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बोले रामगढ़ :बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा स्वास्थ्य सेवाओं की दरकार

कोयलांचल भुरकुंडा में वरिष्ठ नागरिकों की स्थिति चिंताजनक है। जिन बुजुर्गों ने कोयला खदानों में काम किया, वे अब सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। सीसीएल सेवानिवृत्त कर्मचारियों...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Sat, 1 March 2025 12:25 AM
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बोले रामगढ़ :बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा स्वास्थ्य सेवाओं की दरकार

कोयलांचल भुरकुंडा और आसपास के कोलियरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वरिष्ठ नागरिकों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। कभी कोयला खदानों में श्रम करने वाले, व्यवसाय से जुड़े रहने वाले या खेती-बाड़ी में जुटे रहने वाले ये बुजुर्ग आज अपने जीवन की दूसरी पारी जी रहे हैं। लेकिन इनकी सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी चिंता का विषय बनी हुई है। सीसीएल से सेवानिवृत्त लोग पेंशन का लाभ पाते हैं, लेकिन उनके लिए इलाज बड़ी समस्या बनी हुई है। वहीं, कई बुजुर्ग ऐसे भी हैं, जो सरकार की ओर से मिलने वाले महज एक हजार रुपए की पेंशन पर जीवन जीने को मजबूर हैं। इनकी जरूरतों को समझते हुए सामाजिक सुरक्षा, सामुदायिक भवन और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

भुरकुंडा। रामगढ़ जिले के कोयलांचल भुरकुंडा, भदानीनगर और आसपास के कोलियरी एवं ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक निवास करते हैं। इनमें से कई पूर्व में सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड) से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि कुछ लोगों ने छोटे-मोटे व्यवसाय से अपनी आजीविका चलाई। वहीं, एक वर्ग ऐसा भी है जो खेती-बाड़ी या दिहाड़ी मजदूरी से अपनी जिंदगी गुजारता रहा। उम्र के इस पड़ाव में अब ये बुजुर्ग अपने स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। सीसीएल से रिटायर हुए कर्मचारियों को कुछ हद तक पेंशन का सहारा मिलता है, लेकिन जिन लोगों को केवल सरकारी वृद्धावस्था पेंशन मिलती है, उनके लिए गुजारा करना बेहद मुश्किल हो गया है।

महज एक हजार रुपये की वृद्धावस्था पेंशन में दवाइयों और अन्य आवश्यक खर्च पूरे कर पाना संभव नहीं है। कई बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनके बच्चे बाहर नौकरी कर रहे हैं और वे यहां अकेले रह रहे हैं। कोयलांचल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई सामुदायिक भवन या केंद्र नहीं है, जहां वे एक-दूसरे से मिलकर अपने सुख-दुख साझा कर सकें। ऐसे केंद्रों की जरूरत महसूस की जा रही है, जिससे बुजुर्गों को सामाजिक दायरा बढ़ाने का मौका मिल सके और वे अवसाद जैसी समस्याओं से बच सकें। वरिष्ठ नागरिकों के लिए सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता है।

भुरकुंडा और भदानीनगर क्षेत्र में केवल सीसीएल का एक अस्पताल है, जहां इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दवा और डॉक्टरों की कमी रहती है। 60 वर्ष की उम्र के बाद अधिकतर लोग अस्वस्थ रहने लगते हैं, ऐसे में उन्हें नियमित चिकित्सा जांच और उचित उपचार की जरूरत है। कोयलांचल में एक ऐसा भवन या केंद्र बनाया जाए, जहां बुजुर्ग मिल सकें और सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकें।

सरकार को वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाकर कम से कम 3 से 5 हजार रुपए करनी चाहिए, ताकि बुजुर्गों को आर्थिक राहत मिल सके। साथ ही सरकारी स्तर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष स्वास्थ्य योजना लागू की जाए और हर इलाके में एक बेहतर सुविधा युक्त अस्पताल की व्यवस्था हो। अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए सरकारी सहायता समूह और देखभाल केंद्र बनाए जाएं, जिससे उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो।

कोयलांचल के बुजुर्गों के लिए सामुदायिक भवन की जरूरत

भुरकुंडा कोयलांचल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और सामुदायिक भवन की जरूरत महसूस की जा रही है। बुजुर्गों को पेंशन, स्वास्थ्य सेवाओं और एक स्थायी मिलन केंद्र की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में, एक वर्ष पूर्व गठित वरिष्ठ नागरिक मंच बुजुर्गों को एकजुट कर उनकी समस्याओं को सामने लाने का कार्य कर रहा है। मंच ने अपनी पहली वर्षगांठ पर नई कमेटी का गठन किया, जो वरिष्ठ नागरिकों के हित में कार्य करेगी। फिलहाल मंच से 100 से अधिक बुजुर्ग जुड़े हैं, जो दो सप्ताह के अंतराल पर होने वाली बैठकों में भाग लेते हैं। इन बैठकों में सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से बुजुर्गों का मनोबल बढ़ता है। जन्मदिन और सालगिरह सामूहिक रूप से मनाने की परंपरा ने अकेले रहने वाले बुजुर्गों को मानसिक सहारा दिया है। अब मंच निबंधन की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है, जिससे इसे आधिकारिक पहचान मिलेगी।

बुजुर्गों के लिए सामुदायिक भवन क्यों है जरूरी

भुरकुंडा और आसपास के कोयलांचल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई सामुदायिक भवन नहीं है, जहां वे एकत्र होकर सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग ले सकें। अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए यह और भी जरूरी हो जाता है, क्योंकि उनके पास बातचीत और मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। वरिष्ठ नागरिक मंच इस दिशा में कार्य कर रहा है और सरकारी व सीसीएल से भवन निर्माण के लिए भूमि और आर्थिक सहयोग की मांग कर रहा है। अगर यह भवन बनता है, तो बुजुर्गों को एक स्थायी बैठक स्थल, स्वास्थ्य परामर्श केंद्र और मनोरंजन सुविधाएं मिल सकती हैं।

पेंशन राशि में इजाफा करने की लगातार उठती रही है मांग

भुरकुंडा और आसपास के क्षेत्रों में कई वरिष्ठ नागरिक केवल वृद्धावस्था पेंशन पर निर्भर हैं, लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली एक हजार रुपए मासिक पेंशन उनके लिए नाकाफी साबित हो रही है। बढ़ती महंगाई और स्वास्थ्य खर्चों के कारण बुजुर्गों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। वरिष्ठ नागरिक मंच ने सरकार से पेंशन राशि को 3 से 5 हजार रुपए तक बढ़ाने की मांग की है, ताकि बुजुर्ग अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकें। कई बुजुर्ग ऐसे भी हैं, जिन्हें अभी तक पेंशन का लाभ नहीं मिला है। प्रशासन को चाहिए कि वे नए पेंशनधारकों को जोड़ने और समय पर राशि उपलब्ध कराने के लिए विशेष अभियान चलाएं। वरिष्ठ नागरिक मंच ने सरकार से पेंशन राशि को 3 से 5 हजार रुपए तक बढ़ाने की मांग की है,

वर्षों से किया जा रहा है आंदोलन

भुरकुंडा कोयलांचल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। सीसीएल का अस्पताल इस क्षेत्र में एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र है, जहां जरूरी दवाइयां और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को नियमित जांच, नि:शुल्क दवा और इलाज की सुविधा मिलनी चाहिए। कई बुजुर्ग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे प्राइवेट अस्पताल में इलाज नहीं करवा पाते। सरकार और सीसीएल को चाहिए कि वे वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष चिकित्सा शिविर, आयुष्मान कार्ड जैसी सुविधाओं का विस्तार करें, जिससे बुजुर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।

समस्याएं

1. बुजुर्गों के लिए स्थायी मिलन केंद्र नहीं है, जहां वे सामाजिक गतिविधियों में भाग ले सकें।

2. भुरकुंडा-भदानीनगर में केवल सीसीएल का अस्पताल है, जहां समुचित सुविधाएं नहीं हैं।

3. पेंशन महज एक हजार रुपए है, जिससे दवाइयों और अन्य आवश्यक खर्च पूरे नहीं हो पाते।

4. कई बुजुर्ग अकेले रहते हैं देखभाल और सुरक्षा की कोई उचित व्यवस्था नहीं है।

5. बुजुर्गों को पर्याप्त सहयोग न मिलने के कारण वे आर्थिक तंगी और अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं।

सुझाव

1. सरकार और सीसीएल के सहयोग से बुजुर्गों के लिए एक सामुदायिक केंद्र बनाया जाए।

2. सीसीएल अस्पताल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष चिकित्सा सेवाएं हो।

3. सरकार वृद्धावस्था पेंशन 3 से 5 हजार रुपए तक बढ़ाए, बुजुर्गों को आर्थिक संबल मिल सके।

4. अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए देखभाल केंद्र और सहायता समूहों की स्थापना की जाए।

5. प्रशासन, समाज को बुजुर्गों के हित में कार्यक्रम, परामर्श सेवाएं चलानी चाहिए।

इनकी भी सुनिए

भुरकुंडा कोयलांचल में बुजुर्गों के लिए सामाजिक और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन, स्वास्थ्य, बैंक, पोस्ट ऑफिस सहित सरकारी सेवाओं में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। सामुदायिक भवन, चिकित्सा सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में सहयोग देना चाहिए।

-अशोक कुमार चौहान, अध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक मंच

वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और आर्थिक सुरक्षा मिलनी चाहिए। भुरकुंडा में केवल सीसीएल का अस्पताल है, जहां पर्याप्त चिकित्सा सेवाएं नहीं हैं। सरकार को चाहिए कि 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य जांच, आयुष्मान योजना के तहत अतिरिक्त लाभ व दवाओं की मुफ्त उपलब्धता सुनिश्चित करे।

-एमएम झा, सलाहकार, वरिष्ठ नागरिक मंच

बुजुर्गों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था हो

बुजुर्गों को नियमित स्वास्थ्य जांच और प्राथमिक उपचार की सुविधाएं मिलनी चाहिए। इस उम्र में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हृदय रोग और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं आम होती हैं। लेकिन भुरकुंडा और आसपास के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता है। -डॉ एचके सिंह

वरिष्ठ नागरिक मंच का गठन बुजुर्गों के लिए अच्छा कदम है। इससे हम अपनी समस्याओं को संगठित रूप से उठा सकते हैं। मंच जल्द ही निबंधन कराकर सामुदायिक भवन, स्वास्थ्य सेवाओं आदि विषयों पर प्रयास करेगा। सरकार व सीसीएल को इसमें सहयोग करना चाहिए ताकि बुजुर्गों को सम्मान मिले। -राजेंद्र प्रसाद राणा

मंच बनने से बुजुर्गों की समस्याएं उठाने का जरिया मिला है। अब हमें सरकार और सीसीएल से सामुदायिक भवन, स्वास्थ्य सेवाएं और पेंशन वृद्धि की मांग को उठाना होगा। मंच का उद्देश्य बुजुर्गों को सम्मानजनक जीवन दिलाना है, जिसके लिए मिलकर प्रयास करेंगे। -कल्याण प्रसाद मुखर्जी

बुजुर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। कई लोग अकेले रहते हैं, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। सरकार को वरिष्ठ नागरिक सहायता केंद्र बनाना चाहिए, जहां हमारी देखभाल हो सके और आपात स्थिति में तुरंत मदद मिले। बुजुर्गों के लिए हेल्पलाइन भी जरूरी है। -शत्रुघ्न नारायण सिंह

अधिकतर बुजुर्ग अकेलेपन और अवसाद से घिर जाते हैं। इसके समाधान के लिए सामुदायिक भवन में मनोरंजन, योग, ध्यान और सामाजिक कार्यक्रम होने चाहिए। इससे बुजुर्गों का मन लगा रहेगा और वे अवसाद में नहीं जाएंगे। सरकार को बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। -परमजीत सिंह धामी

जरूरत पड़ने पर बुजुर्गों के लिए एंबुलेंस सेवा और इमरजेंसी हेल्पलाइन होनी चाहिए। कई बार बुजुर्ग अचानक बीमार हो जाते हैं, लेकिन उन्हें अस्पताल पहुंचाने का साधन नहीं मिलता। सीसीएल और स्थानीय प्रशासन को बुजुर्गों के लिए नि:शुल्क 24७7 एंबुलेंस सेवा शुरू करनी चाहिए। -कुलानंद पांडेय

कई बुजुर्ग सरकार के एक हजार के पेंशन पर आश्रित हैं, जो बेहद कम है। इससे न दवा खरीदी जा सकती है और न ही सही तरीके से जीवनयापन हो सकता है। सरकार को इसे 3 से 5 हजार रुपए तक बढ़ाना चाहिए ताकि बुजुर्ग सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। साथ ही पेंशन समय पर मिले। -अशोक शर्मा

सीसीएल को सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए चिकित्सा सुविधा, सामुदायिक केंद्र व मनोरंजन स्थल उपलब्ध कराने चाहिए। सेवा के दौरान हमने पूरी जिंदगी खदानों में काम किया, अब हमें सीसीएल से सहयोग मिलना चाहिए। सीसीएल अस्पताल में बुजुर्गों के लिए विशेष चिकित्सा कक्ष की सुविधा होनी चाहिए। -प्रवीण शर्मा

पोस्ट ऑफिस, बैंक, बिजली ऑफिस और सरकारी दफ्तरों में बुजुर्गों के लिए अलग से काउंटर हो, जिससे उन्हें कतार में नहीं लगना पड़े। सरकार को बुजुर्गों के कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए। बैंक और पोस्ट ऑफिस में वरिष्ठ नागरिक सहायता काउंटर की सुविधा मिले। - विशेश्वर पासवान

भुरकुंडा और आसपास के बुजुर्गों के लिए सामुदायिक भवन बहुत जरूरी है, जहां हम इकट्ठा होकर समय बिता सकें। यह अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए यह मानसिक सहारा भी बनेगा। सीसीएल को इस दिशा में पहल करना चाहिए। जिससे हम हम सामाजिक रूप से सक्रिय रह सकें। - नरेश राय

कोयलांचल के बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं सबसे बड़ी समस्या हैं। उनके लिए नि:शुल्क इलाज और नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा मिलनी चाहिए। सरकार को स्वास्थ्य शिविर लगाने चाहिए और बुजुर्गों को प्राथमिकता पर दवा और इलाज उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि किसी को परेशानी न हो। - अशोक मिश्र

बुजुर्गों के लिए बैंक और पोस्ट ऑफिस में अलग काउंटर की सुविधा होनी चाहिए, ताकि उन्हें लंबी लाइनों में नहीं लगना पड़े। कई बुजुर्ग अकेले रहते हैं और ऑनलाइन भुगतान नहीं कर सकते। बैंक में बुजुर्गों की सहायता के लिए विशेष कर्मचारी होने चाहिए जो उनकी मदद कर सकें। -खुशीराम अग्रवाल

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