बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण विरोधी दिवस मनाकर विरोध दर्ज किया
उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में निजीकरण का देशभर में विरोध, ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बनाने का आरोप
रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में निजीकरण के विरोध में देशभर में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण विरोधी दिवस मनाकर विरोध दर्ज किया है। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देशभर में समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने शुक्रवार को निजीकरण विरोधी दिवस मनाया और सभी जिलों, परियोजनाओं में सभा की।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे और सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव ने उप्र पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि प्रबंधन कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है और ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रबंधन बिडिंग प्रक्रिया शुरू करने के पहले आरएफपी डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी करे तो निजीकरण के खतरों का अपने-आप खुलासा हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ का बिजली विभाग निजी कंपनी को सौंपने की कोई भी कोशिश की गई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी और देशभर में बिजली कर्मी सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने निजीकरण को बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी। चंडीगढ़ की बिजली की 22000 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों को निजी कंपनी को मात्र 871 करोड़ रुपए में दिया जा रहा है। यूपी और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, गुवाहाटी, नागपुर, रायपुर, जबलपुर, भोपाल, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, देहरादून, चंडीगढ़, पटियाला, रांची आदि स्थानों पर बड़े प्रदर्शन हुए। उप्र की राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों एवं परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की गई।
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