घर पर ही हैं न? घर पर ही रहिए। अस्पताल का हाल खराब है...
कोरोना के बढ़ते संक्रमण में अस्पतालों में मरीजों को बेड, ऑक्सीजन और जरूरी दवाएं तो नहीं मिल रही हैं दूसरी ओर होम आइसोलेशन में रहने वालों का भी...
रांची। प्रमुख संवाददाता
कोरोना के बढ़ते संक्रमण में अस्पतालों में मरीजों को बेड, ऑक्सीजन और जरूरी दवाएं तो नहीं मिल रही हैं, दूसरी ओर होम आइसोलेशन में रहने वालों को प्रशासन भी तवज्जो नहीं दे रहा है। शहर में बड़ी संख्या में संक्रमित होम आइसोलेशन में रहकर इलाज करा रहे हैं, लेकिन 15 दिनों तक प्रशासन की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिली है। न ही इंसीडेंट कमांडर ही इन्हें फोन करते हैं और न ही डॉक्टरों का ऑनलाइन परामर्श ही इन्हें मिल रहा है। 15 दिनों बाद कंट्रोल रूम से फोन कर पूछा जाता है कि घर पर ही हैं न? घर पर ही रहिए। अस्पताल का हाल खराब है। इसके बाद फोन रख दिया जाता है।
इंसीडेंट कमांडर नहीं उठाते फोन:
जरूरत पड़ने पर जब पीड़ित इंसीडेंट कमांडर को फोन करते हैं तो वे फोन नहीं उठाते, न ही जवाब दे रहे हैं। कंट्रोल रूम का फोन तो कभी लगता ही नहीं है। होम आइसोलेशन में रहने वालों के घर भी सेनिटाइज नहीं किए जा रहे हैं और न ही उनकी कांटेक्ट ट्रेसिंग ही की जा रही है।
परिचितों से पूछ कर खा रहे दवाई:
लोग अपने परिचितों और पूर्व में संक्रमित लोगों से दवाओं के नाम मंगाकर खरीद रहे हैं। लोगों की शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है। होम आइसोलेशन वालों की जब तबीयत बिगड़ जा रही है और ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, जिला प्रशासन न तो उन्हें अस्पताल ले जा रहा है और न ही उनके लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर रहा है। अगर प्रशासन का कोई अधिकारी फोन उठा भी ले तो खुद ऑक्सीजन की व्यवस्था करने को कहते हैं।
होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज की मौत होने के बाद उसकी जानकारी किसे देनी है और इसके लिए परिवार को क्या करना है इसकी जानकारी भी समय पर नहीं मिलती है। वरीय अधिकारियों से संपर्क करने पर वह संबंधित इंसीडेंट कमांडर का नंबर दे देते हैं। इंसीडेंट कमांडर फोन नहीं उठाते। ऐसे में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
केस वन:
बरियातू में रहने वाले किशोर सिंह 20 दिन पहले पॉजिटिव हुए थे। करीब 15 दिनों बाद कंट्रोल रूम से फोन कर पूछा गया कि घर पर ही हैं न? इलाज करा रहे हैं न? किशोर ने कहा कि उनकी दूसरी रिपोर्ट आ गयी है और वे निगेटिव हो गए हैं। तो कंट्रोल रूम वाले ने कहा कि होम आइसोलेशन वाला फॉर्म भर दीजिए। फोन करने का वाला कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। धमकी देते हुए कहा कि फॉर्म नहीं भरिएगा तो उठा लेंगे और इसके बाद फोन रख दिया।
केस टू:
धुर्वा में रहने वाले सत्यानारायण सिंह की होम आइसोलेशन में मौत हो गयी। उनके घर के अन्य सदस्य भी पॉजिटिव थे। जब एसडीओ को इसकी जानकारी दी गयी और अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने का आग्रह किया गया, तो जवाब मिला कि इंसीडेंट कमांडर से बात करिए। इंसीटेंड कमांडर फोन नहीं उठा रहे थे। काफी पैरवी लगाने के बाद उन्हें एंबुलेंस सेल का फोन नंबर मिला। फोन करने पर जवाब मिला एंबुलेंस खाली नहीं है। बेहतर होगा निजी एंबुलेंस से घाघरा श्मसान पहुंच जाएं।
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