Hindi Newsझारखंड न्यूज़पलामूChehallum Observed in Hussainabad with Tribute to Martyrs of Karbala

हुसैनाबाद में अकीदत के साथ मना चेहल्लुम, अकीदतमंदों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

हुसैनाबाद में मुहर्रम के 40 वें दिन चेहल्लुम मनाया गया। शिया समुदाय ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और जुलूस निकाला। मौलाना सैयद अली सजीर रिजवी ने कर्बला की घटनाओं को याद करते हुए दुख व्यक्त किया।...

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूTue, 27 Aug 2024 01:21 AM
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हुसैनाबाद, प्रतिनिधि। पलामू जिले के हुसैनाबाद में मुहर्रम के 40 वें दिन सोमवार को शहीदान - ए - कर्बला की याद में अकीदत के साथ चेहल्लुम मनाया गया। इस्लामिक मान्यता के अनुसार शहादत के 40 वें दिन चेहल्लुम के मौके पर शिया समुदाय के वक्फ वास्ला बेगम सदर इमाम बारगाह से मुख्य जुलूस निकाला गया। इसमें काफी संख्या में लोग नौहा मातम कर शहर के मुख्य मार्ग से गांधी चौक होते कर्बला आने पर नम आंखो से शहीदों को रुखस्त किया। जुलूस में अलम, ताबूत, सिपर व जुल जनाह के साथ शहीदों को खिराजे अकीदत पेश की गई। गांधी चौक पर मौलाना सैयद अली सजीर रिजवी साहब ने बताया कि आज हम सब शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही जुल्मों को याद कर गम मनाते हैं। पैगम्बर मोहम्मद साहब (स.) के परिवार को एक दिन में यजीद के हुक्म से खत्म कर दिया गया । लोगों में उसका डर इतना था कि कोई शहीदों के शवों को दफनाने भी नहीं आया। सन् साठ हिजरी में वर्तमान इराक के कर्बला नामी स्थान पर हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) उनके सगे संबंधी,दोस्तों को यजीदी हुकूमत के आदेश पर इन्हें कत्ल कर दिया तथा उनकी औरतों बच्चों को कैदी बना लिया गया। उन पर यातनाओं का पहाड़ टूट पडा़। हमारे समाज में किसी के परिवार में एक वक्ति की मौत हो जाए तो लोग दुखी परिवार को संतावना देने उसके घर पहुंच जाते हैं। परंतु कर्बला में एैसे निर्दयी लोग मौजूद थें, जो दुखीयों को संतावना देने के बजाए उन्हें यातनाए देने में खुश होते थे। इस मौके पर सैकड़ों लोग या हुसैन, या अब्बास की सदा लगा रहे थे। इस कार्यक्रम में काफी दूर दराज से खूनी मातम देखने लोग आते हैं। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुत्तवल्ली सैयद तक्की हुसैन रिज़वी, सैयद हसनैन जैदी, सैयद फिरोज़ हुसैन, मिर्जा नेहाल, सैयद प्यारे हुसैन, मिर्ज़ा अमिन, सैयद गजंफर हुसैन, डॉ. सैयद नादिर रिज़वी, सैयद इब्ने हसन, वारिस हुसैन, सैयद फखरू हुसैन, गौहर मिर्ज़ा आदि शांति व्यवस्था बनाने का काम किया । संचालन अरशद हुसैन (अर्शी) ने किया। मार्सिया सैयद रजा ईमाम, सैयद मुहम्मद रजा, बाकर हुसैन, मोजाहिद हुसैन, अख़्तर हुसैन, आदिल हुसैन आदि ने किया। नौहखानी मिर्ज़ा समीर, सैयद हसन अली, नकी रिज़वी, हाशिम अली, मिर्ज़ा इसलाम, अल खैबर, रेहान मिर्ज़ा आदि ने किया। हुसैनाबाद के अलावा हैदरनगर, मोहम्मदगंज, अमीर नगर झरगड़ा, मांडर, रोहतास आदि से भी लोग जुलूस में शामिल होने आए थे। इसमें हुसैनाबाद के अलावा हैदरनगर, मोहमदगंज, अमीर नगर झरगड़ा, मांडर,रोहतास आदि जगहों से भी लोग जुलूस में शामिल होने आए थे। पहलाम के बाद लोगों ने सामूहिक रूप से देश की तरक्की और शांति की दुआ किया। इस उम्मीद के साथ की ज़िंदा रहे तो फिर अगले बरस रोने को आऊंगा मौला।

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