पलामू में निबंधन से वित्त वर्ष 2024-25 में अर्जित हुआ 59.89 करोड़ राजस्व
पलामू जिले के मेदिनीनगर और हुसैनाबाद रजिस्ट्री कार्यालय ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 59 करोड़ 89 लाख 08 हजार 341 रुपये का राजस्व संग्रह किया है। मेदिनीनगर रजिस्ट्री कार्यालय ने 131.61 प्रतिशत लक्ष्य...

मेदिनीनगर, प्रतिनिधि। पलामू जिले में मेदिनीनगर निबंधन कार्यालय और हुसैनाबाद निबंधन कार्यालय (रजिस्ट्री ऑफिस) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में लक्ष्य के विरूद्ध 59 करोड़ 89 लाख 08 हजार 341 राजस्व संग्रह किया है। मेदिनीनगर स्थित निबंधन कार्यालय ने लक्ष्य के विरूद्ध 131.61 प्रतिशत राजस्व संग्रह किया है। मेदिनीनगर निबंधन कार्यालय ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 28.29 करोड़ रुपये लक्ष्य के विरूद्ध 52 करोड़, 77 लाख 29 हजार 705 रुपए राजस्व संग्रह किया है जबकि हुसैनाबाद निबंधन कार्यालय ने 3.7 करोड़ रुपये लक्ष्य के विरूद्ध 7 करोड़ 11 लाख 78 हजार 636 रुपए राजस्व की प्राप्ति की है। मेदिनीनगर निबंधन कार्यालय के अनुसार जमीन खरीद-बिक्री से संबंधित मेदिनीनगर निबंधन कार्यालय में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 7294 और हुसैनाबाद में 2080 रजिस्ट्री हुई है। विवाह निबंधन में सेक्शन पांच (कुंआरा) के तहत 45 जोड़ियों की शादी निबंधन कार्यालय में कराई गई है। सेक्शन 15 (शादीशुदा) श्रेणी के दो जोड़ियों का निबंधन हुआ है। हिंदू मैरेज के तहत चार जोड़ियों का निबंधन किया गया है।
जमीन की रजिस्ट्री कराने पहुंचे मनोज कुमार और अशोक कुमार ने कहा कि पलामू में जमीन की रजिस्ट्री कराने में सबसे बड़ी परेशानी भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र (एलपीसी) की आ रही है। अंचल कार्यालयों से एलपीसी लेने में लोगों की पसीने छूट जा रहे हैं। एलपीसी लेने के लिए कई महीनों तक इंतेजार करना पड़ता है। कोई अगर अपनी बेटी की शादी या दूसरा कोई काम के लिए जमीन की खरीद-बिक्री करना चाहते हैं तो एलपीसी समय पर नहीं मिल पा रहा है। जमीन की रजिस्ट्री के लिए एलपीसी को अनिवार्य कर दिया गया है। अंचलों से एलपीसी निर्गत होने में दो-तीन माह से उपर का समय लग जाता है।
जमीन खरीद-बिक्री से करने वालों ने बताया कि रेकड़ रूम की भी स्थिति ठीक नहीं है। रेकड़ रूम में दस्तावेज उपलब्ध नहीं रहने के कारण भी लोग परेशान रहते हैं। अगर रेकड़ रूम में दस्तावेज मिल भी जाए तो वह काफी जर्जर है। उपर से जमीन संबंधित दस्तावेज कैथी भाषा में है। पलामू में कैथी भाषा का ट्रांसलेट करने वाले न के बराबर हैं। इस कारण जमीन खरीद-बिक्री करने में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।
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