल में छात्रों की उपस्थित शत प्रतिशत हो, यह तय किया जाना है। इसके लिए कक्षा तीन व उससे उपर के छात्रों की उपस्थिति वर्ग शिक्षक के मार्गदर्शन और निगरानी में छात्रों के द्वारा ही चक्रवात पद्धति से पंजी में कराना है। उपस्थिति कराने पर पंजी की फोटो व उपस्थिति प्रक्रिया का वीडियो जिला स्तरीय प्रधानाध्यापक कार्यालय को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। प्राचार्यों को यह भी निर्देश दिया गया है कि जिन छात्रों की उपस्थिति लगातार नहीं हो रही है, उनके लिए वे विशेष रूप से जिम्मेदार रहें और उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए प्रयास करें।
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान
स्कूलों को पत्र लिखकर कहा गया है कि नए सत्र को बिल्कुल नए अंदाज में शुरू करना है। डीएसई ने कहा कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना हमसब की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ सामान्य रूप से पठन-पाठन से अलग अब स्कूल के विकास पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए स्कूल प्रबंध समिति और विद्यालय की प्रशासनिक क्षमता को भी विकसित करना होगा।
तय किए गए 10 बिंदु
छात्रों के सर्वांगीण विकास का प्रयास, छात्रों का उन्मुखीकरण, आतिमविश्वास को सुदृढ़ करना, नेतृत्व क्षमता का विकास करना, अनुपस्थित छात्रों के प्रति अधिक जिम्मेदारी विकसित करना, छात्रों का सशक्तिकरण, विद्यालय प्रबंध समिति की समझ, विद्यालय प्रशासनिक क्षमता का विकास, समाज के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना और विद्यालय के प्रति आत्मिक लगाव विकसित करना।
कोट
प्रयास है कि छात्रों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए स्कूलों को दिशानिर्देश दिए गए हैं। उपस्थिति बढ़े और अनुपस्थित होनेवाले छात्रों के प्रति शिक्षक अधिक जिम्मेदार बनें, यह निर्देश दिया गया है।
- बादल राज, डीएसई रांची
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