टीएसएफ ने वेस्ट बोकारो में पहला कृत्रिम अंग वितरण शिविर का किया आयोजन
टाटा स्टील फाउंडेशन ने वेस्ट बोकारो में दिव्यांगजन के लिए विशेष स्क्रीनिंग कैंप आयोजित किया, जिसमें 11 लाभार्थियों को कृत्रिम अंग प्रदान किए गए। शिविर में 16 दिव्यांगजन का परीक्षण किया गया। यह पहल...
वेस्ट बोकारो, निज प्रतिनिधि। टाटा स्टील फाउंडेशन ने गुरुवार संध्या दिव्यांगजन के लिए एक विशेष स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया। जिसमें उन्हें सहायक कृत्रिम अंग प्रदान किए गए। यह पहल जयपुर स्थित प्रतिष्ठित संस्था भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बीएमवीएसएस) के सहयोग से की गई। जो दिव्यांगजन के पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। शिविर में 16 दिव्यांगजन का व्यापक परीक्षण किया गया। जिसमें मेडिकल विशेषज्ञों और स्वास्थ्य कर्मियों ने सहयोग दिया। परीक्षण के बाद 11 लाभार्थियों को कृत्रिम अंग प्रदान किए गए। यह शिविर राजेंद्र नगर, घाटोटांड स्थित रिक्रिएशन क्लब में आयोजित किया गया। शिविर में लाभान्वित हुए दिव्यांगजन झारखंड के रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के विभिन्न गांवों से आए थे, जिनमें बडगांव, बंजी, कर्मा, टोपा, बारुघुटू मध्य, बोंगाबर, दूधमटिया, भरेच नगर, ओरला और सोनडीहा शामिल हैं। इस दौरान सात कृत्रिम पैर, तीन कृत्रिम हाथ, दो वॉकिंग स्टिक और तीन बैसाखियां वितरित की गईं। शिविर में वेस्ट बोकारो डिवीजन के जनरल मैनेजर अनुराग दीक्षित और रक्षा दीक्षित के साथ चीफ कैपसिटी एन्हांसमेंट प्रोजेक्ट राजेश कुमार, सिक्योरिटी हेड अखिलेश कुमार और टाटा स्टील फाउंडेशन के अन्य सदस्य भी कार्यक्रम में शामिल हुए, जिनके सहयोग से यह दिनभर का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
यह शिविर टाटा स्टील फाउंडेशन की पब्लिक हेल्थ टीम के अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों के किए गए डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप आयोजित किया गया। इस सर्वे में रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड में 233 दिव्यांगजन की पहचान हुई, जिनमें से कई को कृत्रिम अंग या आजीविका सहायता की आवश्यकता थी। सर्वेक्षण के आधार पर फाउंडेशन ने दिव्यांगजन के सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए आजीविका समर्थन, जागरूकता कार्यक्रम और उन्हें सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की पहल की। वहीं, कृत्रिम अंग प्रदान करने के लिए विश्वसनीय और समान विचारधारा वाले संगठनों का सहयोग आवश्यक था, जिसके तहत यह शिविर आयोजित किया गया।
फाउंडेशन का लक्ष्य इन प्रयासों को बढ़ाने का है और रामगढ़ जिले के बड़े क्षेत्र में ऐसे शिविर आयोजित करने की योजना है, ताकि दिव्यांगजन की पहचान की जा सके, उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा सके और उनकी सहायता की जा सके। यह प्रयास टाटा स्टील फाउंडेशन की सबल टीम के विस्तार के रूप में सामने आया है, जो अब दिव्यांगजन के लिए एक समान और समावेशी दुनिया बनाने की दिशा में एक राष्ट्रीय परिवर्तन मॉडल के रूप में उभर रही है। इस सफर के दौरान यह बात समझ में आई कि दिव्यांगजन को अवसरों और जानकारी तक समान पहुंच मिलनी चाहिए, जहां उनकी दिव्यांगता सबसे बड़ी रुकावट नहीं है, बल्कि समाज की वह सामान्य मानसिकता है, जो दिव्यांगजन के प्रति सहानुभूति दिखाती है। फाउंडेशन ने इस रुकावट को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं, जिनमें दिव्यांगजन को सरकारी कल्याण योजनाओं से जोड़ना, रोजगार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए क्षमता निर्माण करना और सहायक उपकरण प्रदान करना शामिल है, ताकि वे भेदभाव से परे, सम्मानपूर्ण जीवन जी सकें। इसके अलावा, दिव्यांगजन के लिए प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाने की योजनाएं भी हैं, ताकि आवश्यक दस्तावेज पूरे किए जा सकें और वे सरकारी योजनाओं और अधिकारों का लाभ उठा सकें।
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