गतिरोध सदन की परंपरा नहीं है : स्पीकर
झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में स्पीकर ने दिया प्रारंभिक वक्तव्य, सदन में आलोचना हो, विचार व्यक्त हो, अभिव्यक्ति हो, गतिरोध न हो
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रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने विधायकों को विधायी परंपराओं की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि गतिरोध सदन की परंपरा नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार गठित सरकार का पहला बजट है। सत्र 27 मार्च तक चलेगा। इस सत्र में कुल 20 बैठकें निर्धारित हैं। वर्ष 2024-25 का तृतीय अनुपूरक बजट और वित्तीय वर्ष 2025-2026 का वार्षिक बजट का उपस्थापन किया जाएगा। विधायिका के पास कार्यपालिका के कार्यों का आकलन के निमित्त बजट एक बहुत बड़ा साधन है। विधायकों को उपस्थापित होने वाले बजट की अनुदान मांगों पर कटौती प्रस्ताव के माध्यम से सरकार की योजनाओं की समीक्षा करने का अवसर प्राप्त होगा। राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी सार्थक बहस करने का अवसर प्राप्त होगा। इस सत्र में तीन कार्य दिवस राजकीय विधेयक के लिए भी निर्धारित है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह अपने अन्तर्मन से यह कहना चाहते हैं कि हमलोग यहां पर चुनकर आते हैं और जनता की बहुत सारी अपेक्षाओं के साथ चुनकर आते हैं। साढ़े तीन करोड़ जनता की इस सदन से आशाएं बंधी हैं कि उनके हित में और उनके लिए इस महापंचायत से समुचित कार्य हो। यह भी सही है कि कई बार गतिरोध के कारण वांछित कार्य नहीं हो पाता है। उन्होंने आग्रह किया कि सदन में गतिरोध न हो। सदन में आलोचना हो, सदन में विचार व्यक्त हो, अभिव्यक्ति हो, लेकिन गतिरोध सदन की परंपरा नहीं है। दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने राज्य निर्माण के आंदोलन के समय से ही राजनीतिक और सामाजिक रूप से सहनशील, जुझारू, निष्ठावान कार्यकर्ता तैयार करने का प्रयत्न किया है। उम्मीद है कि इस सदन में उनके विचारों का प्रतिबिम्ब परिलक्षित होगा।
सदस्यों के लिए होगा प्रशिक्षण सत्र
स्पीकर ने कहा कि इस सदन में पहली बार 21 नए सदस्य चुनकर आए हैं और वे पहली बार बजट सत्र में भाग ले रहे हैं। निर्वाचित सदस्य सदन के नियमों, परम्पराओं और परिपाटियों का गहन अध्ययन करेंगे और अपने अभिभावक समान वरिष्ठों के अनुभव का लाभ उठाकर श्रेष्ठ संसदीय परम्पराओं का पालन करते हुए इस बजट सत्र को और अधिक जनोपयोगी बनाएंगे। बजटीय प्रबंधन पर अपना महत्वपूर्ण सुझाव देंगे। यह सभा उनके नए विचारों की सभा होगी। पूर्व विधानसभा की भांति षष्टम विधानसभा गठन के उपलक्ष्य में सभी निर्वाचित सदस्यगण का प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस बार विधानसभा ने एक मार्च और दो मार्च को सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यकम रखा है। उम्मीद है कि इससे सदस्यों को संसदीय परम्परा की बारीकियों को समझने में सहजता होगी।
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