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क्षेत्रीय भाषाओं के स्वतंत्र विभागों में होंगे नामांकन

जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं में इस सत्र से इनके स्वतंत्र विभागों में नामांकन लिए जाएंगे। रांची विश्वविद्यालय और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के तहत नौ...

क्षेत्रीय भाषाओं के स्वतंत्र विभागों में होंगे नामांकन
हिन्दुस्तान टीम रांचीTue, 9 April 2019 08:53 PM
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जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं में इस सत्र से इनके स्वतंत्र विभागों में नामांकन लिए जाएंगे। रांची विश्वविद्यालय और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के तहत नौ भाषाओं की पढ़ाई होती है, लेकिन इनका विभाग एक ही था। इसके तहत जनजातीय भाषा में- संताली, हो, मुंडारी, खड़िया, कुड़ुख और क्षेत्रीय भाषाओं में- नागपुरी, कुरमाली, खोरठा और पंचपरगनिया शामिल हैं। लंबे समय से विद्यार्थी इन भाषाओं का स्वतंत्र विभाग बनाने की मांग कर रहे थे। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने विश्वविद्यालयों को इन भाषाओं के स्वतंत्र विभाग बनाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद अब इनका स्वतंत्र विभाग शुरू होने जा रहा है। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की ओर से इन भाषाओं का स्वतंत्र विभाग शुरू करने की अधिसूचना जारी की जा चुकी है। रांची विश्वविद्यालय की ओर से अधिसूचना जारी किया जाना बाकी है।

डीएसपीएमयू में यूजी-पीजी में लिये जाएंगे नामांकन : डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में इस सत्र से जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के नौ स्वतंत्र विभागों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में नामांकन लिये जाएंगे। यहां इन भाषाओं में स्नातक में 60-60 सीटों पर नामांकन होंगे, जबकि स्नातकोत्तर में 40-40 सीटों पर नामांकन लिये जाएंगे। यहां छह स्थायी शिक्षक- खड़िया, खोरठा, कुरमाली, नागपुरी, कुड़ुख, मुंडारी विषयों में हैं। वहीं, संताली और हो में एक-एक और पंचपरगनिया व मुंडारी में दो-दो अनुबंध शिक्षक हैं। विश्वविद्यालय में नामांकन प्रक्रिया मई से शुरू हो जाएगी और जुलाई के दूसरे सप्ताह तक कक्षाएं शुरू कर देने का लक्ष्य रखा गया है। पिछली बार चांसलर पोर्टल से ऑनलाइन नामांकन के कारण काफी परेशानी आई थी। इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन की एनआईसी से बात हुई है, जिसमें पिछली बार ऑनलाइन नामांकन में जो दिक्कतें आई थीं, उन्हें दुरुस्त करने के लिए कहा गया है।

रांची विश्वविद्यालय में तैयारी : रांची विश्वविद्यालय में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के लिए तीन स्थायी शिक्षक हैं, जिनमें नागपुरी में दो- डॉ त्रिवेणी नाथ साहू और डॉ उमेशानंद तिवारी और कुड़ुख में एक डॉ हरि उरांव हैं। इसके अलावा 42 अनुबंध शिक्षक हैं। प्रति भाषा में 50-50 सीटों पर नामांकन लिये जाते हैं। सरकार की ओर से सभी नौ भाषाओं के लिए 5-5 शिक्षकों के पद सृजित किए जा चुके हैं। कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि इस सत्र से विभाग शुरू हो जाएंगे।

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