Hindi Newsझारखंड न्यूज़रांचीIn the name of selling land flats the business of fraud in the city

जमीन, फ्लैट बेचने के नाम पर शहर में चल रहा ठगी का धंधा

रांची में जमीन व फ्लैट के नाम पर ठगी का धंधा जोरों पर चल रहा है। सस्ती कीमत में फ्लैट व जमीन देने के नाम पर डीलर कई लोगों को अपना ठगी का शिकार बना चुके हैं। थाने तक मामला भी पहुंचता है। प्राथमिकी भी...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीMon, 2 Nov 2020 11:00 PM
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रांची में जमीन व फ्लैट के नाम पर ठगी का धंधा जोरों पर चल रहा है। अपने जीवन भर की कमाई लगा कर जमीन और फ्लैट खरीदने वाले कई लोग ठगी के शिकार हुए हैं। जमीन के फर्जीवाड़े में शामिल लोग कई तरह के प्रलोभन और गलत दस्तावेज दिखा कर लोगों को अपने चंगुल में फंसाते है। जमीन और फ्लैट का अग्रिम और पूरा पैसा लेकर फरार हो जा रहे हैं। इसके बाद पीड़ित थानों का चक्कर लगाते हैं, लेकिन उन्हें समय पर न तो न्याय मिलता है और न ही जमीन। कई जमीन के साथ कुछ गिफ्ट देने, सस्ती जमीन देने और तत्काल जमीन की रजिस्ट्री कराने का प्रलोभन देकर लोगों को चंगुल में फंसाया जा रहा है। थाने तक मामला भी पहुंचता है। प्राथमिकी भी दर्ज की जाती है। इसके बाद कार्रवाई के नाम पर पुलिस सिर्फ पीड़ितों को आश्वासन ही देती है। रांची के डोरंडा, लोअर बाजार, तुपुदाना, बरियातू समेत कई थानों में इस तरह के मामले दर्ज हैं, जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

एफआईआर दर्ज की, पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई

रांची समेत अन्य जिलों के दर्जनों लोगों को सस्ती कीमत में जमीन, कार व जेवरात के नाम पर लाखों रुपए की ठगी की गई थी। इस मामले में विकास कुमार दुबे ने लोअर बाजार थाने में साइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड के एजेंटों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी। लेकिन 10 दिनों के बाद भी पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। न तो पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार की है और न ही पीड़ितों को पैसा ही उन्हें दिला पायी है। हालांकि पैसे की वापसी की आस में प्रतिदिन पीड़ित थाने का चक्कर लगा रहे हैं। मगर पुलिस उनसे यह कह कर मामले को टाल रही है कि अनुसंधान चल रहा है जल्द ही कार्रवाई होगी। वहीं दूसरी ओर आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई देखकर अब आस टूटती जा रही है।

आरोपी का ही पैसा लेकर कंपनी हुआ फरार

लोअर बाजार पुलिस अब साइन सिटी प्रोजेक्ट के रांची के एजेंटों को बचाने में जुट गई है। साथ ही मामले को रफा-दफा करने में जुट गई है। पुलिस ने जब आरोपियों से पूछताछ की तो उसने यह कह दिया कि कंपनी उनके लाखों रुपए लेकर फरार हो गई है। आरोपियों के बयान को पुलिस सही मानकर दर्ज भी कर ली है। पुलिस का कहना है कि अब कंपनी के मुख्य कार्यालय का पता लगा जा रहा है। उनका पता लगते ही उनसे भी पूछताछ की जाएगी। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

केस वन: बैंक व रिश्तेदार से कर्ज लेकर दिया था पैसा

पिस्कामोड़ निवासी विकास कुमार दुबे ने कार व जमीन खरीदने के लिए कंपनी में 17 लाख रुपए जमा किए थे। इन दोनों चीजों के लिए उन्होंने अपने एक रिश्तेदार व बैंक से कर्ज लेकर कंपनी में पैसे जमा किए थे। वह खुद एक कंपनी में मार्केटिंग का काम करते हैं। कर्ज का पैसा नहीं देने की वजह से रिश्तों में खटास तो आ ही रही है। साथ ही बैंक का किस्त भी जमा करना मुश्किल हो गया है। समझ में नहीं आ रहा कि आखिर क्या करें।

केस टू: रिटायरमेंट के पैसे लगा दिया थे जमीन की आस में

डालटनगंज निवासी राजदीप कुमार पेशे से शिक्षक हैं। वह डालटनगंज के एक स्कूल में पढ़ाते हैं। राजदीप बताते हैं कि जमीन खरीदने के लिए छह साल से पैसा जमा कर रहे थे। कंपनी ने जो प्रलोभन दिया, वह उन्हें पंसद आया। यह आस जगी कि अब हमारा भी एक जमीन व मकान होगा। इसी आस में जमा पुंजी को दिए ही, साथ ही पिता के सेवानिवृत के पैसे भी कंपनी को दे दिए, ताकि उन्हें जमीन मिल जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मकान बनाने की आस भी टूट गई।

न्याय की आस में लगा रहे थानों का चक्कर

फरवरी 2020: गोंदा के विद्यापति नगर की रहने वाली सावित्री मिश्रा को जमीन देने के नाम पर 8.35 लाख की ठगी कर ली गई है। प्रीसिजन कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक संजीव कुमार सिन्हा पर ठगी का आरोप है। आठ माह बाद भी सावित्री को न तो पैसा मिला और न ही जमीन।

फरवरी 2020: तुपुदाना के बालसिरिंग निवासी विकल बंसल से जमीन के नाम पर शंकर महतो नामक व्यक्ति ने 13.72 लाख रुपए की ठगी की थी। पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर जेल तो भेजी, मगर विकल को अब तक पैसे ही नहीं मिले।

सितंबर 2020: डोरंडा रहमत कॉलोनी के रहने वाले मो फसाहत करीम को फ्लैट के नाम पर उनसे 65 लाख रुपए की ठगी की गई थी। डोरंडा थाने में आइजक रक्षित, मनीष किरण, आशीष शीतल, राजपत शितल उर्फ राजपत कुमार समेत अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। दो माह बाद भी आरोपियों को पुलिस नहीं पकड़ पायी। यहां तक कि पीड़ित को पैसे भी नहीं दिए गए।

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