अचानक जोर से झटका लगा, पत्नी और बेटे के साथ जमीन पर गिरे, और फिर केवल पदचाप सुनाता रहा
मेदिनीनगर में महाकुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या पर भगदड़ में एक व्यक्ति अपनी पत्नी गायत्री देवी को बचाने में असफल रहा। वह पत्नी के शव के साथ अपने पैतृक गांव लौट आया और अंतिम संस्कार किया। घटना के...
मेदिनीनगर, प्रतिनिधि। महाकुंभ मेला में मौनी अमावस्या को तड़के एक से दो बजे के बीच मची भगदड़ में धर्मपत्नी गायत्री देवी की जान बचाने में, मैं सफल नहीं हो सका। महाकुंभ से पत्नी का शव लेकर बुधवार की देर रात में पैतृक गांव राजहरा लौटा और उनका अंतिम संस्कार गांव के ही झरना नदी के तट पर गुरुवार को किया। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि पत्नी व अन्य रिश्तेदारों के साथ दो दिन पूर्व हंसी-खुशी के साथ प्रयाग संगम में मौनी अमावस्या स्नान के लिए गए थे और बेजान पत्नी के साथ वापस लौटे। अभी तक मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे और क्या हुआ। पत्नी व पुत्र आशीष के साथ बुधवार को तड़के मैं संगम किनारे बैठकर मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान की तैयारी में थे। अचानक झटका लगा और हम तीनों जमीन पर गिर गये। उसके बाद तो सिर्फ पदचाप ही कानों में सुनाई दे रहा था। बाद में आंखों में अंधेरा छाने लगा तथा चेतना गायब होने लगी। पुत्र ने किसी प्रकार स्वयं के साथ उन्हें खींचकर थोड़ा बाहर निकाला। इससे मेरी जान बच पाई। जिंदा बचने का भी भरोसा बहुत देर बाद हुआ। कुछ देर तक तो कुछ सुध ही नहीं रही। जब कुछ सोचने की स्थिति में आया तब पत्नी की याद आई। इधर-उधर देखने पर वह बेजान मिली। सोचा था कि महाकुंभ से लौटकर कथा सुनेंगे। अब उसके क्रिया-कर्म की तैयारी कर रहे हैं। क्या सोंचा था और क्या हो गया।...अमरेश पांडेय, सेवानिवृत सैनिक, राजहरा, नावाबाजार, पलामू।
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