बोले रांची: सहमति पर भी कर्मियों के न पदनाम बदले, न पद सृजन
झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने रांची में समस्याएं उठाई। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें न तो समय पर प्रोन्नति मिल रही है, न ही बुनियादी सुविधाएं। पिछले साल हड़ताल के बाद बनी सहमति को...

रांची, संवाददाता। झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में समस्याएं रखीं। कर्मचारियों ने कहा- लंबे समय से विभिन्न विभागों में कार्यरत अराजपत्रित कर्मियों को न तो समय पर प्रोन्नति मिल रही है, न ही सेवा नियमावली। भत्तों व बीमा जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी लाभ नहीं। इन मुद्दों को लेकर सरकार के प्रति कर्मचारियों में रोष है। समाहरणालय संवर्ग के कर्मियों का आरोप है कि बीते साल हड़ताल के बाद सरकार से कई मुद्दों पर सहमति बनी थी, लेकिन आठ माह में भी कर्मियों का न पदनाम बदला और न पद सृजन की प्रक्रिया पूरी हुई।
झारखंड के समाहरणालय संवर्ग के लगभग 5500 कर्मचारी, जिन्होंने बीते वर्ष अगस्त माह में अपनी लंबित मांगों के समर्थन में एक महीने तक हड़ताल की थी, अब फिर से सरकार की अनदेखी को लेकर आक्रोशित हैं। 21 अगस्त 2024 को मुख्य सचिव के साथ हुई बैठक में कर्मचारियों की प्रमुख मांगों पर सहमति बनी थी, लेकिन आठ महीने बीत जाने के बाद भी एक भी मांग पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कर्मचारियों का कहना है कि हड़ताल को समाप्त करने के लिए सरकार के साथ बैठक हुई थी। इस बैठक में समाहरणालय संवर्ग के विभिन्न पदों के पदनाम बदलने पर सहमति बनी थी। इसमें निम्नवर्गीय लिपिक को सहायक, उच्चवर्गीय लिपिक को वरीय सहायक, प्रधान लिपिक को सहायक प्रशासी अधिकारी, कार्यालय अधीक्षक को प्रशासी अधिकारी ग्रेड-2 तथा प्रशासी अधिकारी को प्रशासी अधिकारी ग्रेड-1 बनाए जाने का निर्णय लिया गया था। इस संबंध में कार्मिक विभाग को आदेश निर्गत करना था, जो अब तक लंबित है। प्रक्रिया को जल्द पूरी की जाए राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग को सभी जिलों से प्रस्ताव प्राप्त होने के डेढ़ माह के भीतर पद सृजन की प्रक्रिया पूरी करनी थी, लेकिन इस दिशा में भी अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। समाहरणालय संवर्ग के कर्मचारियों ने बताया कि बैठक में अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने की घोषणा की गई थी। समिति को तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी थी। लेकिन समिति की कार्यवाही की स्थिति स्पष्ट नहीं है और रिपोर्ट आठ महीने बीत जाने के बाद भी सरकार को नहीं सौंपी गई है। समाहरणालय संवर्ग कर्मचारियों की मुख्य मांगें वेतनमान में संशोधन, ग्रेड पे 2400/- से शुरू कर उच्च पदों पर पदनुरूप वृद्धि, प्रशासी अधिकारी के लिए 5400/- ग्रेड पे, योगदान की तिथि से लागू करने की मांग, चतुर्थवर्गीय कर्मियों को बिहार की तर्ज पर सेवा आधारित प्रोन्नति, संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मियों की वेतन विसंगति दूर करने की मांग की गई। साथ ही प्रशासी अधिकारी के कार्यदायित्व का निर्धारण, राज्य प्रशासनिक सेवा की सीमित प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने हेतु आयु एवं ग्रेड पे की शर्तें हटाने की मांग थी। मांग पूर्ति नहीं होने पर संघ ने जताया रोष झारखंड अनुसचिवीय कर्मचारी संघ (समाहरणालय संवर्ग) ने मांग पूरा नहीं होने पर रोष जताया है। उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री से मिलकर मांग पूर्ति के लिए गुहार लगाएंगे। संघ का कहना है कि पूर्व में सरकार की ओर से बनी सहमति को अब तक सिर्फ कागजों तक ही सीमित रखा गया है, उसे भी मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे। स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के गठन की मांग: झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने कहा की राज्य में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की तर्ज पर स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल का गठन करने की मांग की है। संघ ने बताया कि वर्ष 2009 में ट्राइब्यूनल बनाने पर समझौता हुआ था, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई। इसे जल्द पूरा करने की मांग संघ ने की। नियमित प्रोन्नति नहीं मिलने से रोष झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का कहना है कि राजभाषा विभाग के कर्मी समाहरणालय के अधीन ही कार्य करते हैं। लेकिन, उन्हें नियमित प्रोन्नति नहीं मिल रही है। वर्तमान में राजभाषा कर्मियों को डीसी के नियंत्राधीन किया गया है। बावजूद इसके एमएसीपी का लाभ कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग से दिया जा रहा है। कर्मियों की मांग है कि समाहरणालय संवर्ग की तरह ही जिला स्तर पर उनकी नियमावली के अनुसार प्रोन्नति और एमएसीपी का लाभ दिया जाए। साथ ही उन्हें आवश्यकतानुसार अन्य कार्य भी आवंटित किए जाएं। साथ ही कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 60 से बढ़ाकर 62 या 65 वर्ष की जाए। 50% पदों पर परीक्षा, 50% पर वरीयता के आधार पर दें प्रोन्नति झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने राज्य के चतुर्थवर्गीय कर्मियों की प्रोन्नति प्रक्रिया पर गहरी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि जेएसएससी की परीक्षा आधारित प्रणाली ने अनुभवी और वरिष्ठ कर्मियों के अवसर छीन लिए हैं। महासंघ की मांग है कि प्रोन्नति व्यवस्था को 50 प्रतिशत पदों पर विभागीय परीक्षा के आधार पर और 50 प्रतिशत वरीयता-योग्यता के आधार पर प्रोन्नति दी जानी चाहिए। समस्याएं 1. संविदा कर्मियों को रोजगार छिनने का डर सताता है, क्योंकि वे नियमित नहीं रहते। 2. राजभाषा विभाग के कर्मियों को नियमित प्रोन्नति का लाभ नहीं मिलता। 3. चतुर्थवर्गीय कर्मियों की प्रोन्नति प्रक्रिया पर महासंघ ने गहरी आपत्ति जताई। 4. एक माह की हड़ताल के बाद समाहरणालय संवर्ग की मांगों पर बनी सहमति नहीं पूरी हुई। 5. कर्मचारियों की समस्या का समाधान समय-सीमा पर नहीं होता है। सुझाव 1. संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए या 60 वर्ष की आयु तक रोजगार सुरक्षित हो। 2. राजभाषा विभाग के कर्मियों को समाहरणालय संवर्ग की तरह नियमित प्रोन्नति मिले। 3. चतुर्थवर्गीय कर्मियों की प्रोन्नति प्रक्रिया को वरीयता के आधार पर किया जाए। 4. समाहरणालय संवर्ग के पदनाम परिवर्तन और पद सृजन जैसी मांगों पर जल्द कार्रवाई हो। 5. केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की तर्ज पर स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल का गठन हो। ::: बोले लोग ::: आठ महीने पहले सरकार ने जो वादे किए थे, वो अब सिर्फ कागज पर रह गए हैं। कर्मचारियों की उम्मीदें टूट रही हैं। हम सम्मानजनक समाधान चाहते हैं, न कि बार-बार आश्वासन। साथ ही स्टेट ट्राइब्यूनल का गठन जरूरी है, ताकि हम अपनी समस्याएं सीधे रख सकें। कर्मियों को वरिष्ठता के बावजूद प्रोन्नति नहीं मिल रही, इससे मनोबल टूटता है। -जसीम अख्तर पदनाम बदलने की सहमति हुई थी, लेकिन आदेश अब तक लंबित है। इससे कर्मियों में असंतोष का माहौल है। कर्मचारियों की गरिमा और पद का सम्मान आज भी अधर में लटका है। बीते वर्ष अगस्त माह में अपनी लंबित मांगों के समर्थन में एक महीने तक हड़ताल की थी, अब फिर से सरकार की अनदेखी को लेकर कर्मी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। - राजीव रंजन दुबे निम्नवर्गीय लिपिक को सहायक, उच्चवर्गीय लिपिक को वरीय सहायक, प्रधान लिपिक को सहायक प्रशासी अधिकारी बनाया जाए। -विकास दुबे वेतनमान में संशोधन, ग्रेड पे 2400 से शुरू कर उच्च पदों पर पदनुरूप वृद्धि की जाए। प्रशासी अधिकारी का 5400 रुपए ग्रेड पे हो। -सुनिता महतो जिन्होंने 15 साल सेवा दी है, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना अन्याय है। संविदा के आधार पर सालों से काम करे रहे कर्मियों को नियमित करें। - निर्भय कुमार सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 60 से बढ़ाकर 62 या 65 करें। कर्मचारियों के लिए कैशलेस स्वास्थ्य बीमा लागू करने की मांग की है। -अभय प्रभाकर तिर्की राजभाषा विभाग के कर्मी समाहरणालय के अधीन ही कार्य करते हैं। पर, उन्हें नियमित प्रोन्नति नहीं मिल रही है। -इफ्तकार अनवर संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मी भी इसी सिस्टम के अंग हैं। उनकी वेतन विसंगति पर चुप रहना, श्रम के साथ अन्याय है। -कुमार शशांक संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मियों की वेतन विसंगति दूर हो। सभी के लिए समान काम के लिए समान वेतन हो। -कुमुद रंजन वेतन से जुड़े मुद्दों में हो रही वेतन विसंगतियों का समाधान हो। महंगाई भत्ता, ग्रुप बीमा, मकान निर्माण व वाहन अग्रिम की राशि मिले। -मेरी ग्रेस टोप्पो चतुर्थवर्गीय कर्मियों को वरीयता एवं योग्यता होने के बावजूद उन्हें प्रोन्नति नहीं मिल रही है। पलाश में एनएमएमयू एचआर पॉलिसी लागू हो। -शिव कुमार वर्षों से संविदा, मानदेय और आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कर्मियों कंप्यूटर ऑपरेटरों जो एक दशक से कार्यरत हैं, उन्हें स्थायी करें। -कुमारी अर्चना शर्मा कई विभागों में पद सृजन की प्रक्रिया पूरी करनी थी, लेकिन इस दिशा में भी अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे काम प्रभावित होता है। -ध्रुव प्रसाद
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