11 अपराधियों को एक साथ छापेमारी कर पुलिस ने किया था गिरफ्तार
लॉ यूनिवर्सिटी की छात्रा से गैंगरेप की वारदात के अगले दिन 27 नवंबर की शाम को बाइक के नंबर से पुलिस ने अनुसंधान शुरू किया। पुलिस की टीम ने छात्रा को अपने साथ एक बंद कार में संग्रामपुर ले गई। जिस स्थान...
लॉ यूनिवर्सिटी की छात्रा से गैंगरेप की वारदात के अगले दिन 27 नवंबर की शाम को बाइक के नंबर से पुलिस ने अनुसंधान शुरू किया। पुलिस की टीम ने छात्रा को अपने साथ एक बंद कार में संग्रामपुर ले गई। जिस स्थान से उसे अगवा किया गया था और जहां पर गैंगरेप की वारदात हुई थी। दोनों स्थलों की छात्रा ने पहचान की। छात्रा ने पुलिस को बाइक का अपराधियों के बाइक का नंबर दिया। यह भी बताया कि काला व सफेद रंग की स्पोर्टस बाइक थी। गुप्तचरों की मदद से पुलिस पहले पता लगायी कि बाइक किसकी है। जानकारी मिलने के बाद 28 नवंबर की भोर तीन बजे पुलिस की टीम संग्रामपुर को घेर लिया। सुबह सात बजे पुलिस की टीम ने बाइक मालिक रोहित के घर पर छापेमारी की। पूरे परिवार को पुलिस की टीम ने अपने कब्जे में लिया और रोहित से पूछताछ शुरू की। उसने अन्य अपराधियों का नाम बताना शुरू किया। नाम मिलने के बाद पुलिस की टीम अलग-अलग भाग में बंट गई। एक साथ गांव के डेढ़ दर्जन घरों पर टीम ने छापेमारी की। 18 लोगों को हिरासत में लिया गया। इसमें अपराधी सुनील मुंडा के घर से पुलिस को हथियार के साथ छात्रा से लूटा हुआ मोबाइल भी बरामद किया गया। सभी को सीधे कांके थाना लाया गया।
निर्दोंषों के बारे में खुद ही बताया
गैंगरेप की वारदात को 12 अपराधियों ने अंजाम दिया था। लेकिन पुलिस 18 लोगों को हिरासत में ली थी। पूछताछ के दौरान जो घटना में शामिल नहीं थे, उनके बारे में वह खुद ही बता रहे थे। उनके बताने के बाद पुलिस उन्हें छोड़ दी थी।
दो दिन से नहीं थे घर पर
गैंगरेप की वारदात को अंजाम देने के बाद सारे अपराधी अपना घर छोड़कर दूसरी जगह पर शरण ले ली थी। इस दौरान यह पता भी लगा रही थी कि गैंगरेप का कोई एफआईआर तो नहीं हुआ है। जब उन्हें इस बात का यकीन हो गया कि थाना में कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। तब सारे आरोपी 28 नंवंबर की सुबह अपने-अपने घर गए थे।
20 पुलिसकर्मियों ने किया केस का उदभेदन
लॉ यूनिवर्सिटी की छात्रा से गैंगरेप की घटना का उदभेदन के लिए रांची पुलिस ने टीम बनाकर काम किया था। 20 पुलिसकर्मियों की टीम थी। इस टीम में डीएसपी से लेकर आरक्षी तक को शामिल किया गया था। ग्रामीण एसपी ऋषभ झा टीम का नेतृत्व कर रहे थे। टीम में मुख्यालय डीएसपी नीरज कुमार, कांके थानेदार विनय कुमार, पिठोरिया थानेदार के अलावा प्रशिक्षु दारोगा शेखर, श्रवण, रामेश्वर, बारी, संतोष, नीतिश, सुहागी सोरेन, एएसआई बलिंदर आदि को शामिल किया गया।
ये महत्वपूर्ण साक्ष्य जो कोर्ट में किए गए प्रस्तुत
घटना के अगले दिन छात्रा का मेडिकल जांच कराया, जिसमें गैंगरेप होने की पुष्टि हुई।
घटना के वक्त अपराधियों का मोबाइल लोकेशन निकाला, जिसमें सारे अपराधियों का मोबाइल लोकेशन घटना स्थल पर ही मिला।
अपराधियों का डीएनए से छात्रा के कपड़े में लगे स्वाब की जांच करायी गई, एफएसएल की रिपोर्ट में मिलान हुआ।
संग्रामपुर के एक क्लिनिक में लगे सीसीटीवी फुटेज निकाला, जिसमें अपराधी छात्रा को ले जाते हुए दिखे।
जेल में छात्रा से गैंगरेप के आरोपियों की पहचान करायी
दरिंदो को सजा दिलाने की ठान ली थी छात्रा ने
गैंगरेप की शिकार छात्रा ने यह प्रण कर लिया था कि घटना को अंजाम देने वालों को वह सजा दिलाकर ही दम लेगी। घटना होने के बाद उसने हिम्मत नहीं हारी। इसका खुलकर मुकाबला किया। घटना के अगले दिन कांके थाना पहुंची और जो घटना उसके साथ घटी थी, उसकी पूरी जानकारी पुलिस को दी। उसने अगवा करने के दौरान जिस बाइक से उसे अपराधी ले गए थे, उसका भी नंबर और अपना मोबाइल फोन छिनने की भी पुलिस को जानकारी दी थी। केस के अनुसंधान में भी छात्रा ने पुलिस को पूरा सहयोग किया। पुलिस जब भी उसे बुलाती थी, तब वह थाने पहुंचती और पूरी मदद भी करती थी। उसने पुलिस से कहा था कि एेसे दरिंदे अगर जेल से बाहर रहेंगे तो और कई लड़कियों को वह अपने हवस का शिकार बनाएंगे। इसलिए इन्हें हर हाल में सजा दिलाना है। जब पुलिस ने उसे टीआईपी कराने के लिए जेल बुलाया। अपराधियों को उसके सामने प्रस्तुत किया, तब भी वह डरी नहीं। सभी आरोपियों की पहचान की। पुलिस भी यह मानती है कि अगर पीड़िता का सहयोग उन्हें नहीं मिलता तो शायद वे साक्ष्य जुटा नहीं सकते।
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