बोले रामगढ़: कलाकारों को सहायता और रंगमंच की दरकार
रामगढ़ के कलाकारों ने सरकार और जिला प्रशासन से आर्थिक मदद की मांग की है। उनका कहना है कि बिना वित्तीय सहायता के उनकी प्रतिभा को उचित मंच नहीं मिल पा रहा है। कलाकारों ने स्थानीय फिल्म इंडस्ट्री को...
रामगढ़। मनोरंजन हर वर्ग की जरूरत है। लोगों को तनाव भरे काम के बीच मनोरंजन के लिए फिल्मों और गानों का सहारा लेना पड़ता है। इन गानों, फिल्मों और डॉक्युमेंट्रीज को बनाने का काम फिल्म जगत से जुड़े कलाकार करते हैं। रामगढ़ जिले में भी कई ऐसे कलाकार हंै जो गाने और फिल्म जैसे एंटरटेनमेंट कंटेंट के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर शॉर्ट फिलम्स और डॉक्युमेंट्रीज बना रहे हैं। अपनी काबिलियत से दूसरों का मनोरंजन करने वाले स्थानीय कलाकार उदास हैं। कलाकारों का कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन से उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिलती है। जिस कारण उनकी प्रतिभा खुल कर बड़े पर्दे पर नहीं आ पाती है। जिले में नाट्यशाला का भी निर्माण हो। रामगढ़ जिले के फिल्म जगत से जुड़े कलाकारों ने ढेरों ऐसी फिल्में बनाई हैं जो समाज को अच्छा संदेश देती है। वहीं क्षेत्रीय भाषाओं में कई गानों का भी निर्माण किया है। लेकिन इसके बावजूद आज रामगढ़ के कलाकार अपने आप को पिछड़ा हुआ महसूस करतें है। रामगढ़ के कलाकारों का कहना है हमारे क्षेत्र में कलाकारों की कमी नहीं है। लेकिन कलाकारों को आगे बढाने की कोई व्यवस्था नही है। कलाकार जब किसी फिल्म, गाने, शार्ट फिल्म्स आदि का निर्माण करता है, तो इसे राज्य तो दूर जिले में भी प्रमोट करने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में कलाकारों का हौसला भी जवाब दे देता है।
एक तो बड़े सिनेमा में क्षेत्रीय कलाकारों के बनाये गए फिल्मों के लिए बड़ी स्क्रीन नहीं मिल पाती। वहीं जिला प्रशासन की ओर से भी फिल्मों को प्रमोट नहीं किया जाता। इससे कलाकारों की बनाई गई फिल्में और गाने आदि कुछ ही दर्शकों के बीच सिमट कर रह जाती है। वहीं दूसरी ओर कलाकारों की शिकायत है कि उन्हें सरकार की ओर से किसी तरह का फाइनेंस नहीं मिल पाता। जिस कारण जो कलाकार अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं वे ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाते हैं। कलाकारों का कहना है कि दूसरे राज्यो में सरकार कलाकारों को प्रेफरेंस देती है साथ ही सब्सिडी देती है। पर यहां कुछ नहीं मिलती। झारखंड के फिल्म निर्माताओं को भी अगर प्रेफरेंस दिया जाए। तो यहां के कलाकार किसी से कम नहीं है। झारखंड बनने के साथ ही छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड राज्य भी बने थे। लेकिन आज उनकी फिल्म इंडस्ट्री झारखंड के ि×फल्म इंडस्ट्री से कई गुना ज्यादा आगे बढ़ चुकी है। जिसका मुख्य कारण है कि वहां की सरकार फिल्म से जुड़े कलाकारों को आगे बढाने के लिए सब्सिडी देती है क्षेत्रीय कलाकारों को वित्तीय सुविधा मुहैया करवाती है। जबकि झारखंड में ऐसा सिस्टम आज तक नहीं है। यहां के कलाकारों को खुद से फाइनेंस कर या फिर अपने साथी कलाकारों से पैसे लेकर अपनी फिल्में और गाने बनाने पड़ते हैं। रामगढ़ के कई कलाकारों की फिल्में है जो या तो आधी बनी है या फिर बन कर डब्बे में बंद है क्योंकि इन फिल्मों को पूरा करने और सेंसरबोर्ड से पास करवाने के लिए ि×फल्म निर्माताओं के पास फाइनेंस की कमी है। स्थानीय कलाकारों का कहना है कि प्रशासन को अगर कोई विज्ञापन बनाना हो या नुक्कड़ नाटक या सरकारी योजनाओं से संबंधित प्रचार-प्रसार करना होगा तो इसके लिए स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इससे स्थानीय कलाकारों को आर्थिक मदद मिलेगी। साथ ही नाम भी बढ़ेगा। प्रशासन को ऐड के लिए बाहर किसी को ढूंढ़ने से भी छुटकारा मिलेगा।
समस्याएं
1. कहानियों के हिसाब से लोकेशन नही मिल पाता। कोई लोकेशन चुना भी जाए तो किसी को आपत्ति हो जाती है।
2. झारखंड में अपना सेंसरबोर्ड नहीं होने से कोलकाता जाना पड़ता है, इससे परेशानी होती।
3. क्षेत्रीय स्तर की फिल्मों को पर्दा नही मिल पाता। सरकार को चाहिए कि क्षेत्रीय फिल्मों के लिए 100 इंच स्क्रीन अनिवार्य करें।
4. रिहर्सल और प्रैक्टिस के लिए रामगढ़ में थिएटर नहीं है।
5. स्थानीय बुद्धिजीवी वर्ग से भी सपोर्ट नहीं मिल पाता।
सुझाव
1. जिले में एक नाट्यशाला होनी चाहिए ताकि कलाकार अभ्यास कर सकें।
2. शूटिंग के लिए चयनित लोकेशन पर प्रशासन की ओर से सहयोग मिलना चाहिए।
3. खेल, कला संस्कृति विभाग को या जिला प्रशासन स्थानीय कलाकारों की मदद से विज्ञापन बनाना चाहिए।
4. राज्य में अपना सेंसरबोर्ड होना चाहिए ताकि बाहर न जाना पड़े।
5. जिला प्रशासन की ओर से स्थानीय कलाकारों को प्रमोट किया जाना चाहिए।
रामगढ़ में फिल्म सिटी का निर्माण जल्द कराया जाए
जिले के ि×फल्म जगत से जुड़े स्थानीय कलाकारों का कहना है कि हमें शूटिंग के लिए स्टोरी के अनुसार लोकेशन चुनने की समस्या भी होती है। हॉस्पिटल, पुलिस स्टेशन जैसी आदि लोकेशन की शूटिंग के दौरान कई तरह की बाधाएं आती हंै। उन जगहों पर शूटिंग करने की कई बार अनुमति नहीं मिलती। इसलिए जिले में पहले से पतरातू में जो जगह फिल्मसिटी बनने के लिए तय किया गया है वहां अगर सरकार की ओर से फिल्मसिटी बना दी जाए तो जिले के कलाकारों सहित राज्य भर के कलाकार वहां बिना किसी विघ्न के ि×फल्म, गाने या शार्ट फिलम्स आदि की शूटिंग कर सकते हैं।
हिन्दी फिल्मों को टक्कर देने का माद्दा रखती हैं स्थानीय फिल्में
एक वक्त ऐसा भी था जब रामगढ़ में क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों का निर्माण और उनका प्रदर्शन हुआ करता था। दर्शक भी क्षेत्रीय फिल्म को देखने के लिए बेताब रहते थे। रामगढ़ की धरती पर पूर्व में आधी रोटी, छोटका बाप, हाय रे मोर झारखंड, मायकर महिमा आदि फिल्मों का निर्माण हुआ था। इसमें आधी रोटी फिल्म को शहर के राजीव टॉकिज में लगाया गया था। वहीं उस वक्त न्यू शांति सिनेमा हॉल में शूट आउट एट लोखंडवाला फिल्म लगी थी। जिसमें बॉलीवुड के अमिताभ बच्चन, संजय दत, विवेक ओबरॉय, सुनील सेट्ठी, तुषार कपूर, अरबाज खान, अमृता सिंह, दिया मिर्या, नेहा धुपिया जैसे बड़े कलाकारों से सजी इस फिल्म को देखने के लिए दर्शक नहीं मिल रहे थे। इस फिल्म के कई शो को बंद करना पड़ा था। वहीं आधी रोटी फिल्म लगातार दस दिनों तक चलती रही। आज भी रामगढ़ की मिट्टी में वह सारी खूबियां है जो हिंदी फिल्म को टक्कर देने का माद्दा रखते हैं।
यूट्यूब के भरोसे कलाकार
सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिलने कि स्थिति में जिले के स्थानीय कलाकारों को यूट्यूब का सहारा लेना पड़ता है। फाइनेंस की कमी के कारण बड़ी फिल्में बना नहीं पाते। इसलिए अपने स्तर पर जिले के कलाकार यूट्यूब में चैनल बना कर अपना कंटेंट डाल लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। जिले के कलाकार मुकेश शाह ने बताया कि फाइनेंस और प्रमोट की कमी के कारण उन्हें अपना कंटेंट यूट्यूब पर मुफ्त में डालना पड़ता है। हालांकि यूट्यूब में मेरे काफी कंटेंट में अच्छे व्यू आए हैं। लेकिन किसी का सपोर्ट नहीं होने से ब्रॉड पब्लिक तक कंटेंट जा नहीं पाता है।
कई स्थानीय फिल्मों को मिल चुका है प्रशस्ति पत्र
समय बदलता गया नई-नई टेक्नॉलॉजी आ गई। अब सिनेमा हॉल तक लोग फिल्में देखने कम जाते हैं। कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आ गए हंै। फिर भी यहां के लोग आज भी बेहतर काम कर रहे हैं। जब मोबाइल का प्रचलन नहीं था तब रामगढ़ में क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों का निर्माण और उनका प्रदर्शन हुआ करता था। दर्शक भी क्षेत्रीय फिल्म को देखने के लिए बेताब रहते थे। स्थानीय कलाकारों को खूब प्रोत्साहित करते थे। लेकिन टेक्नोलॉजी में आए बदलाव के कारण अब स्थानीय फिल्म कम बन रही है। यहां पर बनी शॉर्ट फिल्में बेटी नहीं तो बहू कहां से लाओगे, घर वापसी, लुंगी, बंदे मातरम, द टीचर, अंजान सफर, हाईट, रिग्रेट, बार, खुशियों का आशियाना, आश्रम, धोखा सहित कई ऐसी फिल्में हैं जो समाज को एक संदेश देने का काम करता है। वहीं इनमें से कई फिल्मों को अलग अलग प्रदेशों में सराहना के साथ ही प्रशस्ति पत्र भी मिला है।
इनकी भी सुनिए
रामगढ़ जिला में कलाक्षेत्र से जुड़े तमाम लोगों के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार से हमारी मांग है कि इनकी बेहतरी के लिए ठोस कदम उठाया जाए। इन्हें फिल्म, शॉर्ट फिल्म, एल्बम, डाक्यूमेंट्री आदि शूटिंग में हर तरह का सहयोग किया जाए। जिला के कलाकारों के लिए आई कार्ड, एवार्ड सिस्टम, हेल्थ और एक्सिडेंटल बीमा, नाटक प्रस्तुत करने के लिए नाट्यशाला की व्यवस्था मिलनी चाहिए।
-बिनोद कुमार सिंह, अध्यक्ष फिल्म एसोसिएशन रामगढ़
जिला में कोई भी पुरानी भवन या कहीं भी 30-40 डिसमिल सरकारी भूमि को जिले के ि×फल्म जगत से जुड़े कलाकार देखें और उसके बाद मुझे जानकारी दें। मैं जिला मद से वहां नाट्यशाला बनवाने का काम करूंगा। साथ ही अन्य मांगों पर भी सकारात्मक पहल की जाएगी। जिले के स्थानीय कलाकारों को आगे बढ़ाने में जिला प्रशासन पूरा सहयोग करेगा। उनकी परेशानियों को समझते हुए उनको कैसी मदद दी जाए इस पर पहल की जाएगी।-चंदन कुमार, डीसी, रामगढ़
कलाकारों की पीड़ा
कलाकारों के लिए जिला प्रशासन की ओर से कोई सहयोग नहीं मिलता है। अगर सहयोग मिले तो रामगढ़ का प्रदेश में एक अलग पहचान होगा। यहां प्रतिभावान कलाकारों की कमी नही है। सही दिशा-निर्देशन से ये अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। -दीपक सिंह टाइगर, निर्देशक और फाइटर मास्टर
रामगढ़ जिला में झारखंड राज्य बनने के पहले से यहां फिल्म का निर्माण हो रहा है। लेकिन यहां के कलाकार आज भी उपेक्षा के दंश झेल रहे हैं। अगर सरकारी सहयोग मिलता तो आज काफी आगे होते और जिला के साथ राज्य का नाम रोशन करते।
-बिमल शर्मा
फिल्म निर्माण के दौरान कलाकारों का मेकअप बहुत जरूरी होता है। लेकिन बजट के अभाव में हमलोग किसी तरह मेकअप कर शूटिंग करते हैं। अगर सरकार इसमें सहयोग करे तो हमलोग इस क्षेत्र में और बेहतर काम कर सकते हैं।
-अविनाश सिंह
रामगढ़ में एनएसडी से पास कलाकार हैं। जो यहां रहकर यहां के लिए कुछ करना चाहते हैं। लेकिन आर्थिक मजबूरी के कारण कुछ बेहतर नहीं कर पाते हैं। इससे वे आगे नहीं बढ़ पा रहे। सरकार को इनकी सहायता करने की जरूरत है।
-धर्मेंद्र शर्मा
जिला प्रशासन बाहर के कलाकारों को मान सम्मान देती है लेकिन यहां के कलाकार जो देश के कोने कोने में यहां का नाम आगे बढ़ा रहे हैं। उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता। जिला प्रशासन इन कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए हर प्रकार का सहयोग प्रदान करे।
-शालिनी दुबे
हम कलाकारों को एक सही मंच की आवश्यकता है, जहां हम अपनी कला को आम जनता के सामने प्रस्तुत कर सकें। इसके लिए हमें जिला प्रशासन और सरकार से सहयोग की अपेक्षा है। साथ ही कलाकारों को रंगमंच भी मिले, जिससे उनकी प्रतिभा निखर सके।
-बिनोद वर्मा
यहां पर पतरातू में फिल्म सिटी का निर्माण होना था। अगर निर्माण हो जाता तो यहां के कलाकारों को अपनी कला का हुनर दिखाने में सहयोग मिलता। अभी स्टोरी के अनुसार लोकेशन के लिए काफी परेशनी होता है। फिल्म सिटी का निर्माण जल्द कराए
-संसार
कलाकार को काम के साथ-साथ उन्हें उचित मेहनताना नहीं मिल पाता है। इसके लिए राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। सरकार की ओर से कलाकारों को सहयोग मिलेगा, तो कलाकार अपनी प्रतिभा को और निखार कर सकेंगे। -बबलू शर्मा
स्थानीय कलाकारों को आर्थिक रूप से सहयोग करने के लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। इससे यहां के वैसे कलाकार जो तीन चार दशक से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं और कुछ बेहतर कर सकें और जिले का नाम रोशन कर सके।
-संजय मेहता
कलाकारों के उत्थान के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार को सिंगल विंडो सिस्टम रखना चाहिए। जहां लोग आसानी से अपनी बात सरकार तक पहुंचा सकें। साथ ही कलाकारों को रंगमंच की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से करने की जरूरत है।
-संजय बनारसी, निर्माता और निर्देशक
हम कलाकारों को जिला प्रशासन और सरकार की ओर से फिल्म तथा शॉर्ट फिल्मों की शूटिंग के लिए लोकेशन में सहयोग करना चाहिए, साथ ही सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए, ताकि हमलोग बिना डर और भय के अपना काम को बेहतर तरीके से कर सके।
-मुकेश साह
कलाकार को अपनी कला को दिखाने और निखारने के लिए एक रंगमंच की आवश्यकता है। जिला प्रशासन को इस ओर अपनी नजर इनायत करने की जरूरत है, ताकि जिले के स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा को दिखा सके और इस क्षेत्र में आगे बढ़ सके।
-आजाद सुहैल
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