‘मुखौटा के जरिए धर्म पर चर्चा करनेवालों पर कटाक्ष
झारखंड फिल्म एंड थिएटर एकेडेमी (जेएफटीए) के मिनी सभागार में रविवार की शाम नाटक मुखौटा का मंचन किया गया। नाटक में दिखाया गया किस तरह आज देश में लोग धर्म का मुखौटा लगाकर धार्मिक सद्भाव को विखंडित कर...
झारखंड फिल्म एंड थिएटर एकेडेमी (जेएफटीए) के मिनी सभागार में रविवार की शाम नाटक मुखौटा का मंचन किया गया। नाटक में दिखाया गया किस तरह आज देश में लोग धर्म का मुखौटा लगाकर धार्मिक सद्भाव को विखंडित कर रहे हैं। इसका साक्षात उदाहरण बीते दिनों दिल्ली में हुई हिंसा है, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जानें चली गईं। नाटक में लंगड़ नाम के एक दिव्यांग चायवाले की व्यथित दशा को दिखाया गया। जब लंगड़ चाय की दुकान लगाता है, तब उसकी दुकान पर दो नौजवान प्रखर और सुधांशु चाय पीने आते हैं।
चर्चा के दौरान अक्सर लोग देश व्यापी चर्चा कर तो बैठते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का इल्म नहीं होता कि उनके आस पास कौन बैठा है और क्या धार्मिक भावना रखते हैं। प्रखर और सुधांशु बेबाक दूसरे-धर्म के बारे में सुनी सुनाई बातों से प्रभावित होकर कड़वे कटाक्ष करते हैं, लेकिन अंत में पता चलता है कि लंगड़ उसी धर्म का है, जिसपर वो कटाक्ष कर रहे थे। ऐसे में दोनों की ही बोलती बंद हो जाती है और आखिरकार दोनों को अपनी गलती का एहसास होता है। नाटक में अभिषेक कुमार, ललित साव और आकाश प्रमाणिक ने अपने अभिनय से अपने किरदार को जीवंत किया।
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