जोर पकड़ने लगी कुरमाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग
कुर्मी समुदाय द्वारा बोली जानकारी वाली कुरमाली भाषा को भी आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज हो गई...
कुर्मी समुदाय द्वारा बोली जानकारी वाली कुरमाली भाषा को भी आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज हो गई है। जिस तरह जनजातीय समुदाय में से कुडुख, मुंडारी और हो को 8 वीं अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा राज्य सरकार ने की है। उसी तर्ज पर अब कुरमाली को भी करने की मांग उठने लगी है। धीरे-धीरे यह अब राजनीतिक मुद्दा भी बनता जा रहा है। वर्ष 2011 के अनुसार राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या 27 फीसद है तो कुर्मी समुदाय की आबादी 23.5 फीसद है। इसलिए अब राज्य की बड़ी आबादी भी अपनी भाषा को लेकर गोलबंद होना शुरू हो गई है।
पिछड़ी जाति में शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध :
झारखंड कुरमी महासभा प्रदेश कार्य समिति ने कुर्मी जाति को केंद्रीय पिछड़ी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध किया है और इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है। इसके अलावा कुर्मी-महतो जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की भी वकालत की है। साथ ही इस मुद्दों को लेकर सभी कुर्मी विधायक, सांसद, मंत्री सहित अन्य नेताओं को एक मंच में लाने की भी कवायद महासभा की ओर से शुरू कर दी गई है। साथ ही इसके लिए आंदोलन करने के लिए रणनीति बनना भी शुरू हो गई है।
कुर्मी को पिछड़ी जाति की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव भेजकर हेमंत सरकार ने कुर्मियों को आपस में बांटने का काम किया है। कुड़मी, कुरमी, कुर्मी, महतो सभी एक ही जाति है। सिर्फ भाषा अंदत के कारण इस तरह का संशय बना हुआ है। एसटी सूची में शामिल करने की मांग को कमजोर करने की भी साजिश है। कुमेश्वर महतो, अध्यक्ष कुर्मी महासभा
हमलोग कई दिनों से कुरमी जाति को एसटी सूची में शामिल करने की मांग कर रहे है। पिछली सरकार में आश्वासन दिया गया। इसके अलावा कुरमाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग का भी हमलोग समर्थन करते है। यदि हमारी मांगे नही मानी गई, तो वृहद आंदोलन की रूप रेखा खड़ी की जाएगी।
ओम प्रकाश महतो, प्रवक्ता, कुरमी विकास मोर्चा।
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