कैथोलिक चर्च के फादर राजू फेलिक्स ने लिखी लोककल्याण पुस्तक
रांची के फादर डॉ राजू फेलिक्स कास्ता ने भगवद् गीता पर आधारित 'लोक कल्याण' नामक पुस्तक लिखी है। यह उनकी तीसरी पुस्तक है, जिसमें गीता के तृतीय अध्याय के सिद्धांतों का विश्लेषण किया गया है। पुस्तक में...

रांची, वरीय संवाददाता। कैथोलिक चर्च के ईसाई पादरी और संत अलबर्ट थियोलॉजिकल कॉलेज के फादर डॉ राजू फेलिक्स कास्ता ने लोक संग्रह भगवद् गीता में लोक कल्याण नामक पुस्तक लिखी है। उनकी यह तीसरी पुस्तक है। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक लोकसंग्रह के दर्शन का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जो भगवद् गीता के तृतीय अध्याय श्लोक 20 और 25 से लिया गया एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि कर्मणैव हि संसिद्धिमास्थिता जनकादय:। लोक संग्रहमेवापि संपश्यन्कर्तुमर्हसि। यानि राजा जनक और अन्य महापुरुषों ने केवल कर्मयोग द्वारा सिद्धि प्राप्त की, इसलिए तुम्हें भी लोककल्याण की दृष्टि से अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। फादर ने बताया कि यह पुस्तक व्याख्यात्मक व व्याख्याशास्त्रीय दृष्टि से गीता के दर्शन को प्रस्तुत करती है, जो विश्व की अत्यंत प्रतिष्ठित धार्मिक पुस्तक है। ऋग्देव हमें सिखाता है कि मानव जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए, आत्मन:मोक्षार्थ जगत हिताय च, यानि अपने मोक्ष के साथ संपूर्ण जगत का कल्याण भी। यह पुस्तक पांच अध्यायों में विभाजित है, जिसमें लोक संग्रह के दार्शनिक आधार, इसकी व्याख्या, प्रसिद्ध विचारकों के दृष्टिकोण, अन्य यूर्वी व पश्चिम विचारधाराओं से इसकी तुलना और समकालीन समाज में इसकी प्रासंगिकता को विस्तार पूर्वक समझाया गया है। यह पुस्तक सरल भाषा में लिखी गई है, जो न केवल ज्ञानवर्धक व चिंतनशील है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध करने वाली है। यह पुस्तक आईएसपीसीके, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गई हैं। इस पुस्तक का मूल्य 375 रुपये है।
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