तोरपा में रामनवमी जुलूस का गौरवमय इतिहास, 1958 से अनवरत निकल रही है शोभायात्रा
तोरपा में रामनवमी शोभायात्रा का 67 साल पुराना गौरवमयी इतिहास है। 1958 में स्व. चतुर साव के प्रयास से पहले जुलूस की शुरुआत हुई थी। जुलूस में कई गांवों के लोग शामिल होते हैं। समय के साथ यह समारोह भव्य...

तोरपा। जनजातीय बहुल तोरपा में रामनवमी शोभायात्रा का अपना गौरवमयी इतिहास रहा है। 67 साल पहले जिस रामनवमी जुलूस की शुरूआत की गयी थी, अब वह विशाल व भव्य रूप ले चुका है। तोरपा में वर्ष 1958 में पहली बार रामनवमी पर जुलूस निकाला गया था। पूर्व प्रमुख स्व. चतुर साव के प्रयास से 1958 में पहला जुलूस तोरपा में निकाला गया था। स्व. चतुर साव ने अपने मित्र पूर्व मुखिया स्व. रामनरेश भगत, स्व. नंदकिशांर भगत, स्व. रामदयाल भगत, स्व. केदार गुप्ता, स्व. राजकिशांर गुप्ता, स्व. रैन सिंह, स्व. तिलक सिंह, डोमन साहू, सिधु गौंझु, शंभुनाथ सिंह, बडाईक साहब, छेदना नायक के पिता, देवचंद गौंझु, हीरालाल साहू, धुरंधर सिंह, भुवनेश्वर साहू आदि के साथ मिलकर रामनवमी पर्व की शुरुआत की थी। बाजारटांड से जुलूस निकलता था। जुलूस में दर्जनों गांवों के लोग महावीरी झंडा के साथ शामिल होते थे।
रांची से जुलूस देखकर आये थे चतुर साव:
शिवशंकर साहू व पंचम मास्टर बताते हैं कि स्व. चतुर साहू कारोबार के सिलसिले में रांची आना-जाना करते थे। रांची में रामनवमी शोभायात्रा देखकर काफी प्रभावित हुए। लौटने के बाद अपने सहयोगियों से बात कर तोरपा में भी शोभायात्रा निकालने का निर्णय लिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई। कमेटी के पहले अध्यक्ष स्व. चतुर साव बने, जबकि अखाड़ा कमेटी के पहले अध्यक्ष स्व. रामनरेश भगत व सचिव भुवनेश्वर साहू बने। बाजारटांड में अखाड़ा बनाया गया। बेलाहाथी खूंटी से लाठी खेल का प्रशिक्षण देने के लिए स्व. जेहल राम को बुलाया गया। पहले साल के जुलूस में लगभग 40 झंडा के साथ दर्जनों गांव के लोग शामिल हुए। पंचम साहू बताते हैं कि इससे पूर्व बडाईक साहब अकेले झंडा लेकर पूरे गांव का भ्रमण करते थे।
रांची से मोटिया अपने प्रदर्शन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिये थे:
रामनवमी शोभायात्रा को लेकर लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए स्व. चतुर साव रांची से मोटिया मजदूरों को तोरपा बुलवाया था। यूपी मिर्जापुर के रहने वाले मोटिया अखाड़ा में आकर्षक लाठी खेलकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। स्व. चतुर साव रांची से झंडा लाकर गांव-गांव जाकर बांटते थे और जुलूस में शामिल होने के लिए न्योता देते थे।
1976 से मेन रोड में होनेलगा आयोजन:
मोहन भगत व बिजेन्द्र भगत बताते हैं कि किसी बात को लेकर विवाद हो जाने के बाद 1976 में मेन रोड में रामनवमी का आयोजन होने लगा। देवेन्द्र साव के बारी में अखाड़ा बनाया गया। ग्रीन एवं बजरंग दल के नाम से कमेटी बनाई गई। स्व हलधर सिंह पहले अध्यक्ष बने। खूंटी के राधे भगत व बाद में निताई मास्टर लाठी खेल सिखाते थे। मंगलवारी जुलूस की भी शुरुआत हुई। पेट्रोमेक्स की रोशनी में जुलूस निकाला जाता था। जुलूस तोरपा के अलावा डिगरी जाता था। मेन रोड में मंदिर बनने के बाद वहीं रामनवमी महोत्सव मनाया जाने लगा। अब काफी भव्य रूप से रामनवमी महोत्सव का आयोजन होता है।
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