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बोले रांची: विशेष शिक्षकों पर बोझ ज्यादा, हो नई नियुक्तियां

झारखंड में 52000 से अधिक दिव्यांग बच्चे सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं। समावेशी शिक्षा के तहत केवल 478 रिसोर्स शिक्षक हैं, जबकि 8 से 10 विशेष बच्चों के लिए एक विशेष शिक्षक की...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीMon, 10 March 2025 05:13 AM
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बोले रांची: विशेष शिक्षकों पर बोझ ज्यादा, हो नई नियुक्तियां

संवाददाता, रांची। पूरे राज्य में 52000 से अधिक दिव्यांग बच्चे सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं। इनके शिक्षण एवं प्रशिक्षण के लिए समग्र शिक्षा के तहत संचालित समावेशी शिक्षा के अंतर्गत वर्तमान में मात्र 478 रिसोर्स शिक्षक हैं। प्रखंडों में कहीं एक तो कहीं दो संविदा एवं बाह्य सोर्स के आधार पर कार्यरत हैं। रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया आरसीआई के अनुसार 8 से 10 विशेष बच्चों पर एकविशेष शिक्षक जरूरी होते हैं, जो वर्तमान में सैंकड़ों बच्चों पर एक हैं। इस कारण खानापूर्ति हो रही है। शारीरिक और मानसिक रूप से सामान्य बच्चों की तुलना में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सोचने, समझने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होती है। ऐसे बच्चों के लिए विशेष शिक्षकों का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये शिक्षक न केवल उनके शैक्षिक विकास में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने और देश के विकास में योगदान करने के लिए भी तैयार करते हैं।

हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में विशेष शिक्षकों ने कहा कि झारखंड शिक्षा परियोजना के तहत, समग्र शिक्षा के अंतर्गत समावेशी शिक्षा का संचालन किया जाता है। इसके तहत प्रत्येक प्रखंड में विशेष शिक्षक के रूप में दो रिसोर्स शिक्षक और फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट और ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट के पद सृजित हैं। पहले, प्रत्येक प्रखंड संसाधन केंद्र में चार केयरगिवर कार्यरत थे, जो गांव स्तर पर बच्चों की पहचान करते थे और रिसोर्स शिक्षकों और थेरेपिस्टों द्वारा बताए गए कार्यों का बच्चों के साथ नियमित अभ्यास कराते थे। लेकिन, पिछले 10 वर्षों से केयरगिवर के पद समाप्त कर दिए गए हैं और इन पदों पर दोबारा नियुक्ति की आवश्यकता है। राज्य के नि:शक्तता आयुक्त का पद पिछले चार वर्षों से रिक्त है। यह कार्यालय दिव्यांगजनों के लिए नीति निर्धारण और नीति निर्धारण का कार्य करता है।

स्पेशल बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए नियुक्ति जरूरी:

स्पेशल बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विद्यालय स्तर पर विशेष शिक्षक की नियुक्ति जरूरी है। इससे सभी विद्यालय स्तर पर ही बच्चों का आधार कार्ड दिव्यांगता प्रमाण पत्र यू आई डी कार्ड प्रमाण पत्र तैयार करना तैयार प्रमाण पत्र के आधार पर सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन राशि रेलवे पास प्रतिदिन स्कूल आने के लिए ले जाने वाले व्यक्ति के प्रोत्साहन हेतु एस्कॉर्ट ट्रांसपोर्ट और रीडर की व्यवस्था सुलभ हो सके। साथ ही उनके विकास कार्य में भी मदद मिलेगी। उच्च शिक्षा के लिए भी तैयार किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि विशेष शिक्षक सबसे पहले इन बच्चों की पहचान करते हैं और उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं का आकलन करते हैं। वे बच्चों की सीखने की शैली, उनकी ताकत और कमजोरियों को समझते हैं और फिर एक व्यक्तिगत शिक्षा योजना बनाते हैं। यह योजना बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुसार सीखने और बढ़ने में मदद करती है। बौद्धिक रूप से अक्षम बच्चों के लिए, विशेष शिक्षक विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं, जैसे कि बैकवर्ड चेनिंग, फॉरवर्ड चेनिंग, मैचिंग, सॉर्टिंग और पहचान। ये तकनीक बच्चों को बुनियादी कौशल विकसित करने में मदद करती है। जैसे कि वस्तुओं की पहचान करना, निर्देशों का पालन करना और पैसे का प्रबंधन करना। विशेष शिक्षक बच्चों को दैनिक जीवन के कौशल भी सिखाते हैं, जैसे कि शौचालय का उपयोग करना, खुद को साफ रखना और भोजन करना।

दृष्टिबाधित बच्चों के लिए, विशेष शिक्षक ओरिएंटेशन और गतिशीलता प्रशिक्षण प्रदान करते हैं और उन्हें ब्रेललिपि सिखाते हैं। श्रवण बाधित और मूक बधिर बच्चों के लिए विशेष शिक्षक साइन लैंग्वेज सिखाते हैं, जो उन्हें संवाद करने में मदद करती है। ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों के लिए विशेष शिक्षक संवेदी उत्तेजना और चिकित्सा का उपयोग करते हैं, ताकि उन्हें ध्यान केंद्रित करने और दैनिक जीवन के कार्यों को करने में मदद मिल सके। कुछ बच्चे बहु-दिव्यांकता से पीड़ित होते हैं और घर पर ही रहते हैं। ऐसे मामलों में, विशेष शिक्षक माता-पिता को प्रशिक्षित करते हैं, ताकि वे अपने बच्चों की देखभाल कर सकें और उन्हें दैनिक जीवन के कार्यों में मदद कर सकें।

विशेष शिक्षकों का प्रशिक्षण होगा प्रभावित

नई शिक्षा नीति के तहत अब डिप्लोमा आधारित विशेष शिक्षकों का प्रशिक्षण बंद हो जाएगा। उस स्थिति में संपूर्ण झारखंड के अंदर विशेष शिक्षकों को तैयार करने वाली संस्थाएं ठप हो जाएंगे। अभी किसी भी विश्वविद्यालय के द्वारा स्नातक के साथ-साथ विशेष शिक्षा पर डिप्लोमा या बीएड का कोर्स नहीं चलाया जा रहा है।

विशेष शिक्षक और थैरेपिस्ट जरूरी

दिल्ली एवं केरल राज्य की तर्ज पर दिव्यांग बच्चों के शिक्षक प्रशिक्षण के लिए विद्यालय स्तर पर एक विशेष शिक्षक एवं एक थैरेपिस्ट की नियुक्ति करनी चाहिए। इससे उन बच्चों के विकास करने के साथ-साथ शारीरिक अवस्था में बदलाव लाने की दृष्टिकोण से निरंतर थेरेपी की व्यवस्था करने की आवश्यकता है।

21 प्रकार की दिव्यांगता को मिली है मान्यता

दिव्यांग अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को मान्यता दी गई है। इनकी पहचान के लिए हर जिले के सदर अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया में दिव्यांग बच्चों के आईक्यू परीक्षण के लिए पूरे राज्य में रिनपास और सीआईपी में है। दिव्यांग सर्टिफिकेट मिलने में परेशानी होती है।

आइक्यू टेस्ट लैब की राजधानी में कमी

दिव्यांगताओं की पहचान के लिए हर जिले के सदर अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया में बौद्धिक रूप से दिव्यांग बच्चों की बुद्धि लब्धि परीक्षण के लिए पूरे राज्य में केवल दो संस्थान हैं- कांके में स्थित रिनपास और सीआईपी कांके। मूक-बधिर और श्रवण बाधित बच्चों की श्रवण क्षमता की जांच के लिए राज्य का एकमात्र संस्थान रिम्स और भारत सरकार का संस्थान सीआरसी, नामकुम अधिकृत है। इसके अतिरिक्त, थैलेसीमिया, सिकल सेल, हीमोफीलिया और एनीमिया जैसे रक्त संबंधी रोगों से पीड़ित बच्चों को भी दिव्यांगता की श्रेणी में रखा गया है। सरकार ने ऐसे बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य रूप से रक्त उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। भारत सरकार और राज्य सरकार को दिव्यांग बच्चों के शिक्षक प्रशिक्षण और थेरेपी आधारित पद्धति विकसित करने के लिए एक निगरानी प्रकोष्ठ स्थापित करने की आवश्यकता है। इस प्रकोष्ठ में शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुभवी और संवेदनशील अधिकारियों को नियुक्त किया जाना चाहिए, ताकि वे विशेष शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावी रूप से कार्य कर सकें।

विशेष शिक्षक की पढ़ाई सीमित

भारत सरकार और राज्य सरकार को दिव्यांग बच्चों के शिक्षक प्रशिक्षण और थेरेपी आधारित पद्धति विकसित करने के लिए एक निगरानी प्रकोष्ठ स्थापित करने की आवश्यकता है। इस प्रकोष्ठ में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुभवी और संवेदनशील अधिकारियों को नियुक्त किया जाना चाहिए, ताकि वे विशेष शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावी रूप से कार्य कर सकें। प्रत्येक जिले में सिंगल विंडो सिस्टम लागू कर एक ही काउंटर में आवेदन से लेकर जांच की प्रक्रिया पूर्ण कर दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत करना चाहिए। उपचार की दृष्टिकोण से सभी अस्पतालों को बैरियर मुक्त बनाने चाहिए।

समस्याएं

1. आइक्यू टेस्ट बुद्धि लब्धता टेस्ट की रांची में कमी, नहीं हैं संस्थान

2. निजी विशेष शिक्षक संस्थान खोलने के लिए नहीं मिल रहा लाइसेंस

3. सरकारी स्तर पर विशेष बीएड की पढ़ाई नहीं होती है, जिससे उच्च शिक्षा में परेशानी

4. झारखंड में विशेष शिक्षक के लिए टेट की परीक्षा नहीं होती है, जिससे बहाली भी नहीं होती

5. राज्य के नि:शक्तता आयुक्त का पद पिछले चार वर्षों से रिक्त, नीति निर्धारण में परेशानी

सुझाव

1. दिव्यांगताओं की पहचान के लिए आइक्यू टेस्ट बुद्धि लब्धता संस्थान खोले जाएं

2. आरपीडब्लूडी एक्ट का लाइसेंस मिलना चाहिए, जिससे निजी संस्थान खोल सकें।

3. विशेष बीएड की परीक्षा सभी विश्वविद्यालयों में शुरू हो, जिससे आगे की पढ़ाई पूरी हो

4. बिहार कीतर्ज पर झारखंड में विशेष टेट की परिक्षा ली जाए और नियुक्ति की जाए

5. राज्य के नि:शक्तता आयुक्त के पद को भरें, विशेष शिक्षकों के लिए नीति निर्धारण हो

:: बोले लोग ::

सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष शिक्षक अनिवार्य रूप से सामान्य शिक्षक के वेतनमान के अनुसार झारखंड सरकार अभिलंब नियुक्त करें। राज्य के नि:शक्तता आयुक्त के पद को भरा जाए, जिससे विशेष शिक्षकों के लिए नीति निर्धारण का कार्य हो सके। विशेष बीएड की परीक्षा सभी विश्वविद्यालयों में शुरू हो।

-पौवेल कुमार

झारखंड में विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों के शिक्षण प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षित विशेष शिक्षक तैयार करने के लिए रांची समेत सभी विश्वविद्यालयों में स्पेशल डिपलोमा व बीएड शुरू किया जाय। आरपीडब्लूडी एक्ट का लाइसेंस झारखंड में जल्द मिलना चाहिए, जिससे निजी संस्थान शुरू करने में आसानी हो।

-निखिल कुमार

दिव्यांग बच्चों के लिए सरकार द्वारा सभी योजनाएं कागज पर उतारकर धरातल में उतारने की आवश्यकता है। सभी शिक्षण संस्थान में बैरियर मुक्त व्यवस्थित कक्षा तैयार हो।

-विश्वनाथ कुमार

राजधानी के अंतर्गत संचालित सभी पुर्नवास केंद्र दिव्यांगता अधिकार अधिनियम 2016 के अन्तर्गत नेशनल ट्रस्ट एवं आरपीडब्लूडी के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य हो।

-परमानंद कुमार

झारखंड शिक्षा परियोजना के द्वारा संचालित समावेशी शिक्षा के तहत प्रत्येक प्रखंड में दो रिर्सोस शिक्षक के सृजित पद पर स्थाई नियुक्ति की जाए। राज्य में विशेष शिक्षकों के लिए टेट परीक्षा हो।

-शंकर महतो

दिव्यांग बच्चों का नामांकन उच्च शिक्षा के संस्थानों में नि:शुल्क एंव अनिवार्य रूप से किया जाए। उन्हें पढ़ने-लिखने के लिए राइटर की व्यवस्था जाए। नि:शक्तता आयुक्त के पद को भरें।

-हरिशंकर महतो

रांची के अंतर्गत संचालित सभी पुर्नवास केंद्र में भारतीय पुर्नवास परिषद से मान्यता प्राप्त विशेष शिक्षक विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को प्रशिक्षण दें। साथ ही इसके लिए कानून बने।

-अनंजय कुमार

विद्यालय स्तर पर विशेष शिक्षक बहाल किए जाएं। साथ ही राज्य में पुर्नवास केंद्र्र की स्थापना हो। नई शिक्षा नीति से डिप्लोमा आधारित विशेष शिक्षकों का प्रशिक्षण बंद होने से परेशानी होगी।

-सुमंत कुमार

दिव्यांग बच्चों के शिक्षण प्रशिक्षण के साथ-साथ दैनिक क्रियाकलाप प्रशिक्षण एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए पुर्नवास केंद्र की स्थापना हो, जो वर्तमान में राज्य में नहीं है।

-पंकज कुमार

विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों का नामांकन सरकारी, गैर सरकारी स्कूलों में सुनिश्चित करते हुए प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक विशेष शिक्षा के द्वारा दिया जाए।

-छाया मंडल

झारखंड में संचालित स्कूलों में पुर्नवास केंद्र की स्थापना कर रिर्सोस शिक्षक, थेरेपिस्ट तथा केयर गिवर की नियुक्ति की जाए। राज्य में पुर्नवास केंद्र की स्थापना हो।

-इमाम हुसैन

सिंगल विंडो सिस्टम से दिव्यांगता प्रमाण पत्र एवं खाताधारक एकल खिड़की के माध्यम से विद्यालय स्तर पर तैयार किया जाए। सभी स्कूलों में विशेष शिक्षकों की अनिवार्य रूप से नियुक्ति हो।

-विजय कुमार

दिव्यांग बच्चों के कौशल विकास को ध्यान में रखते हुए विद्यालय स्तर शिक्षा के अलावे कौशल विकास प्रशिक्षण देना अनिर्वाय होना चाहिए। विशेष शिक्षकों की नियुक्ति हो।

-अमित कुमार

झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को अमल में लाते हुए विशेष शिक्षक की नियुक्ति केंद्रीय विद्यालय एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी पुर्नवास केंद्रों में अभिलंब अनिवार्य रूप से हो।

-निखिल मधुर

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