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सरना समाज के सामूहिक विवाह में 19 जोड़े एक-दूजे के हुए

झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति ने रविवार को एचइसी के सेक्टर तीन में आदर्श सामूहिक विवाह का आयोजन किया। 19 कन्याओं का विवाह सरना रीति से संपन्न हुआ। पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने कंडसा के दुरूपयोग पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीSun, 11 May 2025 08:04 PM
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सरना समाज के सामूहिक विवाह में 19 जोड़े एक-दूजे के हुए

रांची, वरीय संवाददाता। झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति, धुर्वा की ओर से रविवार को एचइसी के सेक्टर तीन के सरना स्थल में आदर्श सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया। सरना समाज की विवाह योग्य 19 कन्याओं का सरना रीति से विवाह संपन्न हुआ। विवाह के बाद वर-वधू ने अतिथियों से आशीर्वाद लिया। इसके बाद अतिथियों ने उनके सुखमय दाम्पत्य जीवन की मंगल कामना की। संगठन के अध्यक्ष मेघा उरांव ने बताया कि संस्था की ओर से ओर से हर साल आदर्श सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है। इसमें जरूरतमंद परिवार की कन्याओं का एवं बिना व्याह के साथ रहने वाले जोड़े का विवाह संगठन की ओर से करा कर समाजिक मान्यता प्रदान की जाती है।

सहभोज के बाद घरेलू प्रयोग का सामान भेंट कर छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री एवं जनजातीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत एवं अन्य ने नव दंपत्ति को विदा किया। कंड़सा का दुरूपयोग व अपमान हो रहा है पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने कहा कि आदर्श विवाह अच्छी पहल है। सरना समाज के कंडसा का दुरूपयोग व अपमान हो रहा है। कंडसा सरना जनजाति समाज के लिए महत्वपूर्ण है। नव दंपत्ति के नाम से विधिवत पाहन पुजार बैगा पूजा पाठ संपन्न कराकर कंड़सा उठवाते हैं। इस क्रम में नृत्य होता है, लेकिन झारखंड खासकर रांची में किसी भी राजनीतिक पार्टी के जुलूस या स्वागत में इसका उपयोग हो रहा है, जो सरासर गलत है। यह सरना समाज की आस्था से जुड़ा हुआ है और इसके दुरूपयोग पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे शर्ट पैंट पहनने वाले लोग हाथ धुलवाने को आदिवासी और जनजाति परंपरा बता रहे हैं, जबकि हमारी परंपरा में पैर धोने का रिवाज है। इस वजह से यह पता नहीं चल पाता है कि सरना कौन है धर्मांतरित इसाई कौन है। पूर्व मंत्री ने कहा कि आदिवासी जनजाति समाज का अपनी गीत, गोविंद, रीति रिवाज, संस्कार व संस्कृति है, जिसे हम सभी भूलते जा रहे हैं और शुभ आयोजन पर पारम्परिक वाद्य यंत्र के बजाय डीजे की धुन पर नृत्य कर रहे हैं। संगठन के क्षेत्रीय संयोजक संदीप उरांव व मुखिया संघ के अध्यक्ष सोमा उरांव ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा, पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर, आरती कुजूर, अंजलि लकड़ा, रितेश उरांव, रोशनी खलखो, जॉर्ज लकड़ा, कर्मपाल उरांव, वृंदा उरांव, भगवान सहाय, प्रफुल्ल, देवनंदन सिंह, सुशील मरांडी, लोरया उरांव, लुथरु उरांव, बिरसा भगत, रामा उरांव, लक्ष्मण उरांव, मुन्नी देवी, अनीता मुंडा, राजू उरांव, बबलू उरांव, लाल मुनी देवी, रोपनी मिंज, डॉ बुटन महली, सुशीला उरांव, रवि उरांव व अन्य की भागीदारी रही।

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