कर्म ही व्यक्ति के भक्ति और ज्ञान को पूर्ण कर्ता है: कुंज बिहारी महाराज
गिद्दी के दुर्गा मंडप में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन, कथावाचक महाराज कुंज बिहारी शुक्ल ने कर्म के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कर्म ही भक्ति और ज्ञान का आधार है, और निष्काम भाव...
गिद्दी, निज प्रतिनिधि। गिद्दी के दुर्गा मंडप प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन गुरुवार को कथावाचक महाराज कुंज बिहारी शुक्ल ने भक्ति ज्ञान वैराग्य के माध्यम से कर्म की प्रधानता की विवेचना की। उन्होंने बताया कि कर्म ही व्यक्ति के भक्ति और ज्ञान को पूर्ण कर्ता है। उन्होंने कर्म के महत्व को दर्शाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा था कि निःसंदेह क्षण भर के लिए भी कोई भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता है। ऐसे में कर्म करना ही प्रकृति का नियम है और इसका विरोध नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कर्म निष्काम भाव से ईश्वर के लिए जाते हैं वे बंधन नहीं उत्पन्न करते। वे मोक्षरूप परमपद की प्राप्ति में सहायक होते हैं। इस प्रकार कर्मफल तथा आसक्ति से रहित होकर ईश्वर के लिए कर्म करना वास्तविक रूप से कर्मयोग है। सभी व्यक्ति अर्जुन की भावना को अपने जीवन में आत्मसात करना है। अर्थात कर्म को ही धर्म माने और कर्म ही पूजा है सिद्धांत को सार्थक करें। कर्म ही उपासना है, कर्म ही प्रार्थना है और यही साधना है। इस अवसर पर कांति देवी, सुग्गी देवी, पूनम देवी, संजना कुमारी, सूरजचंद्र गोस्वामी, शिवा गंझू, लोकश सोनी, निरंजन झा, हेमंत गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।
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