गुरु श्री तेग बहादुर जी का मनाया गया बलिदान दिवस
मेदिनीनगर में सिखों के नौंवे गुरु श्री तेग बहादुर जी का बलिदान दिवस मनाया गया। बेलवाटिका स्थित गुरुद्वारे में विशेष अरदास की गई और श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरित किया गया। गुरु जी ने धर्मांतरण के...
मेदिनीनगर, प्रतिनिधि। सिखों के नौंवे गुरु श्री तेग बहादुर जी का बलिदान दिवस रविवार को मनाया गया। मेदिनीनगर के बेलवाटिका स्थित गुरुद्वारा श्री गुरुसिंघ सभा में विशेष अरदास कर उनके बलिदान को नमन किया गया। बाद में श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। इस क्रम में श्री गुरु तेगबहादूर के योगदान की चर्चा करते हुए कहा गया कि तत्कालीन बादशाह ने फतवा जारी कर 24 नवंबर को दिन में 2.30 बजे दिल्ली के चांदनी चौक में क्रूरता पूर्वक उनका सिर कलम कर दिया था। अगर गुरु श्री तेग बहादुर नहीं होते तो शायद आज हिन्दुस्तान में कहीं भी मंदिर की घंटियां नहीं बजती। मंदिर न होते, आरती नहीं होती। गुरु श्री तेग बहादुर की शहादत पर प्रकाश डालते हुए इंद्रजीत सिंह डिंपल ने कहा कि तत्कालीन बादशाह धर्मांतरण को बड़े पैमाने पर करवा रहा था। इसके विरोध में सभी मठों के प्रमुखों ने बैठक की और धर्म की रक्षा के लिए तत्कालीन गुरु नानक की गद्दी पर विराज रहे नौवे नानक श्री गुरु तेग बहादुर के पास पहुंच गए। उनकी प्रार्थना सुनकर गुरु तेग बहादुर साहब ने कहा कि अब समय आ गया है कि एक बड़े धार्मिक व्यक्ति का बलिदान देश मांग रहा है। उन्होंने तत्काल पास बैठे गुरु गोविंद सिंह जो उस वक्त मात्र नौ वर्ष के थे, कि बातों से प्रेरित होकर तत्कालीन बादशाह को पत्र भेजा कि जब वे धर्मांतरण कर लेंगे तब पूरा देश धर्मांतरित हो जाएगा। इसके बाद उन्हे यातना देते हुए बलिदान के लिए विवश कर दिया गया था।
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