जेएसएससी की प्रेस वार्ता सीआईडी जांच प्रभावित करने की कोशिश : प्रतुल
15 दिसंबर के छात्रों के प्रस्तावित प्रदर्शन से भयभीत है सरकार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब सीबीआई जांच की अनुशंसा करें
रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने जेएसएससी की प्रेस वार्ता को सीआईडी जांच प्रभावित करने की कोशिश बतायी है। प्रतुल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री ने सीजीएल परीक्षा की सीआईडी जांच के आदेश दिए, वहीं दूसरी तरफ आज जेएसएससी ने सीजीएल परीक्षा को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद को क्लीन चिट दे दी। यह सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के द्वारा सीआईडी जांच के आदेश को प्रभावित करने का मामला प्रतीत होता है। प्रतुल ने कहा यह हड़बड़ी पूरे मसले को संदिग्ध बना देता है। ये सारे तथ्य जेएसएससी सीआईडी जांच के क्रम में जांच अधिकारी को बताता तो बेहतर होता। प्रेस कांफ्रेंस करके आयोग सीधे तौर पर जनमत बनाने और जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। प्रतुल ने कहा कि अब मुख्यमंत्री को पहल करते हुए सीबीआई जांच की अनुशंसा करनी चाहिए।
प्रतुल ने कहा कि सीजीएल परीक्षा में बड़े आरोप लगे। पहली बार जब परीक्षा हुई तो व्हाट्सऐप में 25 लाख रुपए में प्रश्न पत्र लीक करने का आरोप आया। दूसरी बार की परीक्षा में इंटरनेट बंद होने के बावजूद भी छात्रों ने पुरानी परीक्षाओं से प्रश्न पत्र को सीरियल से उतारने के गंभीर आरोप लगाए। अदालत में मामला विचाराधीन रहने के बावजूद भी परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया। उसके बाद हजारीबाग में परीक्षा के परिणाम का विरोध कर रहे छात्रों पर लाठी चार्ज भी हुआ। जब स्थानीयता परिभाषित नहीं है तो फिर किस आधार पर जेएसएससी सिर्फ स्थानीय छात्रों के चयनित होने का दावा कर रहा?
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जेएसएससी ने दावा किया कि परीक्षा में 80% से भी ज्यादा स्थानीय छात्रों का चयन हुआ है। जब सरकार के स्तर पर आज तक स्थानीयता का कट ऑफ डेट परिभाषित नहीं है, तो फिर किस आधार पर जेएसएससी ये दावा कर रहा। प्रतुल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने तो शत प्रतिशत यहां के आदिवासी मूलवासी छात्रों को तृतीय और चतुर्थ ग्रेड में नौकरी देने की बात कही थी। राज्यपाल के अभिभाषण में भी यही बात दोहराई गई तो यह आंकड़ा तो शत प्रतिशत होना चाहिए था। प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि जेएसएससी के अधिकारियों को ईमेल से जो धमकियां मिली हैं, यह प्रथम दृष्टया बहुत ही गंभीर मामला प्रतीत होता है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर जिन अधिकारियों को धमकी दी गई है, उनको सरकार सुरक्षा भी मुहैया कराए।
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