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राजभवन ने सरकार से पूछा-पेसा नियमावली पर अबतक क्या हुई कार्रवाई

झारखंड के राजभवन ने पेसा नियमावली पर सरकार से कार्रवाई की जानकारी मांगी है। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से कई संगठनों ने मुलाकात की है। कुछ संगठन नियमावली को लागू करने की मांग कर रहे हैं, जबकि अन्य ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीThu, 8 May 2025 09:21 PM
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राजभवन ने सरकार से पूछा-पेसा नियमावली पर अबतक क्या हुई कार्रवाई

रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो राजभवन ने झारखंड सरकार से पेसा नियमावली को लेकर अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। इस संबंध में राजभवन सचिवालय के अपर मुख्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने मुख्य सचिव अलका तिवारी को पत्र भेजा है। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से राज्य में प्रस्तावित पेसा नियमावली को लेकर विभिन्न संगठन के प्रतिनिधिमंडलों ने मुलाकात की है। कई संगठनों ने इसके कुछ प्रावधानों को लेकर असहमति जताई है तो कुछ ने पेसा नियमावली जल्द लागू कराने के लिए राज्यपाल से आग्रह किया है। इस आलोक में राजभवन ने राज्य सरकार को एक पत्र जारी कर अब तक पेसा नियमावली को लेकर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है।

गौरतलब है कि पेसा कानून (पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार अधिनियम) 1996 के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाने के लिए नियमावली बनाई जाती है। झारखंड में अबतक पेसा नियमावली अधिसूचित नहीं हुई है। पेसा नियमावली के लागू होने से ग्रामसभाओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार मिलेंगे। इनमें ग्रामसभा को अपने गांव में चल रही योजनाओं का निरीक्षण करने, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच करने, लघु खनिजों पर अधिकार प्राप्त करने और वनोपज उत्पादों के खरीद-बिक्री के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने का अधिकार शामिल है। खनन पट्टों के आवंटन में भी ग्रामसभा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। खनन पट्टे देने में अनुसूचित जनजाति की समिति को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद अनुसूचित जाति के सदस्य को अवसर मिलेगा। खनन के बाद हुए पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए ग्रामसभा द्वारा गड्ढों की भराई, पौधारोपण आदि की व्यवस्था की जाएगी। अनुसूचित क्षेत्रों में पारंपरिक तरीके से चावल से निर्मित देशी शराब के उत्पादन, भंडारण और उपभोग पर भी ग्रामसभा नियंत्रण रखेगी। ग्रामसभा इस संबंध में अधिकतम सीमा और उपभोग की शर्तें तय कर सकेगी। वनोपज उत्पादों जैसे बांस, झाड़, महुआ, हर्रा, आंवला आदि पर भी ग्रामसभा का मालिकाना हक होगा। ग्रामसभा इन उत्पादों की खरीद-बिक्री के लिए न्यूनतम मूल्य निर्धारित कर सकेगी। पेसा कानून संविधान के भाग 9 का विस्तार पंचायती राज विभाग ने कहा है कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार राज्य सूची के विषयों पर राज्य सरकार ही कानून बना सकती है। पेसा कानून संविधान के भाग 9 का विस्तार है, जिसमें स्थानीय स्वशासन व्यवस्था का प्रावधान है। इसी के तहत सभी 10 पेसा राज्यों ने अपने पंचायती अधिनियम बनाए हैं और उनके तहत पेसा नियमावली लागू की है। झारखंड में भी संशोधित पेसा नियमावली तैयार कर ली गई है। हालांकि, इसे लेकर आदिवासी समुदायों के कुछ संगठन आमने-सामने आ गए हैं। कुछ संगठन नियमावली को जल्द लागू करने की मांग कर रहे हैं, तो कुछ इसमें संशोधन की मांग कर रहे हैं। संशोधित ड्राफ्ट एक बार फिर बेवसाइट पर अपलोड पेसा नियमावली का संशोधित ड्राफ्ट एक बार फिर पंचायती राज विभाग की बेवसाइट पर अपलोड किया गया है। पूर्व में अगस्त 2023 में प्रकाशित ड्राफ्ट में संशोधन किया गया था। यह संशोधित प्रारूप उन सभी लोगों के साथ साझा किया गया था, जिन्होंने सुझाव दिए थे। प्रारूप की भाषा को पुनः सरल किया गया है, ताकि आम लोगों को यह आसानी से समझ आ जाए और गलत विश्लेषण ना हो। आईपीसी की जगह बीएनएस की धारा का उल्लेख किया गया है। सरकार ने पेसा नियमावली के संशोधित ड्राफ्ट पर सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं।

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