फादर दिलीप संजय एक्का ने पोप और पीएम मोदी के बीच हुए संवाद का किया था अनुवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में पोप फ्रांसिस से मुलाकात की। जेसुईट सोसाइटी के फादर अजीत खेस ने बताया कि इस मुलाकात का अनुवाद फादर दिलीप संजय एक्का ने किया। पोप ने भारत के प्रति अपने लगाव के कारण...

रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष-2023 में पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी। उस मुलाकात से जुड़े अनछुए पहलुओं को जेसुईट सोसाइटी के प्रोविंसियल फादर अजीत खेस ने साझा की। बताया कि वर्ष 2023 में पीएम नरेंद्र मोदी जब पोप फ्रांसिस से मिले थे, तब पोप और प्रधानमंत्री के बीच हो रहे संवाद का अनुवाद झारखंड व जेसुईट सोसाइटी के फादर दिलीप संजय एक्का ने किया था। पोप के संदेश को वह हिन्दी में प्रधानमंत्री को बताते थे और प्रधानमंत्री के कहे शब्दों को इटालियन-अंग्रेजी में पोप को बताते थे। प्रोटोकॉल के तहत पीएम के लिए 20 मिनट मुलाकात का समय निर्धारित था। लेकिन, भारत के प्रति लगाव के कारण पोप ने 40-45 मिनट का समय निकालकर प्रधानमंत्री से बातचीत की।
जेनरल कांगीग्रेशन जेनरल के चुनाव में पहली बार मिले थे पोप से
फादर अजीत खेस ने बताया कि पोप फ्रांसिस से पहली बार उनकी मुलाकात वर्ष 2016 में जेसुईट सोसाइटी के जेनरल कांगीग्रेशन के जेनरल चुनाव के दौरान हुई थी। इसमें 282 प्रतिनिधि पूरे विश्व से शामिल हुए थे। यह पहला मौका था कि पोप हमलोगों से मिलने के लिए रोम आए। जबकि, सामान्य रूप से पोप से मिलने के लिए वेटिकन जाना होता था, लेकिन वे खुद आए और लोगों को संबोधित किया। वे खुद जेसुईट सोसाइटी के थे और उनका जीवन संत इग्नासियुस के जीवन पर आधारित था। कहा, मेरी पहली मुलाकात में ऐसा अनुभव हुआ कि मैं ईश्वर के किसी करीबी से मिल रहा हूं। पोप फ्रांसिस को अंग्रेजी-इटालियन के अलावा विश्व की कई भाषाओं का ज्ञान था।
पोप के मुख्य संदेश व कार्य बिंदू-रहस्य
- जीवन मानवता और प्रेम के लिए समर्पित रहा।
- करुणा, दया, क्षमा, प्रेम की गहराई को लोगों में बांटा।
- कहा- सारी दुनिया घर है और हम सभी परिवार हैं।
- पोप किसी को दोषी नहीं ठहराते थे, वे क्षमाशील व्यक्ति थे।
- अपनी बात रखने में चूकते नहीं थे, उनका मत था कि मेरी ओर से दुनिया अच्छा बनाने में जो भी करना होगा करेंगे।
- युद्ध रोके जाने चाहिए, यह मानवता को नष्ट करता है।
- रिफ्यूजियों को शरण देने की जरूरत है।
- मदर अर्थ को बचाना है, पर्यावरण की क्षति होने से बचाना है, प्रकृति में ईश्वर बसे हैं।
- दुनिया में जो घटना घटित हो रही है, हमें आशावादी रहना है और एक साथ चलना है।
- पोप का विचार था, कि चर्च तक लोग नहीं आए, बल्कि चर्च लोगों के बीच जाए।
- जब तक शाम में आपके जूता-चप्पल और पैर गंदे नहीं हुए होते हैं, तो समझें कि आपने कार्य नहीं किया।
- पोप वेटिकन के महल में नहीं, बल्कि परिसर में मौजूद संत मरिया ग्रेस्ट रूम में रहते थे।
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