मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं को रद्द करे केंद्र सरकार : यूनियन
संसद से पारित की गई श्रम संहिताओं का विरोध, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं स्वतंत्र फेडरेशन के संयुक्त मंच ने मनाया काला दिवस
रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। केंद्र सरकार द्वारा संसद से पारित की गई श्रम संहिताओं के विरोध में राजधानी में सोमवार को काला दिवस मनाया गया। इस दौरान एक मजदूर मार्च निकाला गया। यह कार्यक्रम 22 सितंबर, 2020 के संदर्भ में आयोजित किया गया था, जब विपक्ष की अनुपस्थिति में संसद में तीन श्रम संहिताओं को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किया गया था। इसके विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के समर्थन से देशव्यापी काला दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। इस दौरान मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं को रद्द करने तथा कॉरपोरेट घरानों के इशारे पर बनाई जा रही जनविरोधी नीतियों को बदलने की मांग की गई।
यूनियन का आरोप है कि इस संहिता को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष भवन सिंह ने की। इस दौरान एक्टू, इंटक, बेफी, सीटू से जुड़े लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कोल्हान ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच की ओर से विश्वजीत देब ने बताया कि जन मुद्दों की मांग पर भी केंद्र सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। देश का मजदूर वर्ग इससे काफी हैरान है। वह खुद को वंचित महसूस कर रहा है। इस अवसर पर ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से रांची उपायुक्त की अनुपस्थिति में एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) राजेश्वर नाथ आलोक को प्रधानमंत्री और केंद्रीय श्रम मंत्री को संबोधित दो ज्ञापन सौंपे गए।
ज्ञापन के माध्यम से रखी गईं ये मांगें
- चारों श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए।
- श्रमिकों के लिए 26,000 रुपए प्रति माह का राष्ट्रीय मासिक न्यूनतम वेतन घोषित किया जाए।
- ईपीएस योजना के तहत सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 10,000 रुपए की न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित हो।
- एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को निरस्त करें तथा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करें।
- बारहमासी कार्यों को ठेके पर देने और निश्चित अवधि रोजगार योजनाओं पर रोक लगे।
- अनियमित और आकस्मिक पदों पर सामूहिक नियुक्तियों पर रोक लगे।
- श्रमिकों को समान कार्य के लिए समान वेतन का लाभ मिले।
- असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन सहित व्यापक सामाजिक सुरक्षा मिले।
- आंगनबाड़ी, आशा, सहिया, मिड डे मील जैसी स्कीम के वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी के रूप में मान्यता मिले।
- गिग वर्कर्स के लिए कानूनी और सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिले।
- निर्माण श्रमिकों को ईएसआई कवरेज, पंजीकृत सभी श्रमिकों को स्वास्थ्य योजनाओं, मातृत्व लाभ, जीवन और विकलांगता बीमा का कवरेज सुनिश्चित करना शामिल है।
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