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विकास भवन हुआ,जर्जर

फोटो-बॉबी सर - 1993 में बना विकास भवन। -भवन के छज्जे टूट कर गिर रहें

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीThu, 16 Jan 2025 11:37 AM
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फोटो-बॉबी सर - 1993 में बना विकास भवन।

-भवन के छज्जे टूट कर गिर रहें हैं।

- हर एक कोना बना पीकदान ।

रांची,संवाददाता।

यह वह भवन हैं जहां ये पूरे जिले की विकास की योजना तैयार होती हैं। जहां से विकास का काम पूरा होता हैं। आज वहां की स्थिति बेहद जर्जर हो चुकी हैं। सामने से ही पूरी तरह से भवन बदहाल हो चुकी हैं। कहीं छज्जे लटक रहें तो कहीं पर पूरी तरह से गिर ही चुके हैं। पूरे जगह अब केवल जंग लगे रोड दिखाई पड़ रहें हैं। ये भवन अपने ही विकास के लिए तरस रहा हैं। कचहरी चौक स्थित इस भवन में कई पदाधिकारी बैठते है जिनमें आयुक्त और डीपीओ जैसे कई बड़े अधिकारी हैं। लेकिन,इस पूरे भवन में इन सभी अधिकारियों के चेंबर एकदम चकाचक हैं। लेकिन,चेंबर से बाहर निकलते ही भवन की बदहाली स्थिति नजर आ जाती हैं। जिसमें आने-जाने वाले सीढ़ियों के ऊपर के छजे भी गिर चुके हैं, वहां मौजूद कई अधिकारी और कर्मचारियों ने बताया कि कई बार बड़ा हादसा होने से भी टला हैं। कहीं भी कभी -कभी कुछ भी गिर जाता हैं। सबसे अधिक ऐसी हालत बरसात के समय होती हैं। कई जगहों से पानी टपकता रहता हैं। जिस कारण छत और दिवारें भी पानी से कम जोर हो जाती हैं। जिसे काफी परेशानी होती है,इास समय पर भवन में कहीं जाने से भी डर लगता है। कहीं कुछ पर भी कुछ गिर न जाए । पूरे भवन में कहीं पर कूड़ेदान तक की व्यवस्था नहीं हैं। जिस कारण भवन का हर एक कोना पीकदान बन गया है। यहां आने-जाने वाले लोगों ने भी पान -गुटखा के पीक से पूरे भवन के कोनों को लाल रंग से भर दिया हैं। भवन के कुछ तल्लों पर वहां रखे कचड़ों को भी बाहर निकाल कर रख दिया हैं। जिस कारण वो और भी गंदा लगता हैं। कहीं पर खराब हो चुका एसी तो कहीं टेबल आदि बाहर रख दिये गए हैं। जिस पर धूल पड़ रहीं हैं।भवन का निर्माण तीन दशक पहले 25 जनवरी 1993 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद जी के द्वारा कराया गया था। लेकिन, अब विकास भवन की हालत बेहद जर्जर हो चुकी हैं। आजीविका दीदी कैफे के सामने की हालत भी बेहद खराब हो चुकी हैं। कई बार कैंटीन के सामने के छज्जे भी टूट कर गिर चुके हैं। वहां काम करने वाली दीदी बताती हैं कि कई बार हादासा होने से टला हैं और ग्राहकों की जान बची हैं। शौचालय के दरवाजें भी टूट चुके हैँ, कहीं के तो नल ही नहीं हैं। कई शैचालय में तो ताला भी मारा हुआ है और कई के अंदर लगे टाइलस भी टूटकर ,निकलकर गिर रहें हैं। बाहर लटके छज्जे से कई बार इनके टुकड़े यहां पर काम करने आने वालों की वाहनों पर भी गिर चुका हैं। पिलर से प्लास्टर तक और भवन के अंदर के कई जगहों के रंग भी गायब हो चुके हैं। भवन के ऊपर का हिस्सा कभी भी किसी के ऊपर गिर सकता हैं। प्रशसान को भी इस पर ध्यान देने की जरूरत हैं नहीं भी तो रोजाना लगभग सैंकडों की संख्या में लोग यहां अपना काम कराने आते हैं।

विकास भवन के मरम्मत के लिए प्रस्ताव लगभग एक साल पहले ही भेज दिया गया हैं। लेकिन पैसा अभी तक नहीं आया हैं। जहां की स्थिति बेहद खराब है,वहां मैं स्वयं उसे जल्द से जल्द ठीक कराने की कोशिश करूंगा।

-दिनेश कुमार यादव ,उपविकास आयुक्त,रांची

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