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बोले रांची : सेवानिवृत्ति की उम्र 65हो और उसका लाभ भी मिले

झारखंड के लगभग 62 हजार पारा शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया है। उन्होंने सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 65 वर्ष करने, 20 लाख रुपए की अनुग्रह राशि, और वेतनमान बढ़ाने की मांग की है। साथ ही, पारा...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीWed, 26 Feb 2025 05:28 PM
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बोले रांची : सेवानिवृत्ति की उम्र 65हो और उसका लाभ भी मिले

रांची, संवाददाता। राज्य के करीब 62 हजार पारा शिक्षक (सहायक प्राध्यापक) लंबे समय से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन करते रहते हैं। इसके बाद भी पारा शिक्षकों की कई मांगें अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में पारा शिक्षकों ने अपनी मांगों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी सेविका सहायिका की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 62 वर्ष की गई है, पर हम शिक्षक हैं, इसलिए हमारी सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 65 वर्ष करने पर सरकार को विचार करना चाहिए। पारा शिक्षक सेवानिवृत्ति के बाद या किसी साथी की मौत होने पर 20 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं, जिससे उनके परिवार की आगे की जिंदगी का गुजारा हो सके। वहीं, पारा शिक्षकों ने आंगनबाड़ी सेविका सहायिका की तर्ज पर सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा बढ़ाने की मांग की है। पारा शिक्षकों ने बताया कि उन्हें सेवानिवृति के बाद किसी तरह का लाभ नहीं दिया जाता। अंतिम महीने की सैलरी के अलावा कोई अन्य लाभ नहीं दिया जाता। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में पारा शिक्षकों ने कहा कि हमलोग लंबे समय से वेतनमान लागू करने की मांग कर रहे हैं।

पारा शिक्षक बड़ी संख्या में सहायक आचार्य नियुक्ति के साथ-साथ सभी पारा शिक्षकों के लिए वेतनमान चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सहायक आचार्य की नियुक्ति में पारा शिक्षकों को प्राथमिकता दे। साथ ही अन्य पारा शिक्षकों के लिए भी बिहार की तर्ज पर वेतनमान लागू करे। उनका कहना है कि सरकार योग्यता के आधार पर मानदेय का भुगतान नहीं करती है। ऐसे में सरकार को योग्यता के आधार पर पारा शिक्षकों के वेतनमान का भुगतान करना चाहिए।

पारा शिक्षकों ने बताया कि राज्य के करीब दस हजार प्राथमिक स्कूल, जिसे अभियान स्कूल भी कहा जाता है, योजनाओं को पूरा करने में इन स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होती है। इसके अलावा कई बार अन्य पारा शिक्षकों को स्कूल के समय में ही प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के पास जाना पड़ता है। ऐसे में वो बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए, जिससे अन्य कार्यों के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो।

हर साल चार प्रतिशत मानदेय में बढ़ोतरी की मांग : राज्य के पारा शिक्षक हर साल चार प्रतिशत मानदेय में बढ़ोतरी चाहते हैं। पारा शिक्षक सरकारी शिक्षक की तर्ज पर इसमें बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। पारा शिक्षकों ने कहा कि उनके मानदेय में वृद्धि वर्तमान मानदेय के आधार पर हो। उन्हें जो भी वृद्धि दी जाती है, वो छह साल पहले के मानदेय के आधार पर दिया जा रहा है। इसके अलावा पारा शिक्षकों ने कहा कि सरकार से समझौता हुआ था कि उनके मानदेय में एक हजार रुपए की बढ़ोतरी की जाएगी। अक्तूबर 2024 में इस शर्त पर उनका आंदोलन समाप्त हुआ था। पर, इस समझौते पर अबतक सरकार ने अमल नहीं किया है।

टेट पास मानदेय में विसंगतियों को दूर करने की मांग : पारा शिक्षकों को टेट उर्तीण के आधार पर मानदेय का भुगतान किया जाता है। एक से पांच तक के टेट पास शिक्षकों को 21700 रुपए का भुगतान किया जाता है। वहीं, कक्षा छह से आठ तक के लिए टेट पास पारा शिक्षकों को 23400 रुपए का भुगतान किया जाता है। पारा शिक्षकों के अनुसार, इसमें विसंगतियां हैं, जिसे दूर करने की जरूरत है। शिक्षकों ने बताया कि जो कक्षा छह से आठ तक के लिए पास हैं, उन्हें टेट की पांचवीं कक्षा तक का वेतनमान दिया जा रहा है, जबकि वो मिडिल स्कूल में पढ़ाते हैं, ऐसे में उनका 1680 रुपए तक का अंतर पाया जाता है।

पारा शिक्षकों के लिए कल्याण कोष के गठन की मांग : पारा शिक्षकों ने कल्याण कोष के गठन की मांग की है। इसके लिए कल्याण कोष के गठन का वादा भी सरकार ने किया था, पर अबतक नहीं हुआ है। पारा शिक्षकों ने कहा कि कल्याण कोष का गठन हो जिससे पारा शिक्षकों के बच्चों की शादी, उनकी पढ़ाई, पारा शिक्षकों के किसी प्रकार के अनहोनी होने सहित अन्य जरूरी कामों में इसका इस्तेमाल हो सके पारा शिक्षकों को कहीं और हांथ नहीं पसारना पड़े।

बायोमीट्रिक अटेंडेंस के लिए खरीदना पड़ता है स्कैनर

पारा शिक्षकों ने बताया कि उन्हें बायोमीट्रिक अटेंडेंट बनाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बायोमैट्रिक अटेंडेंट बनाने के लिए उन्हें खुद का स्कैनर खरीदना पड़ता है। कई बार वो खराब हो जाता है, जिस कारण उन्हें बार-बार स्कैनर खरीदना पड़ता है। साथ ही मोबाइल भी बेहतर रखना पड़ता है और इंटरनेट भी खुद के पैसे से ही रिचार्ज कराना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि कई बार अल्प मानदेय होने के कारण पारा शिक्षक खरीदने में खुद को असमर्थ बताते हैं। उन्होंने बताया कि स्कूलों में आईसीटी लैब स्थापित तो कर दी गई है, पर वहां न तो इंटरनेट की व्यवस्था है और न ही कंप्यूटर शिक्षक बहाल किए गए हैं।

हजार पारा शिक्षकों को नहीं मिला सर्टिफिकेट :पारा शिक्षकों ने बताया कि जैक ने पारा शिक्षकों के लिए आकलन परीक्षा का आयोजन किया था। जून 2024 में परीक्षा का आयोजन हुआ था, जिसमें 45 हजार के करीब पारा शिक्षकों ने भाग लिया था। इसमें 32 हजार से अधिक पारा शिक्षक सफल हुए थे। रिजल्ट तो निकला पर पारा शिक्षकों को आकलन परीक्षा में पास होने का सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है। पारा शिक्षक सर्टिफिकेट की मांग कर रहे हैं।

10 हजार प्राथमिक स्कूल पारा शिक्षकों के भरोसे

पारा शिक्षकों ने बताया कि राज्य के करीब दस हजार प्राथमिक स्कूल जिसे अभियान स्कूल भी कहा जाता है, वे पारा शिक्षकों के भरोसे ही हैं। कई बार पारा शिक्षकों के जिम्मे कई सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन होता है। शिक्षकों की कमी के कारण प्राथमिक स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो जाती है।

एबसेंटी पर हेडमास्टर का हो हस्ताक्षर

पारा शिक्षकों ने मांग की है कि उनकी अनुपस्थिति पर सिर्फ उनके स्कूलों के हेडमास्टर का ही हस्ताक्षर हो। वर्तमान में स्कूल प्रबंधन समिति का हस्ताक्षर लगता है। ऐसे में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार पार शिक्षकों को अनुपस्थिति में हस्ताक्षर के लिए मुखिया के पास जाना होता है। पारा शिक्षकों को हर बार स्कूल छोड़कर प्रबंधन समिति के लोग और मुखिया के पास चक्कर लगाना पड़ता है।

अनुकंपा का लाभ पारा शिक्षकों को मिले

पारा शिक्षक काफी लंबे समय से अनुकंपा के आधार पर आश्रितों को नौकरी देने की मांग कर रहे हैं। पारा शिक्षकों ने कहा कि अनुकंपा नियमावली को पारा शिक्षकों के लिए शिथिलता बरतनी चाहिए। कई पारा शिक्षकों की असामयिक मौत हो गई, सरकार की ओर से उनके लिए कोई विशेष योजना नहीं है।

जिस कारण उनके परिवार पर पहाड़ टूट जाता है बच्चों की पढ़ाइयां रूक जाती है कई बार उनके बेटियों की शादी पर भी आफत आ जाती है।

शिक्षकों पर हुए केस वापस लें

पारा शिक्षकों ने रघुवर सरकार के समय उनपर हुए केस को वापस लेने की मांग की है। पारा शिक्षकों ने बताया कि 15 नवंबर 2018 को करीब तीन सौ पारा शिक्षकों पर केस किया था। उन्हें जेल में भी रहना पड़ा था। इनमें से कुछ पारा शिक्षक चार दिसंबर को जेल से बाहर आए थे, वहीं कुछ और पारा शिक्षक दस दिसंबर 2018 को वापस आए थे। बता दें कि पारा शिक्षक झारखंड के स्थापना दिवस कार्यक्रम के दिन विरोध प्रदर्शन के लिए पहुंचे थे। उनपर उस दिन लाठी चार्ज भी हुई थी। पारा शिक्षकों ने पूर्व सरकार वाले केस को वापस लेने की मांग की है। कहा कि सरकार इस दिशा में तुरंत पहल करे।

बढ़े हुए मानदेय का भुगतान हो

वेतनमान काम की अपेक्षा काफी कम है। सहायक आचार्य में नियुक्ति के साथ तमाम सहायक अध्यापक को भी वेतनमान मिले। सरकार की तरफ से मिलने वाली अनुंकपा का लाभ भी जल्द मिलना चाहिए। शिक्षकों को भी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले। सेवानिवृत्त सभी पारा शिक्षको को भी पेंशन का लाभ मिले।

-ऋषिकेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष

सहायक आचार्य की नियुक्ति जल्द से जल्द होनी चाहिए। वहीं, टेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों को टेट आधारित उच्चतम मानदेय का भुगतान किया जाए। समझौता हुए मानदेय पर बढ़ोतरी राशि एक हजार रुपए का जल्द से जल्द भुगतान किया जाना चाहिए। समान काम का सामान वेतन मिलें। -मीणा कुमारी, प्रदेश अध्यक्ष महिला मोर्चा

सहायक आचार्य शिक्षकों की नियुक्ति की जाए

सहायक अध्यापक और पारा शिक्षकों को बिहार की तर्ज पर योग्यता के अनुसार मानदेय दिया जाए। 20 वर्ष से कार्य अनुभव के अनुसार समान कार्य के बदले समान वेतनमान भी मिलें। -अनूप कुमार

सभी टेट पास पारा शिक्षकों को उनकी योग्यता के आधार पर उच्चतम मानदेय का भुगतान किया जाना चाहिए। रिटायरमेंट या मृत होने पर न्यूनतम दस लाख तक एकमुश्त राशि का भुगतान हो। -बेलाल अहमद

सहायक आचार्य की नियुक्ति में स्वच्छता प्रमाण पत्र एक तरह के ही दिए जाएं। पूर्व में जितनी भी शिक्षक नियुक्ति हुई है, उसमें पहले एक ही तरह के प्रमाण पत्र दिए गए थे, उसी तरह मिले। -राजीव शुक्ला

सभी विद्यालयों में कंप्यूटर की सुविधा दी गई है। लेकिन, कहीं पर भी इसे सिखाने के लिए शिक्षक नहीं हैं। इस कारण सभी कंप्यूटर ऐसे ही पड़े हुए हैं। यहां नए शिक्षक नियुक्त होने चाहिए। -प्रतिमा कुमारी

शिक्षक कहीं भी आते-जाते हैं, कई बार आकस्मिक निधन जैसी घटना घट जाए। इसके लिए से किसी भी तरह की मुआवजा राशि का प्रवाधान नही है। सरकार को जल्द लागू करना चाहिए। -अजय कुमार साहू

चुनाव के समय पारा शिक्षक भी चुनावी कार्य करते हैं। जिस तरह सरकार की ओर से सभी सरकारी शिक्षकों को लाभ मिलता है, ठीक उसी तरह हम पारा शिक्षकों को भी लाभ दिया जाए। -अतुल कुमार

पारा शिक्षक से सहायक शिक्षक का दर्जा तो मिल गया। सरकार ने अभी तक एक हजार वेतनमान बढ़ोतरी को लागू नहीं किया है। जबकि, अन्य राज्यों में इसका लाभ मिल रहा है। -संजय दूबे

पारा शिक्षकों को किसी भी तरह की कोई सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती है। लेकिन, हमारे काम के हिसाब से हमें किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं दिया जाता है। -भागवत तिवारी

23 साल से झारखंड में कार्यरत सहायक शिक्षकों को बिहार राज्य की तर्ज पर जेटेट और सीटेट में आकलन पास के आधार पर सभी सहायक अध्यापकों को वेतनमान दिया जाए। -निरंजन डे

पारा शिक्षकों की नियमावली में संशोधन किया जाना चाहिए। बीस वर्षों से काम कर रहे सभी शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिले। हमें भी सभी प्रकार की सरकारी सुविधाओं का लाभ भी मिले। -अरुण सिंह

पारा शिक्षकों ने मांग की है की सरकार की ओर से समझौते हुए मानदेय में एक हजार की बढ़ोतरी राशि को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए, जो कई महीनों से हमें नहीं दिया गया है। -प्रमोद कुमार

सरकार की ओर से सभी स्कूली बच्चों का आपार आईडी बनाने को कहा गया है। लेकिन, इस अपार आईडी को बनाने में कई तकनीकी समस्या आती है। इसे जल्द से जल्द ठीक किया जाए। -रामेश्वर महतो

समस्याएं और सुझाव

1. सिर्फ फाइलों में ही उलझा रहा अनुकंपा में परिजनों को नौकरी देने का वादा

2. पारा शिक्षकों को योग्यता के आधार पर नहीं मिलता है सरकार से मानदेय

3. अल्प मानदेय में करनी पड़ती है सरकार की सभी योजनाओं को कार्यान्वयन

4. पारा शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद नहीं मिलता किसी तरह का कोई लाभ

5. सहायक आचार्य भर्ती के लिए एक तरह का अनुभव प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा

1. अनुकंपा नियमावली में पारा शिक्षकों के लिए शिथिलता लाकर आश्रितों को लाभ मिले

2. बिहार की तर्ज पर हर कैटेगरी के आधार पर पारा शिक्षकों को मानदेय मिले

3. वर्तमान में महंगाई को ध्यान में रखते हुए मानदेय में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो

4. सेवानिवृत्ति या मृत होने पर न्यूनतम दस लाख तक एकमुश्त राशि का भुगतान हो

5. सहायक आचार्य भर्ती के लिए टेट के दोनों स्तर पर स्वच्छता अनुभव प्रमाण पत्र दिया जाए

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