ताजी मछलियों के खोज में प्रतिदिन सैकड़ों लोग पहुंचते हैं पतरातू डैम
पतरातू डैम पर प्रतिदिन सैकड़ों लोग ताजे मछलियों की खरीदारी करने आते हैं। मछली विक्रेता और मत्स्य सहयोग समितियां यहाँ ताजा मछलियाँ बेचकर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। विभिन्न प्रकार की मछलियाँ और उनके दाम...
पतरातू। ताजे मछलियों के खोज में प्रतिदिन सैकड़ों लोग पतरातू डैम पहुंचते हैं। मछली खाने के शौकिन लोग डैम के उचरिंगा मोड के निकट बेच रहे खुदरा मछली विक्रेताओं से मछली खरीदते हैं। या फिर मत्स्य सहयोग समितियों की ओर से डैम में लगाए गए मछली केज से मछली खरीदते हैं। पतरातू डैम रोजगार का हब बन गया है। चाहे वह मछली पालन हो या फिर पर्यटकों और सैलानियों को नौका विहार कराने वाले नाविक। मछली बेच कर रोजगार करने वाले रितिक नायक ने बताया कि यहां पर खुदरा में ताजा कतला मछली 200 रूपए, रोहू मछली 170 रुपए, बांबी मछली 240 रुपए, तेल पिया डेढ़ सौ रुपए, झींगा मछली 400 रुपए और पहाड़ी मछली 200 रुपए बिकता है। दूसरी और मत्स्य सहयोग समिति के लखन मुंडा और मुनसब अंसारी ने बताया कि वर्तमान समय में डैम में सात मत्स्य सहयोग समिति कैसे लगाकर रोजगार पा रहे हैं। इसमें पतरातू डैम मत्स्य जीवी समिति लिमिटेड लबगा, हेसला मत्स्यजीवी सहयोग समिति, सहयोग समिति मेलानी मत्स्यजीवी सहयोग समिति, तालाटांड़ मत्स्य सहयोग समिति, जराद मत्स्य जीवी सहयोग समिति और आराशाहा मत्स्य जीवी सहयोग समिति शामिल हैं। इन सहयोग समितियों की ओर से प्रतिवर्ष 20 से 30 क्विंटल मछली उत्पादन करते हैं। जिससे उन्हें प्रति वर्ष हजारों रुपए का आय होता है। साथ ही इन मत्स्य जीवी सहयोग समितियों को सरकार की ओर से अनुदान भी प्राप्त होते हैं।
- कभी-कभी खुदरा मछली विक्रेता डैम के मछली के नाम पर आंध्र प्रदेश के मछली भी बेचते हैं
आजकल जिस तरह से हर सामान में मिलावट का जमाना आ गया है। इस तरह डैम किनारे मछली बेचने वाले मछली विक्रेता भी डैम के ताजा मछली के नाम पर आंध्र प्रदेश के मछली भी मंगवाकर बेचते हैं।
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