बोले रामगढ़ : कपड़ा उद्योग पर भी भारी पड़ेगा ट्रंप के टैरिफ का असर
अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत का टैरिफ लगाने के कारण भारतीय कपड़े अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इससे भारतीय कपड़ा उद्योग को नुकसान होगा और मांग में कमी आने की संभावना है। अमेरिका में...
रामगढ़,प्रतिनिधि। अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय उत्पाद अब अमेरिका में महंगे बिकेंगे। इससे भारतीय उत्पादों का अमेरिका में मांग कम होने की आशंका है। अमेरिका में भारत से सालाना 10 बिलियन डॉलर का कपड़ा निर्यात किया जाता है। वहां के नागरिकों के बीच भारतीय कपड़े काफी लोकप्रिय हैं। वहां रहने वाले 50 लाख भारतीय भी भारत निर्मित कपड़ों की बड़ी संख्या में खरीदारी करते हैं। कपड़े महंगे हो जाने से अमेरिकी नागरिक अब दूसरा विकल्प चुनेंगे। इससे भारतीय कपड़ा व्यापार को झटका लगेगा। बोले रामगढ़ की टीम ने व्यवसायियों से संवाद की जिसमें उन्होंने परेशानियों को साझा किया। दुनियाभर में कई देशों में युद्ध के बीच मंदी के आसार का कई इकोनॉमिस्ट आकलन कर चुके हैं। ऐसे में अमेरिका के ओर से सभी देशों पर टैरिफ लगाना दुनिया को और भी ज्यादा मंदी की ओर धकेल देगा। यह अनुमान विश्व के कई अर्थशास्त्रियों का है। यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका ने बीते दो अप्रैल को दुनियाभर के देशों में रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा कर दी। दुनिया के हर देश में टैरिफ लगाने की बात अमेरिका में राष्ट्रपति ने पिछले साल चुनाव जीतने के बाद ही कर दी थी। तब से सभी देश आकलन कर रहे थे कि उनपर टैरिफ लगेगा या नहीं या फिर कितना टैरिफ लगेगा। जिसके बाद बुधवार को ट्रंप ने टैरिफ की घोषणा की। व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों पर लगाए जाने वाले नए टैरिफ इस सप्ताहांत से लागू होने वाले हैं। ‘बेसलाइन 10 प्रतिशत टैरिफ 5 अप्रैल से और विभिन्न साझेदारों पर उच्च दर 9 अप्रैल से लागू होगी। इससे भारत भी अछूता नहीं है।
भारत पर अमेरिका ने 26 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया है। भारत पर टैरिफ लगाते हुए ट्रंप ने कहा कि भारत, अमेरिका पर 52 प्रतिशत तक टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा। इससे अब भारत का अमेरिका को निर्यात में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है। भारत अमेरिका को खाद्यान्न, कपड़े, सोना, दवाइयां, चमड़ा आदि कई चीजें बेचता है। जिनपर असर पड़ेगा। रामगढ़ के व्यवसायी कमल बगड़िया ने कहा कि भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री अमेरिका में बड़ी संख्या में कपड़ो का निर्यात करती है। इससे अब निर्यातक परेशान है कि भारत से भेजे गए कपड़े अमेरिका में अब महंगे हो जाएंगे। निर्यातकों की परेशनी इसी से समझी जा सकती है कि भारत, अमेरिका को सालाना लगभग 10 बिलियन डॉलर (करीब 810 अरब रुपये) का कपड़ा और परिधान निर्यात करता है, जो भारत के कुल कपड़ा निर्यात का लगभग 28% है। भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले प्रमुख उत्पादों में तैयार कपड़े, सूती वस्त्र, और मानव निर्मित फाइबर शामिल हैं। भारत से सबसे ज्यादा कपड़े निर्यात करने वाले देशों में अमेरिका टॉप 5 में आता है। ऐसे में टैरिफ के बाद निर्यातकों की चिंता लाजमी है। भारत में निर्मित कपड़े अमेरिकी नागरिकों को काफी पसंद आते हैं। जिससे वहां भारतीय कपड़ों की मांग है। वहीं अमेरिका की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भारत से जाने वाले कपास की मांग है।
टैरिफ के बाद अब अमेरिका के बाजारों में बिकने वाले भारतीय कपड़े पहले से ज्यादा महंगे हो जाएंगे। जिस कारण अमेरिकी नागरिको को या तो फिर महंगे कपड़े खरीदने होंगे। या फिर वे भारतीय कपड़ों को छोड़ दूसरे कपड़ो के विकल्प को चुनेंगे। जिस कारण यूनाइटेड स्टेट्स में भारतीय कपड़ों की मांग काफी हद तक घटने का अनुमान है। अन्य व्यवसायी रमेश बंशल ने बताया कि इससे भारत के कपड़े व्यापार को भी बड़ा नुकशान उठाना पड़ सकता है, कपड़ों के आर्डर में एकाएक गिरावट नजर आ सकते हैं। भारतीय कपड़ा व्यापार को नुकशान न हो इसके लिए सरकार को आगे बढ़ कर नए बाजारों को तलाशना पड़ेगा। फिलहाल अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय कारोबार दो धारी तलवार के भांति है। जिसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं।
अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ से वियतनाम, चीन और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रवेश करना मुश्किल हो सकता है। जिससे भारतीय टेक्सटाइल उद्योग को लाभ हो सकता है। अमेरिका का भारत पर टैरिफ वर्तमान समय में भी अन्य देशों की अपेक्षा कम है। इससे भारतीय टेक्सटाइल उद्योग को अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का अवसर मिल सकता है।
कपड़ा व्यवसाय पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है, जो आपूर्ति श्रृंखला में उनकी भूमिका के आधार पर विभिन्न हितधारकों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है।
--अरुण सिंह
आयातकों के लिए बढ़ी हुई लागत निर्माण लागत बढ़ जाएगा। चीन या अन्य देशों से आयातित वस्त्रों पर टैरिफ के परिणामस्वरूप विदेशों से सोर्सिंग करने वाली अमेरिकी कंपनियों के लिए लागत बढ़ जाती है।
--देवधारी साव
आयातकर्ता हो या निर्माणकर्ता वह अपनी निर्माण लागतों को खुदरा विक्रेताओं और अंततः उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं।
--रमेश बंशल
खुदरा कीमतों पर दबाव बढ़ने की आशंका है। टैरिफ से उच्च लागत के कारण कपड़ों और घरेलू वस्त्रों की खुदरा कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इससे उपभोक्ता मांग कम हो सकती है। खासकर मूल्य-संवेदनशील बाजारों में।
--दीपक अग्रवाल
भारतीय कपड़ा निर्यातकों को अमेरिकी टैरिफ से मूल्य वृद्धि के कारण मांग में कमी आ सकती है। जिससे भारतीय कंपनियां और व्यापारियों को नुकसान होगा।
--बजरंग बंसल
घरेलू निर्माताओं के लिए बढ़ावा (अल्पावधि) टैरिफ आयातित वस्तुओं की लागत बढ़ाकर घरेलू वस्त्रों को अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकते हैं। कुछ अमेरिकी निर्माताओं की मांग में अस्थायी वृद्धि हो सकती है।
--सुरेश प्रसाद
बड़ी संख्या में भारतीय कपड़े अमेरिका जाते है और वहां बिकते है। टैरिफ के कारण अब वहां के बाजार में भारतीय कपड़े महंगे हो जायेगे। जिससे भरतीय कपड़ा उद्योग को नुकशान होगा।
--जीशान खान
प्रतिशोध और व्यापार तनाव का नया दौर शुरू हो गया है।अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित देश प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगा सकते हैं। जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर और दबाव पड़ेगा और संभावित रूप से अमेरिकी कपड़ा निर्यात को नुकसान पहुँच सकता है।
लोकेश बगड़िया
नौकरियों पर प्रभाव पड़ सकता है। टैरिफ अल्पावधि में कुछ अमेरिकी कपड़ा नौकरियों की रक्षा कर सकते हैं। डाउनस्ट्रीम उद्योगों (जैसे परिधान निर्माण या खुदरा) में नौकरी का नुकसान बढ़ी हुई लागत और कम प्रतिस्पर्धा के कारण हो सकता है।
--राजेन्द्र प्रसाद
टैरिफ के चल रहे मार से व्यापार में तनाव अनिश्चितता पैदा करते हैं, जो अमेरिका और विदेशों में कपड़ा क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश को रोक सकते हैं।
--मनप्रीत कौर
छोटे और मध्यम आकार के कपड़ा निर्यातक पर इसका प्रभाव अधिक पड़ेगा। छोटे और मध्यम आकार के कपड़ा नहीं रहती को वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख करना पड़ सकता है। यह उनके व्यापार के लिए अधिक सुरक्षित माहौल बना रहा है।
--सिमरन कुमारी
अमेरिका ने चीन बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों पर भी टैरिफ लगाया है। यह भारत के लिए हितकर भी हो सकता है। टैरिफ से भारतीय कपड़ा उद्योग के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है।
--अरुण बगड़िया
कंपनियों को टैरिफ से प्रभावित न होने वाले देशों में सोर्सिंग स्थानांतरित करने की आवश्यकता हो सकती है। जिससे लॉजिस्टिक चुनौतियाँ पैदा होंगी और नए आपूर्तिकर्ता संबंध स्थापित करने की आवश्यकता होगी। इससे लागत और समय की देरी भी बढ़ जाती है। भारत में कपड़ा व्यवसाय पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव चुनौती पूर्ण और अवसरवादी दोनों हो सकता है। जो टैरिफ की प्रकृति और वैश्विक व्यापार परिदृश्य पर निर्भर करता है।
-कमल बगड़िया कपड़ा व्यवसायी
भारत के सूरत, तिरूपुर और लुधियाना जैसे शहरों से होने वाले निर्यात में कमी आने की संभावना है। इससे बड़ी संख्या में भारतीय निर्मित कपड़े की मांग अमेरिका में कम हो जाएगी। जिसका असर कामगारों पर भी पड़ेगा। मांग में कमी की मार से होने वाले नुकसान की भरपाई को कंपनियां कामगारों की छटनी से पूरा करेंगे।
-रमेश अग्रवाल कपड़ा व्यवसायी
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