रांची में बंद पड़े चापाकलों से लोगों की प्यास बुझाएगा नगर निगम
गर्मी में प्यास बुझाने वाले चापाकल काम नहीं कर रहे हैं। राजधानी में 3200 से अधिक चापाकल हैं, इनमें से आधे के करीब चापाकल खराब पड़े हैं। गली-मोहल्लों...
रांची। वरीय संवाददाता
गर्मी में प्यास बुझाने वाले चापाकल काम नहीं कर रहे हैं। राजधानी में 3200 से अधिक चापाकल हैं, इनमें से आधे के करीब चापाकल खराब पड़े हैं। गली-मोहल्लों से गुजरते हुए ऐसे खराब पड़े चापाकल दिख जाएंगे। खराब पड़े चापाकल उन वार्डों में अधिक हैं, जहां पानी की पाइपलाइन नहीं है। इसके बावजूद नगर निगम खराब पड़े चापाकलों को ठीक नहीं करा पा रहा है। इसकी बड़ी वजह है कि निगम का जल बोर्ड खुद कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। बोर्ड के पास कनेक्शल, चापाकल मरम्मत, सप्लाई, लीकेज ठीक करने से लेकर एचवाईईडीटी (बोरिंग) के संचालन का जिम्मा है। इन कामों को देखने के लिए निगम के पास एक सेक्शन ऑफिसर, दो सहायक अभियंता, तीन पाइप लाइन इंस्पेक्टर, दो मीटर रीडर, एक सिटी मैनेजर और 20 कुली है। इनपर 45 हजार से अधिक पानी कनेक्शन, 3266 हजार चापाकल और 500 से अधिक बोरिंग की देख रेख की जिम्मेदारी है।
अधिकतर चापाकल 10 से 15 साल पुराने
निगम के 3266 चापाकल में गहराई 60 से 120 फीट है। वहीं, राजधानी में अधिकतर इलाके का जलस्तर गर्मी में 120 से 350 फीट नीचे पहुंच जाता है। ऐसे में जैसी ही गर्मी की शुरुआत होती है, अधिकतर चापाकल काम करना बंद कर देते हैं। इन चापाकलों को गहरा करने के लिए निगम के पास कोई ठोस योजना नहीं है। साथ ही फंड में इतना पैसा भी नहीं है कि नया हैडपंप लगाया जा सके। हैडपंप की मरम्मत के लिए निगम के पास कुल 20 मजदूर हैं, प्लंबर भी कम हैं। अधिकतर चापाकल 10 से 15 साल पुराने हो चुके हैं।
इन इलाकों में अभी से जल संकट
मार्च शुरू होते ही रांची में पानी की समस्या शुरू हो चुकी है। हरमू, विद्यानगर, कांके रोड, गंगा नगर, यमुना नगर, रातू रोड, मोरहाबादी, किशोरगंज, मधुकम, गाड़ीखाना, खादगढ़ा, न्यू एजी कॉलोनी, हटिया, डोरंडा, चुटिया इलाके में जल स्तर नीचे चला गया है। इन इलाकों में चापाकल और बोरिंग से पानी कम आने लगा है। ज्यादा देर चापाकल चलाने से लाल पानी निकल रहा है।
30 फीसदी इलाके में सप्लाई पाइपलाइन नहीं
शहर के मात्र 70 फीसदी इलाके में पाइपलाइन है। 30 फीसदी क्षेत्र अभी भी मिसिंग एरिया में आता है। जहां पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है, वहां पानी की आपूर्ति अनियमित है या लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पाता है। जलापूर्ति के लिए अबतक राज्य सरकार ने वाटर मास्टर प्लान बनाने की जरूरत नहीं समझी है। इसलिए राजधानी के अधिकतर घरों में लोग बोरिंग से अपनी जरूरत पूरी करते हैं।
पिछले साल करीब तीन लाख आबादी ड्राइजोन में
पिछले साल जल स्तर नीचे चले जाने के कारण रांची का एक बड़ा इलाका ड्राइजोन में आ गया था। इनमें हरमू, किशोरगंज, रातू रोड, पिस्कामोड़, मधुकम, खादगढ़ा, पहाड़ीटोला, मोरहाबादी, अरगोड़ा, कडरू, हटिया, तुपुदाना, डोरंडा, हिनू और एचईसी के इलाके शामिल थे। इस साल इन इलाकों में स्थिति और भयावह होने वाली है।
निगम के पास 53 वार्ड के लिए सिर्फ 59 टैंकर ही
नगर निगम के पास संसाधन की बेहद कमी है। उसके पास 53 वार्ड में रहने वाली करीब 12.5 लाख आबादी के लिए महज 59 टैंकर हैं। ऐसे में निगम गर्मी में एक वार्ड में एक ही टैंकर उपलब्ध करा पाएगा।
यहां है पाइपलाइन
रुक्का इंटेक वेल- मोरहाबादी, रातू रोड, पिस्का मोड़, पहाड़ी मंदिर, खादगढ़ा, चर्च रोड, सिरमटोली, डोरंडा, अशोक नगर, हरमू, सेक्टर टू, लालपुर, हिंदपीढ़ी।
हटिया इंटेक वेल- सेक्टर टू, धुर्वा, डोरंडा, अशोक नगर संप, हरमू, नार्थ ऑफिस पारा, हिनू।
कांके इंटेक वेल- कांके रोड और अपर बाजार
कोट
1. हरमू क्षेत्र में आधे चापाकल से पानी आना बंद हो चुका है। बोरिंग से भी पानी कम आ रहा है। मार्च शुरू होते-होते जल संकट गहराने लगा है। आने वाले महीनों में और संकट गहराएगा। निगम को समय रहते खराब पड़े चापाकल ठीक करा देना चाहिए।
अरुण झा, पार्षद, वार्ड-26
2. वार्ड-34 का पूरा क्षेत्र ड्राई जोन में आता है। अधिकतर चापाकल बंद पड़े हैं, जो बचे हैं, उनमें बहुत कम पानी आ रहा है। अगर समय रहते मरम्मत का काम पूरा नहीं हुआ तो पानी के लिए मारपीट की नौबत आ जाएगी।
विनोद सिंह, पार्षद, वार्ड-34
3. खराब पड़े चापाकल का सर्वे नगर निगम करा रहा है। शहर में अधिकतर चापाकल 10 से 15 साल पुराने हैं। इनमें ज्यादातर डेड हो चुके हैं। ऐसे चापाकलों को निगम हटाएगा। साथ ही जो चापाकल खराब मिलेंगे, उन्हें अप्रैल माह से पहले ठीक करा लिया जाएगा।
पीके मुर्मू, कार्यपालक अभियंता, नगर निगम जल बोर्ड
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