बोले रांची : वैश्य समाज में 65% बेरोजगारी ऋण देकर सरकार पहुंचाए मदद
झारखंड में 90 लाख से अधिक आबादी वैश्य समाज की है, लेकिन वे बुनियादी सुविधाओं के अभाव में हैं। उन्होंने 27% आरक्षण, वैश्य आयोग के गठन और जाति आधारित जनगणना की मांग की है। समाज के लोग व्यवसाय से जुड़े...

रांची, संवाददाता। झारखंड में 90 लाख से अधिक आबादी वैश्य समाज के लोगों की है। वहीं, रांची में 10 लाख से अधिक लोग वैश्य समाज से आते हैं। राज्य से लोकसभा और राज्यसभा में पांच सांसद इसी समाज से आते हैं। फिर भी वे बुनियादी सुविधाओं के आभाव में हैं। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में वैश्य समाज के लोगों ने कहा कि उनकी मांग है कि 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। वैश्य समाज के विकास के लिए आयोग का गठन किया जाए और जाति आधारित जनगणना कराई जाए। शेष बची वैश्य उप जातियों को पुन: राष्ट्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज के ज्यादातर लोग व्यवसाय से जुड़े हैं। लूट, रंगदारी और छिनतई जैसी घटनाओं से उनके रोजगार पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन सख्ती से इस पर रोक लगाए, तभी व्यवसाय में वृद्धि होगी और विकास की रफ्तार पकड़ेगी।
झारखंड में वैश्य समाज की 40 प्रतिशत आबादी है। केंद्र से लेकर राज्य में वैश्य समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधि हैं। बावजूद इसके इनकी मांगें पूरी नहीं हो पाती। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में समाज के लोगों ने कहा कि वैश्य समाज में 54 उपजातियां हैं। उनमें खेती से जुड़े, छोटे दुकानदार सहित दिहाड़ी मजदूर भी हैं। लोगों को लगता है कि वैश्य समाज के लोग अमीर ही होंगे। लेकिन, इस समाज के 10 प्रतिशत ही उच्च वर्ग के हैं। वहीं, 25 प्रतिशत मध्यम और 65 प्रतिशत बेरोजगार और गरीब हैं। ऐसे लोगों को सरकार की ओर से ऋण देकर मदद करनी चाहिए।
वैश्य समाज का मानना है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27% आरक्षण मिलना चाहिए। उनका कहना है कि यह आरक्षण सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने वैश्य आयोग के गठन की भी मांग की है। वैश्य समाज अपनी विशिष्ट समस्याओं और जरूरतों को समझने और उनका समाधान निकालने के लिए एक अलग वैश्य आयोग के गठन की मांग कर रहा है। उनका मानना है कि यह आयोग उनकी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करेगा और सरकार को आवश्यक सिफारिशें देगा।
जाति आधारित जनगणना की मांग: वैश्य समाज जाति आधारित जनगणना का समर्थन करता है। उनका मानना है कि इससे विभिन्न जातियों की सटीक संख्या और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता चलेगा, जिससे सरकार को नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। वैश्य समाज की कुछ उप-जातियां वर्तमान में राष्ट्रीय ओबीसी सूची में शामिल नहीं हैं। वे इन उप-जातियों को भी सूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें भी आरक्षण और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। वैश्य समाज का कहना है कि कुछ जिलों में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। वे इन जिलों में भी एक समान आरक्षण व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं। वैश्य समाज का कहना है कि उनके समाज के सक्षम और काबिल अधिकारियों को मुख्य पदों पर पोस्टिंग मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि इससे प्रशासन में उनकी भागीदारी बढ़ेगी और समाज की समस्याओं का बेहतर समाधान हो सकेगा।
वैश्य समाज अपनी सुरक्षा और सम्मान की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि उन्हें सामाजिक भेदभाव और उत्पीड़न से बचाया जाना चाहिए। इसके अलावा, वे अपने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने की भी मांग कर रहे हैं। वैश्य समाज के लोगों का कहना है कि झारखंड में राज्यसभा के दो सांसद वैश्य समाज के हैं। उन्होंने पांचों सांसदों से मांग की है की केंद्र सरकार से ओबीसी को 27% आरक्षण दिलवाने के साथ-साथ सांसद कोटे से वैश्य समाज के ग्रामीण क्षेत्रों, मुहल्लों में भी विकास कार्य के लिए फंड आवंटित किए जाएं, ताकि इनके सांसद बनने का लाभ झारखंड के वैश्य समाज को भी किले और उनका भी विश्वास समाज में जम सके।
बताया गया कि वैश्य समाज में कई संगठन हैं, जिनमें कई अच्छे लोग हैं और काफी मेहनत भी करते हैं, उनका भी उद्देश्य है कि राज्य के वैश्यों को राजनीति-सामाजिक पहचान और अधिकार मिले। लेकिन, विभिन्न कारणों से ऐसे संगठन के लोग कुछ विशेष नहीं कर पा रहे हैं। समाज के लोगों का कहना है कि झारखंड राज्य में वैश्य समाज के ग्रामीण, किसान एवं आमलोग भी विस्थापन के शिकार हुए हैं। वैश्य समाज के लोगों की भी जमीन राज्य के ढांचागत विकास में, जैसे कोलियरी, उद्योग-कल-कारखाने खोलना, सड़क बनाना, डैम बनाना एवं अन्य सरकारी प्रायोजनों सहित निजी कंपनियों द्वारा भी जमीन ली गई है। इसके पूरे प्रदेश में सैकड़ों उदाहरण हैं। लेकिन, वैश्य समाज के लोगों के साथ विस्थापन के सवाल पर भेदभाव और अन्याय किया जा रहा है।
ऋण के बोझ तले दबते जा रहे हैं लोग
वैश्य समाज में बड़ी संख्या में छोटे दुकानदार और व्यवसायी हैं। वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अक्सर ऋण के बोझ तले दबे रहते हैं। इसलिए, उनकी 10 लाख तक की ऋण माफी की जाए। कई कारोबारी कोरोना काल एवं विभिन्न कारणों से नुकसान झेल रहे हैं। समाज के लोगों का कहना है कि छोटे व्यापारियों, दुकानदारों की 10 लाख रुपए तक के ऋण माफ किए जाएं और पुन: रोजी-रोजगार के लिए साधन और ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करायी जाए।
आपराधिक घटना से व्यापार में अड़चन
झारखंड में वैश्यों के साथ लगातार हत्याएं, लूट और शोषण-दमन बढ़ता जा रहा है। इससे समाज के लोग डर के साये में हैं। समाज के लोगों के साथ व्यवसायिक गतिविधियों में विभिन्न प्रकार के अड़चन पैदा किये जा रहे हैं। कई लोगों को झूठे केस में फंसाया जा रहा है, जिससे सरकार की बदनामी भी होती है। ऐसे में वैश्य वर्ग अपने-आप को असुरक्षित एवं असहाय महसूस कर रहा है। वैश्य समाज ने सरकार से मांग की है कि राज्य में सुरक्षा को बेहतर किया जाए।
राज्य में एक समान आरक्षण लागू हो
झारखंड में जिला स्तरीय आरक्षण रोस्टर में सात जिलों लातेहार, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम, दुमका एवं खूंटी में ओबीसी आरक्षण शून्य किये जाने तथा रांची, साहिबगंज, पांकुड़ एवं सरायकेला-खरसांवा जिला में 8 प्रतिशत से कम आरक्षण कर दिया गया है। वैश्य समाज ने मांग की है कि राज्य सरकार अपने वायदे के मुताबिक ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दे। साथ ही पूरे राज्य में इसे एक समान लागू करते हुए राज्य में एक समान आरक्षण लागू हो।
ऑनलाइन मार्केटिंग से दुकानदारों पर बढ़ता जा रहा है आर्थिक बोझ
वैश्य समाज के लोगों का कहना है कि झारखंड में होने वाली ऑनलाइन मार्केटिंग से राज्य के दुकानदारों-व्यवसायियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इससे राज्य सरकार को भी राजस्व की भारी क्षति हो रही है। वैश्य समाज के ज्यादातर लोग व्यापार से ही जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि दुकानदारों को अपने एक कर्मचारियों को वेतन और दूसरा ऑनलाइन से प्रतिस्पर्धा के लिए भारी छूट देनी पड़ रही है। इससे इन लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। राज्य के व्यवसायियों के हित में तत्काल प्रभाव से ऑनलाइन मार्केटिंग पर रोक लगाने की मांग की है।
समाज से राज्य सशक्त होगा
झारखंड में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाए। इस आरक्षण से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर मिलेगा। साथ ही झारखंड में वैश्य समाज के हितों की रक्षा एवं समुचित विकास के लिए यथाशीघ्र वैश्य आयोग का गठन किया जाए, जिससे वैश्य समाज के समस्याओं का समाधान करने में सुविधा होगी। समाज के सशक्त होने से राज्य सशक्त होगा।
-महेश्वर साहू
वैश्व समाज राष्ट्र एवं राज्य का आर्थिक मेरूदंड है। वैश्य समाज के लोगों की संख्या के आधार पर राजनीतिक सहभागिता सुनिश्चित की जाए। साथ ही वैश्य समाज के लिए आयोग का गठन किया जाए, जिससे समाज की सुरक्षा और विकास हो सके। साथ ही राज्य में जाति आधारित जनगणना करायी जाए, जिससे जातियों की समाजिक और आर्थिक स्थिति पता चले।
-रामसेवक प्रसाद
राज्य में वैश्य आयोग का गठन किया जाए
ओबीसी को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27% आरक्षण मिलना चाहिए। इससे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर मिलेगा।
-पूनम जायसवाल
विशिष्ट समस्याओं और जरूरतों को समझने और उनका समाधान निकालने के लिए एक अलग वैश्य आयोग का गठन होना चाहिए। इससे आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का पता चलेगा। -रेणू देवी
विधानसभा भवन में झारखंड आंदोलनकारी शहीद मनिंद्र्रनाथ मंडल सहित अन्य शहीदों की तस्वीर एवं मूर्ति लगाई जाए। झारखंड में भी जाति आधारित जनगणना कराई जाए। -नम्रता सोनी
पतरातू स्थित एनटीपीसी के अंतर्गत वलकुदरा सहित तीन-चार गांवों की भूमि पर निर्माणाधीन छाई डैम एक के विस्थापितों को समुचित मुआवजा, नौकरी एवं अन्य सुविधाएं दी जाए।
-सुरेश प्रसाद साहू
वैश्य समाज में बड़ी संख्या में छोटे दुकानदार और व्यवसायी हैं। वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अक्सर ऋण के बोझ तले दबे रहते हैं। पूर्व के10 लाख रुपए तक की ऋण माफी की जाए। -दिलीप प्रसाद
मूल रैयतों की भूमि को वापस दिलाने की प्रक्रिया के तहत पुर्नस्थापन करने के लिए काम हो। साथ ही पूरे राज्य में वैश्य समाज की हड़पी एवं कब्जा की गई जमीन को तत्काल वापस दिलाई जाए। -हीरा नाथ साहू
झारखंड में वैश्यों के साथ हत्याएं, लूट, शोषण-दमन बढ़ता जा रहा है। व्यवसायिक गतिविधियों में अड़चन पैदा किये जा रहे हैं। सरकार को इन विषयों पर संज्ञान लेना चाहिए। -मोहन साव
झारखंड में होने वाली ऑनलाइन मार्केटिंग से राज्य के दुकानदारों और व्यवसायियों सहित राज्य सरकार को राजस्व की क्षति हो रही है। ऑनलाइन मार्केटिंग पर रोक लगे, सख्त कानून और नियम बनें।-अशोक कुमार गुप्ता
वैश्य समाज के लोगों के साथ विस्थापन के सवाल पर भेदभाव और अन्याय किया जा रहा है। वैश्य समाज के विस्थापितों को एक समान मुआवजा, नौकरी एवं पुर्नवास की व्यवस्था की जाये। -उपेंद्र प्रसाद
राज्य के छोटे व्यापारियों को 10 लाख रुपए तक की ऋण माफ की जाए। ऑनलाइन मार्केटिंग पर रोक लगे और इसके पालन करने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।
-शिव प्रसाद साहू
कोराना काल के प्रभाव से जूझ रहे कारोबारियों को इससे बाहर निकालने का प्रयास किया जाए। उन्हें ऋण देकर दोबारा कारोबार करने योग्य बनाया जाए। -परशुराम प्रसाद
झारखंड में तमाम पिछड़ों को 27% आरक्षण की व्यवस्था की जाए। राज्य में जातियों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति पता नहीं, इसके लिए राज्य में जाति आधारित जनगणना करायी जाए। -सहदेव चौधरी
समस्याएं
1. राज्य के कई जिलों में पिछड़ों को 14 प्रतिशत ही मिल रहा है आरक्षण
2. राज्य में समाज की स्थिति बदल गई है। जातियों के सामाजिक आर्थिक स्थिति का पता नहीं
3. वैश्य समाज की समस्याओं और जरूरतों को समझने वाला काई नहीं
4. कोरोना काल एवं विभिन्न कारणों से नुकसान झेल रहे हैं छोटे व्यापारी
5. ऑनलाइन मार्के टिंग से दुकानदारों को दुगनी मार, हो रहा आर्थिक नुकसान
सुझाव
1. झारखंड में तमाम पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाए
2. झारखंड में जाति आधारित जनगणना करायी जाए, जिससे समाज की स्थिति पता चले
3. वैश्य समाज के हितों की रक्षा एवं समुचित विकास के लिए वैश्य आयोग का हो गठन
4. छोटे व्यापारियों को 10 लाख रुपय तक की ऋण माफ योजना शुरू की जाए
5. ऑनलाइन मार्केटिंग पर रोक लगाई जाये, इसके लिए सख्त कानून बनाएं जाएं
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