बदइंतजामी का दंश झेल रही हैं गर्भवती महिलाएं
गरीब और निम्न मध्यम परिवार से जुड़ी महिलाएं बदइंतजामी का दंश झेल रही हैं। दर्जनों गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए इन दिनों रांची के मेन रोड स्थित सदर...
रांची। वरीय संवाददाता
गरीब और निम्न मध्यम परिवार से जुड़ी महिलाएं बदइंतजामी का दंश झेल रही हैं। दर्जनों गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए इन दिनों रांची के मेन रोड स्थित सदर अस्पताल पहुंच रही हैं। ये वे महिलाएं हैं, जो रांची और आसपास के ग्रामीण इलाके से नियमित जांच और परामर्श के लिए अस्पताल पहुंचती हैं।
सदर अस्पताल के ओपीडी में पुख्ता इंतजाम नहीं होने की वजह से महिलाएं घंटों कतार में खड़ी रहती हैं। इनमें से कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जो शरीर से कमजोर होती हैं। इन महिलाओं के बैठने के लिए न तो कुर्सी है और न ही टेबुल। वे घंटों फर्श पर ही बैठकर अपनी पारी का इंतजार करती हैं। कोरोनाकाल चल रहा है। संक्रमण का भी भय उन्हें सताता रहता है। इसके बावजूद मजबूरी में वे घंटों लाइन में लगी रहती हैं। कई बार तो महिलाएं बिना इलाज के ही घर लौट जाती हैं।
अल्ट्रा साउंड और एक्सरे के लिए लगती है कतार
गर्भवती महिलाओं को एक्सरे और अल्ट्रासाउंड कराने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। कई बार तो महिलाएं बिना अल्ट्रासाउंड कराए ही लौट जाती हैं।
निजी अस्पताल में लगता है ज्यादा पैसा
तुपुदाना की रहने वाली चालो देवी ने बताया कि उनके पति मजदूरी का काम करते हैं। निजी अस्पताल में इलाज में काफी पैसा लगता है। इस वजह से वे सदर अस्पताल में ही अपना इलाज करा रही हैं। अस्पताल आने का मतलब कि दिनभर खत्म हो जाता है। वे कहती हैं कि यहां आने वाली तकरीबन सभी महिला के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए वे सदर अस्पताल में ही अपना इलाज कराना चाहती हैं।
दो डॉक्टर ही देखते हैं मरीज
सदर अस्पताल में हर दिन एक सौ से ज्यादा गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। ये रांची के शहरी क्षेत्र के अलावा चान्हो, मांडर, ओरमांझी, नामकुम, तुपुदाना समेत अन्य इलाकों की रहती हैं। इन महिलाओं का चेकअप करने के लिए ओपीडी में सिर्फ दो डॉक्टर ही प्रतिनियुक्त हैं। इस वजह से सुबह से शाम तक ओपीडी में महिलाओं की कतार लगी रहती है।
पर्याप्त डॉक्टर हैं अस्पताल में : सिविल सर्जन
रांची सिविल सर्जन डॉ बीबी प्रसाद का कहना है कि सदर अस्पताल में गायनी विभाग में डॉक्टर पर्याप्त हैं। सर्जरी, ओपीडी समेत अन्य विभागों में डॉक्टर प्रतिनियुक्त हैं। उनकी संख्या तकरीब 12 से 14 हैं। प्रतिदिन डॉक्टर अस्पताल में बैठते हैं। जहां तक लाइन लगने की बात है तो एक-एक मरीज को देखने में समय तो लगता है।
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