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बोले पलामू : बाजार मिले तो चमक जाएगा कारोबार

सरकार से सहायता प्राप्त स्वयं सहायता समूह की महिलाएं होली पर हर्बल गुलाल और अन्य खाद्य उत्पाद बनाने में जुटी हैं। हालांकि, उचित बाजार के अभाव में महिलाएं अपने श्रम का उचित प्रतिफल नहीं पा रही हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूMon, 10 March 2025 01:43 AM
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बोले पलामू : बाजार मिले तो चमक जाएगा कारोबार

सरकार से सहायता प्राप्त स्वयं सहायता समूह की महिलाएं रंगों के पर्व होली पर अपने लजीज व्यंजनों के उत्पादों की खुशबू बिखेरने को पूरी तरह तैयार हैं। पर्व नजदीक आते ही महिलाएं होली पर प्रयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थो को बनाने में जुटी हैं। हालांकि समुचित बाजार के अभाव में समूह की महिलाओं को अभी भी अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। एसएचजी से जुड़ीं जिले की हजारों महिलाओं को अभी भी अपने परिश्रम का माकूल प्रतिफल मिलने का बेसब्री से इंतजार है। बोले पलामू अभियान के तहत महिलाओं ने बाजार के अभाव में होने वाली समस्याओं को खुलकर हमसे साझा किया।

मेदिनीनगर। पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर नगर क्षेत्र के 35 वार्डों में फिलवक्त 567 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) कार्यरत हैं। इन एसएचजी से जुड़ी 6000 महिलाएं चिप्स-पापड़, अदौरी-तिलौरी, अचार-अमचूर, दाल-दलिया आदि खाद्य पदार्थ ही तैयार नहीं करते हैं वरन होली में प्रयोग होने वाले हर्बल गुलाल भी व्यापक पैमाने पर तैयार कर रही हैं। परंतु उनका समुचित कौशल विकास, कच्चे माल की अनुपलब्धता और तैयार माल के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराने में आजीविका मिशन अभी तक असफल रहा है। इसके कारण उत्साह के साथ परिश्रम करने के बाद भी महिलाओं को उसका यथाचित प्रतिफल नहीं मिल पा रहा है।

इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनका सर्वांगीण विकास करने का लक्ष्य अभी प्रारंभिक दौर में ही है। अपनी परेशानी को साझा करते हुए स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन से जुड़कर रोजगार के लिए उन्होंने कुटीर उद्योग तो अवश्य अपना लिया है। परंतु कारोबार करने के लिए बाजार उपलब्ध नहीं होने से उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हर्बल गुलाल बनाने काम उन्होंने कई वर्ष पूर्व शुरू कर दिया है।

इसके बाद भी इसका बाजार ही तैयार नहीं हो पा रहा है। होली को देखते हुए हर्बल गुलाल बनाकर बाजार में उपलब्ध कराया गया है। 12 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि नगर निगम की ओर से होली के मौके पर कारोबार करने के लिए शहर के विभिन्न चौक-चौराहे पर स्टॉल लगाने के लिए स्थान उपलब्ध कराया जाता है। पर इस वर्ष अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण इस कारोबार से जुड़ी महिलाएं परेशान नजर आ रही हैं। यदि नगर निगम की ओर से स्टॉल लगाने के लिए जगह उपलब्ध करा दिया जाता तो काफी सहूलियत होती।

उन्होंने बताया कि अमूमन होली के मौके पर वे 10 टन से अधिक हर्बल अबीर-गुलाल बनाकर नगर निगम के सहयोग से दूसरे शहरों में भी भेजती थीं। शेष अबीर-गुलाल को शहर में लगाए गए स्टालों के माध्यम से बिक्री करती थीं। किंतु इस वर्ष स्टाल लगाने के लिए जगह चिन्हित नहीं किए जाने के कारण महज पांच टन ही गुलाल तैयार कर रही हैं। इससे इस बार होली पर उन्हें भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सभी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बैंकिंग से जोड़कर फंड अवश्य उपलब्ध कराया जा रहा है। किंतु बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में आवश्यक कदम नहीं उठाए जाने के कारण महिलाओं को उसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। यदि समूहों को उनके उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध करा दिया जाए तो निश्चित ही बहुत जल्द महिलाओं की स्थिति में आशातीत परिवर्तन हो सकता है। क्योंकि सरकारी मदद मिलने से महिलाएं सामान तो तैयार कर लेती हैं। किंतु बाजार नहीं होने के कारण उसे बेच नहीं पाने से उनकी समस्या दूर नहीं हो पाती है।

मिलकर काम करतीं हैं महिलाएं

स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अमूमन परस्पर सहयोग से मिलकर काम करती हैं। कोई कच्चे सामान लाने में रहता है। तो कोई उत्पाद तैयार करने में जुट जाता है। कोई महिला निर्मित सामानों की पैकिंग तो अन्य महिलाएं उन्हें आर्डर के अनुसार आपूर्ति करने में जुट जाती हैं। इससे महिलाओं में टीम भावना में कार्य करने का भाव जागृत हो रहा है। स्वयं सहायता समूह की व्यवस्था महिलाओं में बेहतर प्रबंधन का गुर भी पैदा कर रही है।

महिलाएं यहां छह रंग की बनाती हैं हर्बल गुलाल

महिलाओं ने बताया कि हर्बल अबीर-गुलाल मंदिर में चढ़ने वाले फूल और सब्जियों से तैयार किया जाता है। अमूमन वे छह रंग का हर्बल गुलाल तैयार करतीं हैं। हरा रंग के लिए पालक, लाल रंग के लिए बीट,पीला रंग के लिए गेंदा के फूल, गुलाबी रंग के लिए गुलाब के फूल,सफेद रंग के लिए सफेद फूल और ऑरेंज रंग के लिए पलास के फूल का इस्तेमाल करतीं हैं। इसमें सुगंध के लिए रजनीगंधा, केवड़ा, गुलाब, चंदन आदि को मिक्स किया जाता है।

आधा दर्जन जिलों में करती हैं आपूर्ति

महिलाओं ने बताया कि नगर निगम के सहयोग से पलामू के विभिन्न इलाकों के साथ ही राजधानी रांची, गुमला,लातेहार, गढ़वा,धनबाद सहित सीमावर्ती बिहार के औरंगाबाद जिले में भी वे हर्बल गुलाल की आपूर्ति करती हैं। गुलाल तैयार करने में काफी मेहनत करना पड़ता है। सबसे पहले फूलों को पतीले में रखकर गैस पर गर्म किया जाता है। उसके बाद उसके रस को सूती कपड़े से छान लिया जाता है। तत्पश्चात आरारोट में रस को घंटों मिक्स करती हैं। तैयार गुलाल को 50 ग्राम, 100 ग्राम, 250 ग्राम, 500 ग्राम और एक किलो के पैकेट में पैक किया जाता है।

नगर निगम कर रहा मॉनिटरिंग

नगर निगम के सीओ राजन सिंह ने बताया कि होली के मौके पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के स्तर पर तैयार किए जा रहे हर्बल अबीर की नगर निगम के सीआरपी के माध्यम से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। ताकि समय से बेहतर गुणवत्ता का उत्पाद तैयार हो सके। सामान बेचने के लिए जिले के बाहर भी बाजार उपलब्ध कराए जाते हैं। उनके आर्डर को पूरा करने में भी मदद की जाती है। शेष सामानों को बेचने के लिए शहर में भी स्टाल लगाने के लिए जगह उपलब्ध कराया जाता है।

शिकायतें

1. एसएचजी द्वारा तैयारी किए गए उत्पादन बेचने के लिए शहर में निर्धारित स्थान का न होना।

2. गुणवत्ता पूर्ण उत्पाद तैयार करने के लिए महिलाओं को समुचित प्रशिक्षण नहीं दिया जाना।

3. उत्पाद तैयार कराने के लिए किसी प्रकार की मशीनरी का प्रबंध नहीं कराया जाना।

4. बचे उत्पादों की बिक्री के लिए व्यवस्था नहीं होने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

5. मांग के अनुरूप कच्चे माल की उपलब्धता नहीं होने से पर्याप्त मात्रा में उत्पाद नहीं बन पाता है।

सुझाव

1. महिलाओं को अपने उत्पाद बेचने के लिए शहर में स्थान निश्चित कराया जाए।

2. हर्बल गुलाल बनाने के लिए महिलाओं को समुचित प्रशिक्षण दिया जाए।

3. मांग के अनुरूप कच्चा माल उपलब्ध कराया जाए ताकि व्यापार का विस्तार कर सकें।

4. उत्पाद निर्माण के लिए आवश्यक मशीनरी उपलब्ध कराई जाए।

5. बचे उत्पादों की बिक्री का प्रबंध किया जाए। जिससे आर्थिक नुकसान से बचा जा सके।

इनकी भी सुनिए

एसएचजी की महिलाएं बड़ा व्यापार करना चाहती हैं। मगर बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण नहीं कर पा रही हैं। समूह की महिलाएं पूरी तरह से समर्पण भाव से काम कर रही हैं। जरूरत है कि उन्हें माकूल बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में प्रशासन सहयोग करे।

-कुसुम देवी

समूह की महिलाएं एक प्लेटफार्म पर काम करें तो उन्हें कहीं सामुदायिक भवन उपलब्ध कराया जा सकता है। होली पर पांच स्टॉल लगाने के लिए तैयारी चल रही है। स्टॉल कचहरी परिसर, रेड़मा चौक, मरीन ड्राइव रोड, छहमुहान एवं सद्दीक मंजिल चौक पर लगेंगे। -मो. जावेद हुसैन, नगर आयुक्त

मशीन की व्यवस्था होने से होगी सहूलियत

हर्बल कंपनी के अबीर गुलाल बनाने में हाथ से मिलाना पड़ता है। जिस कारण हाथों में जलन होती है। नगर निगम की ओर स मशीन मिल जाने से हमलोगों को काफी सहूलियत होगी। -सुषमा देवी

शहर में सभी के लिए नगर निगम निश्चित स्थान निर्धारित किए हुए हैं। किंतु समूल की महिलाओं को अपना उत्पाद बेचने के लिए कहीं भी स्थान निर्धारित नहीं किया गया है। -सुशीला देवी

स्थान नहीं होने के कारण वे सालो भर कारोबार नहीं कर पाती है। नगर निगम को हम सभी महिलाओं को अपने उत्पाद बेचने के लिए शहर में स्थाई जगह आवंटित करना चाहिए। -नीलम देवी

हम सभी महिलाएं एक साथ मिलकर काम करती हैं। कुछ महिला समान इकह्वा करती है तो कुछ पैकिंग करने का काम करती हैं। ताकि समय से सभी समान तैयार किया जा सके। -पूनम देवी

हम सभी महिलाएं किसी तरह अपने घर में समान तो तैयार कर लेती हैं। मगर उसे बाजार में बेच नहीं पाती हैं। नगर निगम प्रशासन को इस दिशा में निश्चित ही पहल करनी चाहिए। -रीना देवी

महिला समूह के द्वारा तैयार किए जाने वाले प्रोडक्ट को नगर निगम द्वारा बाहर भी भेजा जाता है। यदि स्थानीय बाजार भी उपलब्ध कराया जाए तो ज्यादा मुनाफा होगा। -मंजू देवी

निगम फंडिंग तो उपलब्ध करा देता है। मगर ट्रेनिंग के अभाव में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तैयार नहीं हो पाता है। इससे बाजार में उपलब्ध उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करने में मुश्किल होती है। -शारदा गुप्ता

हर्बल उत्पाद तैयार करने में महिलाओं को काफी मेहनत करनी पड़ती है। इस वर्ष बाजार को लेकर संशय बने होने से अभी तक दुविधा की स्थिति बनी हुई है। जल्द बाजार उपलब्ध करायी जाए। -शोभा देवी

हर्बल अबीर-गुलाल हाथ से तैयार करने में काफी मेहनत करना पड़ता है। यदि नगर निगम इस कार्य के लिए मशीन उपलब्ध करा दे तो उन्हें काफी सुविधा हो जाएगी। -सुमन कुमारी

हर्बल गुलाल के साथ स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कई प्रकार की खाद्य सामग्री भी तैयार करती हैं। किंतु बाजार नहीं होने से उन्हें इसका समुचित लाभ नहीं मिलता है। -अंजू देवी

महिलाओं को सभी को उत्पाद तैयार करने में कोई परेशानी नहीं है। सारे संसाधन नगर निगम समय से उपलब्ध कराता है। किंतु बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण दिक्कत होती है। -रीना देवी

हर्बल अबीर की मांग हर वर्ष होली पर रहती है। किंतु इस वर्ष बाजार को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण कम मात्रा में अबीर-गुलाल तैयार किया गया है। -पम्मी देवी

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