एनईपी ने गुरुकुल की प्राचीन अवधारणा को पुनर्जीवित किया: प्रो एस चटर्जी
रांची के गोस्सनर कॉलेज में आयोजित सात दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम में प्रो एस चटर्जी ने नई शिक्षा नीति पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति चरित्र निर्माण का लक्ष्य रखती है और...
रांची, विशेष संवाददाता। गोस्सनर कॉलेज के आईक्यूएसी की ओर से आयोजित सात दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम में शुक्रवार को- आकलन और मूल्यांकन पद्धति, विषय पर आरकेडीएफ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एस चटर्जी का व्याख्यान हुआ। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ने गुरुकुल की प्राचीन अवधारणा को पुनर्जीवित कर दिया है। कहा कि आप किसी भी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते हैं, उसका माध्यम और पाठ्यक्रम भले ही भिन्न हो, लेकिन शिक्षा का मूल लक्ष्य चरित्र का निर्माण है। नई शिक्षा नीति पर बात करते हुए कहा कि इसको लागू करने में चुनौतियां भले ही हैं, लेकिन अगली पीढ़ी के लिए यह उपयोगी होगी। एनईपी विद्यार्थी के बहुमुखी विकास का अवसर प्रदान करती है। शिक्षकों को चाहिए कि अपने ज्ञान और कौशल का विकास करें।
दूसरे सत्र में झारखंड राय विश्वविद्यालय के डॉ पीयूष रंजन ने समग्र और बहुविषयक, शिक्षा पर बात करते हुए कहा कि बहुविषयक शिक्षा की अवधारणा हमारे यहां प्राचीन काल से रहा है। गुरुकुल परंपरा में विद्यार्थियों को सभी कलाओं की शिक्षा दी जाती थी। कहा कि पश्चिमी शिक्षा के मॉडल का दुष्परिणाम यह हुआ कि हमारी चिंतन पद्धति पूरी तरह बदल गई।
सत्रों का संचालन डॉ प्रियंका सोरेंग और सुमंत कुमार ने किया। कार्यक्रम में कॉलेज की प्रोफेसर इंचार्ज प्रो इलानी पूर्ति, बर्सर प्रो प्रवीण सुरीन, संयोजक डॉ अजय कुमार सहित तीनों संकाय के फैकल्टी इंचार्ज, विभिन्न विषयों के विभागाध्यक्ष सहित सभी प्राध्यापक और कर्मी मौजूद थे।
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