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बोले रामगढ़ : नाविकों को सरकारी मदद और अनुदान की है दरकार

पतरातू डैम वर्षों से पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। लेकिन वर्तमान में नाविकों और अन्य श्रमिकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से कोई...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Fri, 21 Feb 2025 12:16 AM
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बोले रामगढ़ : नाविकों को सरकारी मदद और अनुदान की है दरकार

पतरातू डैम पर्यटकों के लिए वर्षों से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वर्तमान समय में यहां पर पर्यटन विभाग का तो वारे-न्यारे है ही, साथ ही आसपास के गांव के सैकड़ों लोग इस डैम के कारण रोजगार से जुड़े हैं। किंतु वर्तमान समय में ये लोग विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। लेकिन सरकार या सरकार के नुमाइंदों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ कार्यक्रम के तहत स्थानीय लोगों ने कहा कि नाविकों को सरकार की ओर से अनुदान और मदद मिलनी चाहिए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। पतरातू । पतरातू डैम रोजगार का केंद्र बन गया है। यहां से पर्यटन विभाग को काफी आय हो रही है। स्थानीय ग्रामीण भी यहां पर विभिन्न तरह के रोजगार कर रहे हैं। इसमें देसी नाव और आधुनिक बोट एक बेहतर रोजगार का माध्यम बन गया है।

वर्तमान समय में जेटीडीसी का बोट क्लब जिसे अंटार्कटिका नामक कंपनी चला रही है। वहीं लेक रिसॉर्ट के चिल्ड्रन पार्क के नीचे तीन नाव घाट मौजूद है, जहां पर सैकड़ों देसी नाव और दर्जनों आधुनिक बोट चलाए जा रहे हैं। डैम के कटुआ कोचा क्षेत्र में तीन और तालाटांड़ नाव घाट में भी सैकड़ों देसी नाव और दर्जनों आधुनिक बोट चलाए जा रहे हैं। इसमें स्थानीय लोग बोट और नाव से बेहतर कमाई कर रहे हैं।

मालूम हो कि दिसंबर से लेकर फरवरी तक डैम में सैलानी और पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस समयावधि में नाविकों का लाखों रुपए की कमाई हो जाती है। जबकि बरसात के मौसम में कमाई कम हो जाती है। वहीं नाविक बताते हैं कि दिसंबर और जनवरी छोड़कर साल के दूसरे महीनों में बहुत ही कम कमाई होती है। दो माह तक यहां पर खूब सैलानी पहुंचते हैं। किंतु शेष दस माह में उन्हें केवल पेट पालने भर कमाई हो पाती है। फिर भी यह व्यवसाय सैकड़ों लोगों के लिए जीने और रोजगार का सहारा बन गया है। मालूम हो कि डैम में देसी नाव और आधुनिक बोट से बोटिंग कराने की रोजगार में तालाटांड़, उचरिंगा, सोलिया, पलानी, लबगा, रसदा, नेतुआ, बरघुटूवा, आराशाहा, मेलानी, चेतमा, हरिहरपुर, गेगदा, मुड़कटी, हेसला सहित आसपास के दर्जनों गांव के लोग जुड़े हुए हैं। वे यहां पर देसी नाव, शिकारा, खिलौना बोट आदि से कमाई करते हैं। डैम में नौ नाव घाट मौजूद हैं। इसमें आधा दर्जन से अधिक समितियां देसी नाव और आधुनिक बोट चलाते हैं। स्थानीय नाविक संघ से सैकड़ों लोग जुड़े हैं। बताते हैं कि वर्तमान समय में सरकार की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं दी जाती है। अगर मदद की जाती तो निश्चित ही उनके रोजगार में इजाफा होता। सरकार की ओर से पूरे लेक रिसॉर्ट में घिसी-पीटी व्यवस्था की गई है। इसके कारण सैलानी अब निराशा हो गए हैं क्योंकि एक ही चीज को बार-बार सैलानी क्या देखें। वे लोग ईश्वर को प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि यह तो ईश्वर की कृपा है की पतरातू डैम प्रकृति के गोद में बसा हुआ है। ऊपर से हर वर्ष यहां पर सैकड़ों विदेशी मेहमान साइबेरियन पक्षी पहुंच जाते हैं जो डैम के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। सैलानी यहां पहुंचकर इन्हें देखकर पुलकित होते हैं। साथ ही इन्हीं साइबेरियन पक्षियों के कारण सैलानी बोटिंग करने की ओर आकर्षित होते हैं। यह प्रवासी पक्षी प्रत्येक वर्ष ठंड के मौसम में पतरातू डैम पहुंचते हैं, जो पर्यटकों के मनोरंजन व आकर्षण के केंद्र होते हैं। ठंड के प्रारंभ होते ही पतरातू लेकर रिसोर्ट में प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगने लगती है। इसके अलावा लेक रिसॉर्ट में चिल्ड्रन पार्क, पर्यटन विहार और सरोवर विहार नामक दो रेस्टोरेंट सहित छठ घाट, पाथवे आदि भी लोगों को आकर्षित करते हैं।

डैम में मौजूद प्रकृति प्रदत्त आईलैंड और बरसाती पलानी झरना होने के कारण भी लोग इस ओर बरबस ही खींचे चले आते हैं। लेक रिसॉर्ट के दोनों रेस्टोरेंट में शादी विवाह, मेहंदी आदि की रस्म होने के चलते भी लोग यहां पहुंचते हैं। नाविक चाहते हैं कि सरकार और पर्यटन विभाग पतरातू डैम के इस लेक रिजॉर्ट को और विकसित करें तभी यहां पर लोगों का रोजगार बढ़ेगा।

बहरहाल पतरातू डैम में दो तीन महीनों के लिए ही सही सिर्फ नौका विहार करने के लिए ही सैलानियों की जमघट लगती है। इस पर सरकार और जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि सैलानियों के आने से ही यहां पर नाविकों सहित खिलौने वाले, बैलून बेचने वाले, टॉय गाड़ी चलाने वाले, ठेला खोमचे वालों का रोजगार चलता है। साथ ही बस, टेंपो वालों का भी रोजगार चलता है। यहां तक कि पिकनिक मनाने वालों के लिए हर जरूरत के सामान की जरूरत होने पर क्षेत्र के मार्केट भी अच्छे चलते हैं।

प्रस्तुति: सलीम अंसारी

पतरातू डैम में नौका विहार से कई घरों का जलता है चूल्हा

डैम में देसी नाव और आधुनिक बोट के संचालन के लिए दर्जनों गांव के लोगों ने समिति बनाई है। इसके अलावा पर्यटन विभाग के जेटीडीसी की ओर से बोट क्लब का निर्माण किया गया है। इसे वर्तमान में अंटार्कटिका नामक कंपनी को बोट संचालन के लिए जिम्मा दिया है। फिलहाल इस कंपनी में लगभग 22 कर्मी कार्यरत हैं।

लेक रिसॉर्ट के निर्माण के बाद सबसे पहले इसी बोट क्लब में आधुनिक मोटर बोट लाए गए। वैसे तो डैम में सबसे पहले आसपास के गांव के लोग ही देसी नाव का संचालन कर लोगों को नौका विहार कराने का काम शुरू किया था। वर्तमान समय में डैम के आसपास गांव के दर्जनों ग्रामीण समिति बनाकर नाव का संचालन कर रहे हैं। इससे कई घरों का चूल्हा जलता है।

आईलैंड तक वोटिंग कर सैलानी उठाते हैं लुत्फ

पतरातू डैम पहुंचने वाले सैलानी आईलैंड तक वोटिंग कर लुत्फ उठाते हैं। यहां तक आधुनिक मोटर बोट से पहुंचने और कुछ घंटे तक रुक कर वापस लौटने वाले सैलानियों को एक वोट के लिए 1500 रुपए चार्ज किए जाते हैं। जबकि अन्य स्थान के लिए प्रति बोट 700 रुपए लिए जाते हैं। जबकि जेटीडीसी इंट्री गेट पर ही एंट्री शुल्क प्रति व्यक्ति 20 रुपए लिए जाते हैं। लेक रिसॉर्ट में मौजूद पर्यटन बिहार और सरोवर विहार नामक रेस्टोरेंट लेक रिसॉर्ट की शान है। इसके कारण सैलानी यहां पर पहुंचते हैं। इसी रिसोर्ट में रहने आने वाले पर्यटक नौका विहार का आनंद लेते है। साल के अंत मेंे और नए साल के दो महीने के अंतराल में यहां पर्यटकों की संख्या ज्यादा होती है।

चिल्ड्रन पार्क का टूट चुका है झूला

लेक रिसॉर्ट स्थित चिल्ड्रन पार्क सहित एडवेंचरस स्पोर्ट्स की मरम्मत करने की जरूरत है। क्योंकि चिल्ड्रन पार्क के अधिकतर झूला टूट चुका हैं। लगाए गए कृत्रिम घास भी समाप्त होने के कगार पर है। हालांकि प्रबंधन की ओर से कुछ मरम्मत करने का प्रयास किया गया है। किंतु इसे व्यापक तौर पर मरम्मत करने की जरूरत है। वर्तमान समय में तो एडवेंचर के सभी स्पोर्ट्स बंद है, जिसे मरम्मत कर चालू करने की आवश्यकता है। बता दें बहुत से पर्यटक अपने बच्चों के लिए ही पतरातू डैम आते है। चिल्ड्रन पार्क में मौज मस्ती के अलावा उसी दौरान बोटिंग भी करते है। ऐसे में चिल्ड्रन पार्क की स्थिति खराब होने से बहुत से पर्यटक डैम परिसर नहीं आएंगे।

नाविकों को आधुनिक बोट दे सरकार

पतरातू लेक रिसॉर्ट का चिल्ड्रन पार्क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इस कारण पर्यटकों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होते जा रही है। इस पार्क को व्यापक स्तर से मरम्मत कराने की जरूरत है तभी यहां पर पर्यटक और सैलानी पहुंचेंगे और नाविकों को भी फायदा पहुंचेगा। -अब्दुल कलाम

पर्यटकों के लिए पेयजल की सुविधा वोटिंग एरिया में मौजूद नहीं है। इस कारण भी पर्यटकों को पेयजल की समस्या होती है। नाव घाटों पर सैलानियों और पर्यटकों के लिए पेयजल की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध होनी चाहिए। -श्यामलाल ठाकुर

चिल्ड्र्रन पार्क के अंतर्गत मौजूद सुलभ शौचालय भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। इसके साथ ही नाव घाट पर कहीं भी यूरिनल या शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इसके कारण भी पर्यटकों को फ्रेश होने के लिए काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पेयजल की भी घोर समस्या है। -प्रयाग कुमार

डैम का बांध भी प्रतिदिन खराब होते जा रहा है। जो आने वाले समय के लिए अच्छा संकेत नहीं है। डैम के मेढ़ में लगाए गए पत्थर जगह-जगह उखड़ गए हैं। इसे व्यवस्थित करने की जरूरत है। साथ ही इसकी सुंदरीकरण की भी आवश्यकता है।

-प्रकाश भुइयां

जो लोग डैम के कारण विस्थापित हुए हैं। वे लोग अपनी जीविका चलाने के लिए नाव का परिचालन करते हैं। परंतु सरकार की तरफ से नाविक संघ को किसी प्रकार का सुविधा उपलब्ध नहीं करवाया गया है। जबकि विस्थापित और प्रभावितों को सरकार की ओर से सुविधा मुहैया करानी चाहिए। -समुद्र मुंडा

सरकार जल्द से जल्द चिल्ड्रन पार्क की मरम्मत कराए, ताकि पर्यटक अधिक से अधिक यहां पर पहुंचे और यहां के मोहक दृश्य को देखकर आनंदित हो सके। डैम के पास पेयजल की समुचित व्यवस्था हो। साथ ही शौचालय की भी व्यवस्था की जाए।

-जहूरन करमाली

नाव घाटों पर शेड की भारी कमी है। इससे नाविकों सहित सैलानियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां पर शेड बनाया जाए। इसके लिए जिला प्रशासन को पहल करनी चाहिए। वहीं पेयजल की भी समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए।

-बालेश्वर कुमार महतो

प्राकृतिक आपदा आंधी पानी के समय यहां पर काफी कठिनाई होती है इसके लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा यहां पर सुरक्षा की भी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि पर्यटक सुरक्षित महसूस कर सकें। साथ ही शौचालय की भी व्यवस्था करनी चाहिए।

-रब्बानी अंसारी

नाव घाट पर समुचित बिजली की व्यवस्था होनी चाहिए। यहां पर जगह-जगह स्ट्रीट लाइट की लगाई जानी चाहिए।इसके लिए पीवीयूएनएल और जिंदल को मदद पहुंचाने की जरूरत है। साथ ही पर्यटन विभाग या सरकार को भी इस ओर पहल करनी चाहिए।

-लुकमान हकीम

स्थानीय नाविकों की रोजगार में वृद्धि हो सके। इसके लिए सरकार और जनप्रतिनिधियों को उपाय करना चाहिए। साथ ही नए पार्क और अनुदान पर नाविक और नाविक संघ को आधुनिक किस्म के बोट, खिलौना बोट आदि मिलना चाहिए।

-नसीम अंसारी

टूटे नाव और खराब आधुनिक मोटर बोट की मरम्मत आदि के लिए सरकार को नाविक संघ और नाविकों की सहायतार्थ अनुदान देना चाहिए। साथ ही यहां पर रोजगार के लिए अन्य साधन भी उपलब्ध करानी चाहिए। साथ ही शौचालय की व्यवस्था करनी चाहिए।

-महावीर महतो

नाव घाटों में शेड का निर्माण होना चाहिए। भीड़ भाड़ वाले दिनों में कई पर्यटक आते है वे नौका विहार करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते है। शेड की कमी के कारण उन्हें धूप में खड़ा रहना पड़ता है। इससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

-रवि करमाली

पतरातू डैम के नाविकों का रोजगार महज दो माह तक चलता है। इसके बाद सभी बेरोजगार हो जाते हैं। खाने के लाले पड़ जाते हैं। किंतु सरकार की ओर से नाविकों को किसी तरह की मदद नहीं दी जाती है। यहां के नाविक राम भरोसे हैं। वे यहां पर वर्ष 2000 से नाव का संचालन कर रहे हैं। इस बीच कई सरकार आई और गई। किंतु नाविकों को किसी भी प्रकार की मदद नहीं पहुंचा है। -जियाउल अंसारी, अध्यक्ष, विस्थापित नाविक संघ पतरातू डैम

पतरातू डैम के नाविकों का रोजगार महज दो माह तक चलता है। इसके बाद सभी बेरोजगार हो जाते हैं। खाने के लाले पड़ जाते हैं। किंतु सरकार की ओर से नाविकों को किसी तरह की मदद नहीं दी जाती है। यहां के नाविक राम भरोसे हैं। वे यहां पर वर्ष 2000 से नाव का संचालन कर रहे हैं। इस बीच कई सरकार आई और गई। किंतु नाविकों को किसी भी प्रकार की मदद नहीं पहुंचा है। -जियाउल अंसारी, अध्यक्ष, विस्थापित नाविक संघ पतरातू डैम

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