बोले रांची:: ट्रंप का टैरिफ स्थानीय उद्यमी के लिए खोलेगा संभावनों के द्वार
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए जवाबी टैरिफ का झारखंड से निर्यात होने वाले उत्पादों पर असर पड़ सकता है। लाह, ऑटोमोटिव पार्ट्स और लौह-इस्पात उत्पादों पर टैरिफ बढ़ सकता है, लेकिन अमेरिका ने भारत...

रांची, संवाददाता। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा जवाबी टैरिफ की घोषणा से झारखंड से निर्यात होने वाली वस्तुओं पर इसका असर पड़ सकता है। खासकर लाह, ऑटोमोटिव पार्ट्स, लौह-इस्पात से जुड़े उत्पादों के निर्यात पर इसका अधिक असर पड़ेगा। लेकिन, अमेरिका द्वारा दूसरे देशों के मुकाबले भारत में टैरिफ कम लगाया गया है। इससे स्थानीय निर्यातकों के लिए संभावनों के नए द्वार भी खुलेंगे। बाजार में नए अवसर पैदा होंगे। यह बातें झारखंड चैंबर के पदाधिकारियों ने चैंबर भवन में हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में कही। झारखंड से लाह, स्टील-आयरन से बने उत्पाद, टेक्सटाइल, ऑटोमोटिव पार्ट्स, फेरो अलॉय, बॉल या रोलर बियरिंग, स्टैंडर्ड वायर रोप्स, बॉल स्क्रू, माइका और माइका से जुड़े उत्पाद, ट्यूब और पाइप फिटिंग, रिफेक्ट्री ब्रिक्स, ब्लॉक्स, टाइल्स, जैकेट्स. ब्लेजर, शूटकेस समेत 50 से अधिक छोटे-बड़े सामानों का निर्यात अमेरिका में किया जाता है। इनमें कई उत्पादों को अमेरिका ने एनेक्सचर टू में रखा है। यानी इस पर टैरिफ में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। लेकिन, बाकी उत्पादों को एनेक्सचर-1 में शामिल किया गया है। जिस पर टैरिफ बढ़ाया गया है।
झारखंड चैंबर से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि इस टैरिफ वार का असर देश के साथ-साथ झारखंड से निर्यात होने वाली वस्तुओं पर भी पड़ेगा। इससे इन उत्पादों की बिक्री घटेगी। और उत्पादन भी कम होगा। लेकिन कारोबारियों का यह भी कहना है कि इस टैरिफ वार के दो पहलू हैं। इसमें पहला पहलू यह है कि जहां कई सेक्टर पर इसका असर पड़ेगा। व्यापार-कारोबार मंदा होगा। वहीं, इसमें दूसरा साकारात्मक पहलू यह भी है कि अमेरिका ने अन्य देशों के मुकाबले भारत पर जवाबी टैरिफ कम लगाया है। अमेरिका ने भारत पर 27 फीसदी टैरिफ की घोषणा की है। जबकि, बंग्लादेश पर 37, चाइना पर 34, पाकिस्तान पर 30 और श्रीलंका पर 44 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे कई उत्पादों के निर्यातक को फायदा हो सकता है, साथ ही रेसिप्रोकल टैरिफ से स्थानीय निर्यातकों के लिए संभावनों के नए द्वार भी खुलेंगे।
वहीं, व्यवसायियों का कहना है कि टैरिफ बढ़ने से उत्पादों की कीमत भी बढ़ेगी। इसके बाद अमेरिकी खरीदारों का रुख महत्वपूर्ण हो जाएगा। यदि ये उत्पाद अन्य देशों के मुकाबले सस्ता होगा तो ज्यादा समस्याएं नहीं होंगी। पर महंगी होने पर प्रोडक्ट की गुणवत्ता और खरीदारों का रुख ही सबसे अहम होगा। उन्होंने कहा कि झारखंड लाह के उत्पादन में अग्रणी राज्य है। देश में कुल उत्पादन का लगभग 51 फीसदी उत्पादन झारखंड में ही होता है। इसका निर्यात भी कई देशों में किया जाता है। वहीं, अमेरिका भी इसका बड़ा
खरीदार है।
उन्होंने कहा कि रांची से 30 किलोमीटर दूर स्थित खूंटी में रहने वाली आधी से अधिक आबादी लाह कारोबार से जुड़ी है। यदि इस पर टैरिफ लगेगा तो इससे जुड़े लाखों लोगों के व्यवसाय पर सीधा असर पड़ेगा। खूंटी में लगभग 1660 टन लाह का उत्पादन होता है। वहीं, कुल उत्पादन का 20 फीसदी स्थानीय उद्योगों में इस्तेमाल होता है। 80 फीसदी अमेरिका, जर्मनी समेत दूसरे देशों में निर्यात होता है।
व्यवसायियों का कहना है कि इस पर टैरिफ में वृद्धि से इसके निर्यात पर काफी असर पड़ेगा। दरअसल, उनके मुताबिक टैरिफ लगने से या तो लाह(लाख) निर्यातकों को अमेरिका में ऊंचे दाम पर अपने उत्पाद बेचने होंगे। या यहां के किसानों से सस्ती दर पर खरीदारी करनी होगी। स्थानीय कारोबारियों का यह भी कहना है कि भारत को भी रेसिप्रोकल टैरिफ कम करना चाहिए। जिससे अमेरिका से भारत निर्यात होने वाली वस्तुएं यहां लोगों को सस्ती दर पर मिलेगी। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच अच्छे संबंध हैं। केंद्र सरकार को अमेरिका से जवाबी टैरिफ पर बात करनी चाहिए।
झारखंड से मुख्यत: किन उत्पादों को होता है निर्यात
झारखंड से फेरो अलॉय, रोलर, बियरिंग, वायर रोप्स, मोटर व्हीकल एसेसरीज, आयरन-स्टील उत्पाद, माइका, माइका वेस्ट, केबल, नेचुरल गम, मैटरेस सपोर्ट, रिफ्रेक्टरीज ब्लॉक्स, इलेक्ट्रिक्ल कैपेसिटर, डायरेक्शन फाइंडिंग कम्पास, वायर ऑफ आयरन ओर या नॉन अलॉय स्टील, गारमेंट्स, शर्ट, सूटकेस, कोल तार से निकाले हुए पिच एंड पिच कोक सहित लाह का निर्यात अमेरिका में किया जाता है।
भारत को अपने नए व्यापारिक मित्र भी तलाशने चाहिए
वर्तमान में भारत के लिए वैश्विक बाजार में बड़ा अवसर है। भारत को अपने नए व्यापारिक मित्र भी तलाशने चाहिए। इससे संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे। भारत के लिए निर्यात के विकल्प खुल जाएंगे। ऐसा समय है जो व्यापारिक संकट के बीच संभावना तलाशनेवाली स्थिति की है। साथ ही दूसरे देशा पर लगे अधिक टैरिफ का भारत को फायदा उठाने की आवश्यकता है।
अमेरिका को भारत से बेहतर संबंध की आस, रवैया नर्म
झारखंड चैंबर के पदाधिकारियों ने कहा कि भारत को टैरिफ कम करने की दिशा में विचार करनी चाहिए। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा है कि अगर भारत अपना टैरिफ कम करता है तो वे भी वर्तमान टैरिफ में रिवाइज कर सकते हैं। ट्रंप का रवैया भारत के प्रति नर्म दिख रहा है। भारत पर टैरिफ भी उन्होंने अन्य देशों के मुकाबले कम लगाया है, वह हमसे से बेहतर संबंध चाहता है।
टैरिफ वार पर अमेरिका से बात करे भारत
भारत सरकार को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से बातचीत कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस टैरिफ वार से भारतीय निर्यातकों के व्यापार पर असर नहीं पड़े। अगर भारतीय सामान अमेरिका में महंगे होते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के पास कई विकल्प होंगे। वे या तो अधिक कीमत चुकाकर भारतीय सामान खरीदेंगे (अगर उन्हें वह विशेष रूप से पसंद है या उसके जैसा कोई और विकल्प नहीं है), या वे सस्ते विकल्प की तलाश करेंगे जो या तो अमेरिका में बने हों या किसी ऐसे देश से आयातित हों, जिस पर कम या कोई टैरिफ न लगता हो। कुछ उपभोक्ता अपनी खरीद की आदतों को भी बदल सकते हैं। तो मांग में कमी आना स्वभाविक है।
व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ी
चैंबर के पदाधिकारियों ने कहा कि अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है, जिसका समाधान निकलना चाहिए। इससे उत्पादों की मांग और निर्यात घटने की आशंका बन गई है। अमेरिकी टैरिफ से हमारा निर्यात तो उनका बाजार भी प्रभावित होगा। इसका प्रभाव अमेरिका के आंतरिक व्यापार पर भी पड़ने की संभावना है।
समस्याएं
1. अमेरिका के टैरिफ वार से झारखंड के कई सेक्टर पर पड़ सकता है असर
2. एक्सपोर्ट्स के सामने अमेरिका के साथ व्यापार करना चुनौतीपूर्ण
3. अमेरिका के टैरिफ वार से वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई
4. अमेरिकन्स हित में नई टैरिफ शुरू की गई है, यह वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालेगा
5. अमेरिका में भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों की कीमत बढ़ने के आसार
सुझाव
1. टैरिफ वार से दूसरे देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत हो सकते हैं
2. एक्सपोर्ट्स को नए विकल्प तलाशने होंगे, जिससे निर्यात प्रभावित न हो
3. सरकार को निर्यात के लिए अमेरिका पर निर्भरता कम करनी चाहिए
4. दूसरे देशों के साथ मिलकर भारत को इससे उबरने के लिए ठोस रणनीति बनानी चाहिए
5. केंद्र सरकार को अमेरिका से जवाबी टैरिफ पर बात करनी चाहिए
:: बोले लोग::
टैरिफ वृद्धि के कारण भारतीय निर्यात उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव कंपोनेंट जैसे प्रमुख क्षेत्र जिनका अमेरिका को महत्वपूर्ण निर्यात हाेता है, उनकी मांगों में कमी आ सकती है। जिससे उत्पादन और रोजगार में कमी आ सकती है। टैरिफ से झारखंड पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा
- परेश गट्टानी, अध्यक्ष, झारखंड चैंबर
अमेरिका का नया टैरिफ वॉर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत के जीडीपी पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा यह भी सुनिश्चित है कुछ सेक्टर पर इसका प्रभाव देखना पड़ सकता है। परंतु इससे अमरीका का व्यापार पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। भारत के लिए नई व्यापार नीतियां बनाने का मौका भी हो सकता है।
-संजय अखौरी, कार्यकारिणी सदस्य, झारखंड चैंबर
अमेरिकी टैरिफ से आने वाले दिनों में हमारा ट्रेड धीमा पड़ सकता है। इसमें समारात्मक चीज है कि दूसरे देशों में अधिक टैरिफ लगाया गया है।
-ज्योति कुमारी
रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से भारत के निर्यात पर असर पड़ेगा, जिससे अमेरिका बाजार में उसका मुकाबला कड़ा हो जाएगा।
-अरुण बुधिया
अमेरिकी टैरिफ से सबसे अधिक हिट फार्मा सेक्टर होगा। झारखंड के संदर्भ में यहां से बहुत कुछ एक्सपोर्ट नहीं होता है।
-महेश पोद्दार, पूर्व सांसद (राज्यसभा)
टैरिफ से उत्पादों की मांग और निर्यात घटने की आशंका बन गई है। अमेरिकी टैरिफ से हमारा निर्यात तो उनका बाजार भी प्रभावित करेगा।
-राहुल साबू
अमेरिका टैरिफ से ऑटो, टेक सहित कई सेक्टर प्रभावित होंगे। इस कदम से वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
-किशोर मंत्री
अमेरिका द्वारा उत्पादों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाना चुनौती है। इस वैश्विक ट्रेड वॉर से भारतीय अर्थव्यवस्था में अस्थिरता बढ़ सकती है।
-ओम प्रकाश अग्रवाल
लॉग टर्म में एक्सपोर्टस के सामने अमेरिका के साथ व्यापार करना चुनौतीपूर्ण होगा। दूसरे देशों के साथ व्यापार के रास्ते खुल सकते हैं।
-आदित्य मल्होत्रा
यह टैरिफ भारत से अमेरिका को निर्यात होनेवाले उत्पादों पर लगाया गया है, जो एक्सपोर्टर्स के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है।
-रोहित अग्रवाल
राष्ट्रपति ट्रम्प के दूसरी बार आने से कुछ बेहतर होने की संभावना बनी थी पर टैरिफ वॉर के रूप में उनका वर्तमान रवैया अन्य देशों के लिए अनुचित है।
-पवन शर्मा
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