राणा संग्राम सिंह 62 साल तक ट्रेड यूनियन से मजदूरों के लिए लड़े, देश के कई पूर्व प्रधानमंत्री संग्राम सिंह को निजी रूप से जानते थे
रांची के श्रमिक नेता और इंटक के वरीय राष्ट्रीय सचिव राणा संग्राम सिंह (96) का निधन हो गया। वे कई दिनों से बीमार थे और रांची के अस्पताल में इलाजरत थे। उनका अंतिम संस्कार रविवार को धुर्वा के सीठियो घाट...
रांची, विशेष संवाददाता। एचईसी के श्रमिक नेता और इंटक के वरीय राष्ट्रीय सचिव राणा संग्राम सिंह (96) का शनिवार सुबह निधन हो गया। कई दिनों से बीमार होने के चलते वे रांची के एक अस्पताल में इलाजरत थे। रविवार को धुर्वा के सीठियो घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। वह एचईसी की मान्यता प्राप्त और इंटक से संबद्ध हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री थे। एचईसी समेत कई प्रतिष्ठानों के कामगारों के लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी। वह झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके थे। उनके निधन पर श्रमिक नेताओं, राजनीतिक दलों के लोगों, कामगारों और अधिकारियों ने शोक जताया है। उनके निधन को श्रमिकों के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
मजदूरों के हक के लिए करते रहे संघर्ष
श्रमिक नेता राणा संग्राम सिंह कामगारों के हितों के लिए 62 साल तक संघर्ष करते रहे। उनका जन्म 1956 में बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया के पास वसंतपुर में हुआ था। 1960 में उन्होंने एचईसी में योगदान किया था। 1962 में इंटक से संबद्ध हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन में उपाध्यक्ष चुने गए। 1969 में चुनाव जीतकर यूनियन के महामंत्री बने। 1971 में उनके नेतृत्व में एचईसी के कामगारों के पक्ष में हुए त्रिपक्षीय समझौते में श्रमिकों को काफी लाभ हुआ। उन्होंने कर्मियों के लिए छोटे-बड़े 80 समझौते किए।
दो बार एचईसी का पुनरुद्धार पैकेज पास कराया
वह एचईसी के अलावा बासल पतरातू, एसबीएल रांची, एसएनएल रांची, मेरिन डीजल इंजन प्लांट रांची, इंडियन एक्सप्लोसिव कर्मचारी यूनियन गोमिया के इंटक से संबद्ध ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष भी रहे। बिहार प्रदेश कांग्रेस लेबर सेल, झारखंड प्रदेश कांग्रेस लेबर सेल के अध्यक्ष, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरीय उपाध्यक्ष रहे। इसके अलावा इंटक के राष्ट्रीय वरीय सचिव, झारखंड प्रदेश इंटक के कार्यकारी अध्यक्ष, इंडियन नेशनल मेटल वर्कर्स फेडरेशन के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे। राणा संग्राम सिंह के नेतृत्व में दो बार एचईसी का पुनरुद्धार पैकैज पास कराया गया।
1967 दंगे के बाद अल्पसंख्यकों के लिए कॉलोनी
रांची में 1967 में हुए भीषण दंगे के बाद एचईसी के कई अल्पसंख्यक कर्मी कॉलोनी छोड़ दूसरे स्थान चले गए थे। सिंह ने प्रबंधन पर दबाव बनाकर अल्पसंख्यक कर्मचारियों के लिए सभी कॉलोनियों में एक ही जगह क्वार्टर देने की व्यवस्था करायी। इसके बाद सभी अल्पसंख्यक कर्मचारी एचईसी के क्वार्टरों में रहने लगे। यह व्यवस्था आज भी कायम है।
इंदिरा गांधी ने भेजा था बधाई संदेश
अल्पसंख्यकों के लिए काम करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राणा संग्राम सिंह को संदेश भेजकर बधाई दी थी। सिंह को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव, पूर्व सीएम डॉ जगन्नाथ मिश्रा, बिंदेश्वरी दुबे, चंद्रशेखर सिंह, शिबू सोरेन, सोनिया गांधी जैसे लोग निजी तौर पर जानते थे।
एचईसी के फिर पुनरुद्धार की थी इच्छा
एचईसी अभी गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। राणा संग्राम सिंह एचईसी को एक बार फिर पुनरुद्धार पैकेज दिलाना चाहते थे। इसके साथ ही ठेका श्रमिकों को स्थायी करने, भारी संख्या में अप्रेंटिसों की नियुक्ति, वेतनमान में बढ़ोतरी, ठेका श्रमिकों को स्थायी कर्मियों की तरह क्वार्टर दिलाना चाहते थे।
श्रमिक नेताओं ने शोक जताया
राणा संग्राम सिंह के निधन पर श्रमिक नेताओं ने शोक जताया है। एटक से संबद्ध हटिया कामगार यूनियन के उपाध्यक्ष लालदेव सिंह ने कहा है कि राणा संग्राम सिंह मजदूरों के हक की लड़ाई जीवनभर लड़ते रहे। उनके निधन से मजदूर आंदोलन को झटका लगा है। उन्होंने उनके परिजनों के प्रति संवेदना जताई है।
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