युवा अपने ज्ञान और कौशल से राष्ट्र की प्रगति में दें योगदान: राज्यपाल
रांची में बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी) का 34वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया, जिसमें 2715 डिग्रियाँ प्रदान की गईं। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने छात्रों को राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने...
रांची, विशेष संवाददाता। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी), मेसरा का 34वां दीक्षांत समारोह शनिवार को आयोजित किया गया। इसमें इंजीनियरिंग, प्रबंधन, वास्तुकला, विज्ञान और फार्मेसी सहित विभिन्न विषयों के स्नातकों को सम्मानित किया गया। इस वर्ष संस्थान ने स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी सहित कुल 2715 डिग्री प्रदान की। साथ ही विभिन्न विषयों के 17 टॉपरों को उनके उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही संस्थान ने अपनी 70वीं वर्षगांठ का भी उल्लास मनाया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार उपस्थित थे। राज्यपाल ने डिग्री प्राप्त करनेवाले युवाओं को अपने ज्ञान और कौशल से राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का आग्रह किया। कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित और पद्म भूषण से सम्मानित डॉ बी एन सुरेश, बीआईटी मेसरा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन सीके बिड़ला और कुलपति डॉ इंद्रनील मन्ना सहित विद्यार्थी, शोधार्थी, शिक्षक और अभिभावकण मौजूद थे।
शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञापन प्राप्त करना नहीं
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञापन प्राप्त करना ही नहीं है, बल्कि इसे समाजोपयोगी बनाना है। युवाओं के पास वह विजन और क्षमता होनी चाहिए, जो समाज के उत्थान और देश की प्रगति में योगदान दे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा व्यवस्था युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के लिए तैयार कर रही है। आज के उद्योग जगत को ऐसे पेशेवरों की जरूरत है, जो तकनीकी कौशल के साथ निर्णय लेने की क्षमता रखते हों। उन्होंने बीआईटी मेसरा के छात्र आशीष वासवानी की चर्चा की, जिनके शोध पत्र- अटेंशन इज ऑल यू नीड, पर आर्टिफशियल इंटेलिजेंस (एआई), आधारित है।
राज्यपाल ने बीआईटी मेसरा को भारत में चयनित शीर्ष 100 संस्थाओं में- 5जी यूज केस लैब्स, के रूप में चुने जाने की सराहना की। कहा कि ये प्रयोगशालाएं लाइसेंस प्राप्त दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए हस्तक्षेपमुक्त संचालन सुनिश्चित करने में कारगर होंगी। उन्होंने विद्यार्थियों को हर चुनौती से मिले अनुभव से सीखने और उद्यमिता, नवाचार व अनुसंधान में सहभागिता के लिए प्रेरित किया।
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों ने इसे वैश्विक नेता के रूप में पहचान दी: डॉ बीएन सुरेश
पद्मभूषण डॉ बीएन सुरेश ने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत के चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस अभूतपूर्व उपलब्धि ने अंतरिक्ष अन्वेषण में वैश्विक नेता के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत किया है। डॉ सुरेश ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के अनूठे दृष्टिकोण पर जोर दिया, जो राष्ट्रीय विकास के लिए उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का प्रभावी ढंग से लाभ उठाते हैं। कहा कि ये अनुप्रयोग प्राकृतिक संसाधन सर्वेक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन और कई अन्य क्षेत्रों में फैले हुए हैं। कहा कि आज भारत को विश्व की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। भारत वैक्सीन, अनुसंधान, विनिर्माण, वितरण और कूटनीति अद्वितीय है। उन्होंने विद्यार्थियों को नई-नई चीजें सीखने के लिए प्रेरित किया।
भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मजबूत करने में युवा इंजीनियरों की अहम भूमिका: सीके बिड़ला
बीआईटी मेसरा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अध्यक्ष सीके बिड़ला ने उद्योगों और समाज को नया रूप देने में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर दिया। इस विकसित परिदृश्य में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए, उन्होंने तकनीकी प्रगति को अपनाने के महत्व पर जोर दिया। कहा कि एआई, डेटा साइंस और ऑटोमेशन जैसे अत्याधुनिक नवाचारों में महारत हासिल करना भविष्य की सफलता को आकार देने में महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि सीखने के लिए आजीवन प्रतिबद्धता को बढ़ावा देकर, युवा आगे रह सकते हैं। भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मजबूत करने में युवा इंजीनियरों की अहम भूमिका होगी।
कुलपति ने उपलब्धियां गिनाईं
कुलपति प्रो इंद्रनील मन्ना ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट साझा की, जिसमें संस्थान की ओर से की गई नई पहलों, सुधारों और सामाजिक सेवाओं के बारे में बताया। उन्होंने कुल 30 नए शोध अनुदानों को मंजूरी दिलाकर शोध की संस्कृति को बढ़ावा देने और मजबूत करने में संस्थान की गहरी रुचि के बारे में बताया। उन्होंने संस्थान में नए उपकरणों और प्रयोगशालाओं, संस्थान की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्तियों और संस्थान के शिक्षकों और विद्यार्थियों की उल्लेखनीय उपलब्धियों के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 के दौरान कैंपस में 180 नियोक्ता कैंपस ड्राइव के लिए आए, जिसमें 629 जॉब ऑफ विद्यार्थियों को औसतन 12.07 लाख प्रतिवर्ष के मिले। अधिकतम पैकेज 52 लाख रुपये प्रतिवर्ष बीटेक प्रोग्राम के लिए मिला।
सभी परिसरों के विद्यार्थियों को मिली डिग्री
दीक्षांत समारोह में बीआईटी मेसरा मुख्य परिसर सहित लालपुर परिसर, पटना परिसर, देवघर परिसर, नोएडा परिसर, जयपुर परिसर व यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक, बीआईटी मेसरा के विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई।
मेसरा मुख्य परिसर: 1,300 डिग्री
पटना परिसर: 267 डिग्री
लालपुर परिसर: 481 डिग्री
यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक, मेसरा: 177 डिग्री
देवघर परिसर: 146 डिग्री
नोएडा परिसर: 149 डिग्री
जयपुर परिसर: 195 डिग्री
इन्हें मिला गोल्ड मेडल
रिद्धि शर्मा- आर्किटेक्चर, तिवारी आस्था आलोक- बीटेक बायोटेक्नोलॉजी, मनप्रीत सिंह- बीटेक केमिकल-इंजीनियरिंग, स्नेहा झा- बीटेक केमिकल-प्लास्टिक एंड पॉलिमर, मिंलिंद- बीटेक सिविल इंजीनियरिंग, सौम्य कांति पांडा- बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, निशांत बियानी- बीटेक इलेक्ट्रिकल एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, शाश्वत सिन्हा- बीटेक इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, ऋषिका राज- बीटेक इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, एहतेशाम सिद्दिकी- बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग, अनिरुद्ध चटर्जी- बीटेक प्रोडक्शन इंजीनियरिंग, अमृता बंदोपाध्याय- होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी, स्निग्धा चक्रवर्ती- फॉर्मेसी, प्रयत्न गुप्ता- बीबीए, सौम्या भारती- बीसीए, साक्षी तिवारी- एनिमेशन एंड मल्टीमीडिया, अंकिता गिरि- मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी।
टॉपरों ने कहा
एहतेशाम सिद्दिकी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग- अपनी शिक्षा का उपयोग समाज के उत्थान के लिए करना मेरा लक्ष्य है। समाज के विकास में मेरा भी योगदान हो इस उद्देश्य के साथ आगे बढ़ना चाहता हूं। अपनी सफलता का श्रेय अपने अभिभावकों व शिक्षकों को देना चाहूंगा।
ऋषिका राज, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी- वर्तमान में गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम कर रही हूं। आगे एमबीए करने के बाद प्रबंधन के क्षेत्र में देश के विकास के लिए काम करना चाहती हूं। बीआईटी मेसरा में हमें विद्वान शिक्षकों के मार्गदर्शन में अपना भविष्य गढ़ने में मदद मिली।
शाश्वत सिन्हा, ईईई- अपने विषय का टॉपर बनकर उत्साहित हूं। आगे स्नातकोत्तर करने के बाद इंवेस्टमेंट बैंकर के रूप में काम करना चाहता हूं, क्योंकि यह क्षेत्र संभावनाओं से भरपूर है। मेरी सफलता में मेरे अभिभावकों, शिक्षकों और दोस्तों की अहम भूमिका है।
सौम्य कांति पांडा, सीएसई- कॉर्पोरेट जगत में प्रतिष्ठित भूमिका में काम करने का सपना है। इसके लिए पहले अपने स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करूंगा, उसके बाद आगे का रास्ता खुल जाएगा। उद्योग जगत ने मुझे शुरू से प्रभावित किया है, इस क्षेत्र में काम करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने की इच्छा रखता हूं।
मिलिंद भास्कर, सिविल इंजीनियरिंग- अभी बीटेक ही पूरा हुआ है, आगे और पढ़ाई करनी है। आगे अपने आप को सीईओ के रूप में काम करते हुए देखना चाहता हूं। देश के विकास और नीति निर्माण में अपना योगदान अपनी योग्यता के बल पर हासिल करने का सपना है।
स्नेहा झा, केमिकल प्लास्टिक एंड पॉलिमर इंजीनियरिंग- देश के विकास में प्रौद्योगिकी और नवाचार महत्वपूर्ण है। इन दोनों क्षेत्रों में एक युवा पेशेवर के रूप में योगदान देना चाहती हूं। आज हमारे देश की प्रौद्योगिकी का परिदृश्य काफी बदल गया है, नए-नए प्रयोग हो रहे हैं, इनका हिस्सा बनना चाहती हूं।
मनप्रीत सिंह, केमिकल इंजीनियरिंग- तकनीकी ज्ञान का उपयोग देश के विकास के लिए करना चाहता हूं। एक औसत युवा के रूप में नहीं, बल्कि कुशल पेशवर के रूप में अपनी पहचान चाहता हूं। अपनी शिक्षा का उपयोग समाज की भलाई के लिए कर सकूं यह लक्ष्य लेकर चल रहा हूं।
ऋद्धि शर्मा, आर्किटेक्चर- डिजाइनिंग का फील्ड बहुत रचनात्मक है, इसलिए यह विषय चुना था। टॉपर बनकर रोमांचित हूं। मेरा लक्ष्य मौलिक समाधान और नवाचार के लिए काम करना है। आर्किटेक्चर को मौजूदा समय के हिसाब से समाजोपयोगी बनाने के लिए काम करूंगी।
अमृता बंदोपाध्याय, होटल मैनेजमेंट- एक सफल होटेलियर बनना चाहती हूं। भारतीय आतिथ्य परंपरा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के दिशा में काम करने का लक्ष्य है। परंपरिक व जनजातीय खानपान और इनके पोषण गुणों को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करना चाहती हूं।
आशा बरजो ने शारीरिक अक्षमता को दी मात
समारोह में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की छात्रा आशा बरजो, जो एक जेनेटिक बीमारी से ग्रस्त हैं ह्वील चेयर पर डिग्री लेने आईं। आशा को अपने विषय में 77.9 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनसे जन्मजात आस्टियो जेनेसिस इम्परफेक्टा (एक वंशानुगत हड्डी विकार), बीमारी है जिसके कारण वह चल-फिर नहीं सकतीं। लेकिन, ऐसे वंशानुगत रोग को लेकर लोगों की सोच को बदलने के लिए उन्होंने वह हर चुनौती स्वीकार की जो आम लोगों की भ्रांति को दूर सके। अपनी सफलता से उत्साहित आशा ने कहा कि लोग सोचते हैं कि मैं चल-फिर नहीं सकती तो मेरे लिए दुनिया खत्म है, लेकिन इस सोच को बदलना ही मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जिसने लिए मैं निरंतर प्रयास कर रही हूं।
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