जीबीएस प्रभावित जगहों से झारखंड आने वालों की जांच की व्यवस्था करें : सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुइलेन-बैरे सिंड्रोम बीमारी की रोकथाम के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की
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रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी से निपटने के लिए सभी अस्पतालों में बेड, दवा, ऑक्सीजन आदि संसाधनों की पुख्ता व्यवस्था रखें। इस बीमारी के कोई भी केस मिलने पर तत्काल रिम्स रेफर करें। संदिग्ध मरीजों को रिम्स तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम को अलर्ट रखें, ताकि मरीज को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा ससमय उपलब्ध कराई जा सके। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जिस राज्य, शहर या जगहों पर इस बीमारी के मरीज ज्यादा पाए गए हैं, उन क्षेत्रों से झारखंड आने वाले व्यक्तियों की जांच की व्यवस्था करें। शहर के किसी स्थान पर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जांच की एक निःशुल्क सेंटर स्थापित करें। साथ ही सभी जिलों के सिविल सर्जनों को हिदायत दी है कि इस बीमारी से संबंधित न्यूज, एक्टिविटीज एवं अपडेट पर पैनी नजर रखें। ताकि, बीमारी के खतरे की तैयारी समय रहते की जा सके। बीमारी के इलाज में किसी को कई दिक्कत न हो, यह भी सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को कांके रोड स्थित आवासीय कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के संक्रमण की रोकथाम एवं इलाज की व्यवस्था को लेकर की जा रही तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। वरीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम बीमारी के दुष्प्रभाव, लक्षण, बचाव व उपचार से संबंधित जानकारी से अवगत कराया। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ऑनलाइन जुड़े थे। समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, निदेशक रिम्स प्रो डॉ राज कुमार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड के अभियान निदेशक अबू इमरान एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलों के उपायुक्त तथा सिविल सर्जन उपस्थित थे।
आम जनमानस को जीबीएस से बचाव के लिए जागरूक करें
समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी से ग्रस्त मरीजों की पहचान करने एवं अस्पतालों में उनके समुचित इलाज की विशेष व्यवस्था रखें। साथ ही उन्होंने जीबीएस से बचाव के उपायों को लेकर राज्य में व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से बचाव के लिए आम जनमानस को जागरूक करने की आवश्यकता है। यह बीमारी दूषित जल और कच्चा भोजन सेवन करने से फैलता है। लोगों में इस बीमारी को लेकर कोई भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो, यह सुनिश्चित किया जाए। यह बीमारी कोरोना संक्रमण की तरह एक-दूसरे से नहीं फैलता है, इस बीमारी को लेकर बहुत घबराने की जरूरत नहीं है।
जीबीएस को लेकर रिम्स को किया गया अलर्ट
समीक्षा के दौरान रिम्स निदेशक प्रो डॉ राजकुमार ने सभी सिविल सर्जनों को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम बीमारी की पहचान तथा उनके समुचित इलाज की जानकारी दी। साथ ही इस बीमारी से बचाव की गाइडलाइन शीघ्र सभी सिविल सर्जनों तक उपलब्ध कराए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि रिम्स जेबीएस को लेकर हाई अलर्ट मोड पर है। इलाज के लिए रिम्स पूरी तरह तैयार है। उन्होंने सिविल सर्जनों से कहा कि कोई भी संदिग्ध मिलने पर तुरंत रिम्स रेफर करें।
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