बोले पलामू-हैरत! पुल बना दिया, पहुंच पथ बनाना भूल गए
मेदिनीनगर नगर निगम के बजराहा क्षेत्र को चैनपुर के चेड़ाबार क्षेत्र से जोड़ने के लिए बना पुल उपयोग में आने से पहले ही जर्जर हो गया है। इससे रोजाना कई लोग दुर्घटना का शिकार बन रहे हैं। ग्रामीणों ने कई बार...

दस सालों में मेदिनीनगर नगर निगम के बजराहा क्षेत्र को चैनपुर के चेड़ाबार क्षेत्र को जोड़ने के लिए कोयल नदी पर निर्मित पुल पूरी तरह उपयोग में आने से पहले जर्जर हो गया है। दूसरी तरफ हाईलेबल पुल के दोनों तरफ पहुंच पथ कच्चा और उबड़-खाबड़ होने के कारण रोज आठ-दस लोग दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। इस पुल और सड़क से चैनपुर क्षेत्र के करीब 30 गांवों के लोग आवागमन करते हैं। बारिश होने या रात हो जाने पर लोग सुरक्षा की दृष्टि से शाहपुर पुल से आवागमन करते हैं जिससे दूरी बढ़ जाती है। हिन्दुस्तान अखबार के बोले पलामू कार्यक्रम में पुल से सटे चेड़ाबार और आसपास के ग्रामीणों ने खुलकर परेशानी को रखा। मेदिनीनगर। शहर के सुदना मोहल्ले में 20 फुटा आरओबी के पास स्टेट हाइवे को छोड़कर चैनपुर प्रखंड के चेड़ाबार, कटुअल, पूर्वडीहा, अयोध्या-कोल्हुआ आदि गांव के लोग कच्चे रास्ते से कोयल नदी के पुल पर पहुंचते हैं और उससे नदी पार कर पुन: कच्चे रास्ते से आगे बढ़कर पक्की सड़क पर पहुंचते हैं। इस क्रम में अक्सर उनकी बाइक फिसल जाती है जिससे वे दुर्घटना का शिकार बन जाते हैं।
चैनपुर अंचल के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में बसे गांव के लोग इस पुल के सहारे महज तीन किलोमीटर की दूरी तय कर शहर पहुंच जाते हैं जबकि शाहपुर के रास्ते उन्हे ढाईगुणा से ज्यादा लंबा सफर तय करना पड़ता है। संबंधित गांवों के ग्रामीणों का मेदिनीनगर तक सीधा पहुंच व सहज रास्ता सुलभ कराने के उद्देश्य से पथ निर्माण विभाग द्वारा वित्त वर्ष 2013-14 में प्रदेश के तत्कालीन मंत्री केएन त्रिपाठी के कार्यकाल में चेड़ाबार-बजराहा संपर्क मार्ग पर पुल का निर्माण कराया गया। मेदिनीनगर आने के लिए भारी फजीहत उठाने वाले लोगों ने सोचा कि अब उनकी मुश्किल निश्चित ही दूर हो जाएगी। किंतु कुछ ही समय के बाद पुल दरकना शुरू हो गया। जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता गया। पुल की स्थिति यह हो गई कि इससे गुजरने में राहगीरों को भय का आभास होने लगा। रही-सही कसर पुल को जोड़ने वाले खस्ताहाल संपर्क मार्ग ने पूरी कर दी। दुर्घटनाओं का ग्राफ बेतहाश बढ़ जाने के कारण ग्रामीण अब इस पुल से होकर गुजरने से भी कतराने लगे हैं। पुल के साथ सड़क की स्थिति यह हो गई है कि यहां से महज दो-तीन किमी की दूरी पर रहने वाले ग्रामीण भी 10 किमी दूर शाहपुर स्थित कोयल नदी पर निर्मित पुल से होकर मेदिनीनगर जाने के लिए विवश हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस संबंध में कई बार विभाग में शिकायत करने के बाद भी न तो रोड व पुल के मरम्मत के संबंध में कोई ध्यान दिया गया और न ही निर्माता कंपनी अथवा संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई ही की गई। निर्माण के समय भी गुणवत्ता को लेकर ग्रामीणों ने विरोध भी दर्ज कराया था। ग्रामीणों ने रोष जताते हुए कहा कि पुल व सड़क के निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई है। कुछ समय बाद न सिर्फ पुल बेकार हो गया। बल्कि पुल निर्माण के लिए दशकों संघर्ष करने वाले ग्रामीणों की मेहनत भी जाया चली गई। ग्रामीणों ने सोचा था कि अब व्यवसायिक गतिविधियां भी बढ़ जाएगी। इससे पिछड़े क्षेत्र के लोगों को भी मुख्य धारा में आने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। किंतु समय के पहले ही पुल क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण उनकी आशाएं धरी की धरी रह गईं। अब तो स्थिति यह हो गई है कि इस मार्ग पर जगह-जगह बड़े पत्थर पड़े होने के कारण पुल व मार्ग से आवागमन ही बंद हो गया है। मामला जन प्रतिनिधियों के संज्ञान में भी है। इसके बाद भी उनके स्तर पर भी कोई पहल नहीं किए जाने से ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी हुई है। शहर के बगल में रहने के बाद भी उनकी दूरी जिला मुख्यालय के कई गुना अधिक बनी हुई है। पता नहीं इस जनोपयोगी सड़क व पुल के मरम्मत व पुनर्निर्माण पर किसी का ध्यान क्यों नहीं जा रहा है। शाहपुर होकर जाने में अक्सर भीषण जाम से सामने होने के कारण न सिर्फ ग्रामीणों को ज्यादा समय लगता है। बल्कि कई बार परिजनों के गंभीर रूप से बीमार होने पर उन्हें समय से अस्पताल भी नहीं ले जा पाते हैं।
सांसद के प्रयास के बाद भी हो रहा विलंब
व्यापक जनहित से जुड़े इस पुल व सड़क के निर्माण को लेकर पलामू सांसद वीडी राम भी प्रयासरत हैं। इस संबंध में उन्होंने संबंधित विभाग के साथ प्रदेश सरकार का भी ध्यान आकृष्ट कराया है। इसके बाद भी पुल व सड़क के निर्माण में हो रहे विलंब से ग्रामीणों में मायूसी देखी जा रही है। व्यापक समस्या को देखते हुए ग्रामीण जल्द से जल्द पुल व सड़क का निर्माण कार्य शुरू होने की प्रतीक्षा में हैं। सरकार अगर समय रहते इस ओर ध्यान दे तो क्षेत्र के लोगों को बहुत बड़ी समस्या से निजात मिल सकेगी और वे बेवजह होनेवाली परेशानियों से बच सकेंगे।
शहर में प्रवेश का मिलता वैकल्पिक रास्ता
यदि इस पुल से होकर आवागमन सुचारू हो पाता तो शाहपुर कोयल नदी पुल के अलावा मेदिनीनगर नगर में प्रवेश का एक और वैकल्पिक रास्ता मिल जाता। इससे शाहपुर पुल पर लगने वाले भीषण जाम की समस्या से नागरिकों को निजात मिलती। बल्कि क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों को इसका सीधा लाभ मिलता। किंतु पुल के असय क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं। शाहपुर होकर जाने में अक्सर भीषण जाम से सामने होने के कारण न सिर्फ ग्रामीणों को ज्यादा समय लगता है। बल्कि कई बार मरीज को उसके परिजन समय से अस्पताल भी नहीं ले जा पाते हैं।
जिले की बड़ी आबादी को होता लाभ
ग्रामीणों का कहना है कि चेड़ाबार में पुल का निर्माण यह सोचकर किया गया था कि इससे न सिर्फ सुदूर ग्रामीण क्षेत्र का शहर से सीधा जुड़ाव हो जाता बल्कि समीपवर्ती सिंगरा, बजराहा, निमिया, सूदना, पथरा, रामपुर, पूर्वडीहा आदि गांवों का आपस में संपर्क भी सहज हो जाता। किंतु असमय पुल व सड़क के ध्वस्त हो जाने से सारी योजनाएं धरी की धरी रह गई। लोगों की इस समस्या पर अभीतक ध्यान नहीं दिया गया है।
बढ़ता गया दुर्घटनाओं का सिलसिला
पुल के साथ ही संपर्क मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण मार्ग पर दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। स्थिति यह है कि मार्ग पर प्रतिदिन कोई न कोई राहगीर अथवा वाहन चालक दुर्घटना का शिकार होते ही रहता है। कई बार लोग जानलेवा हादसे का भी शिकार हो चुके हैं। दुर्घटनाओं से भयभीत होकर धीरे-धीरे लोग इस मार्ग से होकर गुजरने से बचने लगे हैं। इस मार्ग पर आवाजाही कम होने से दूसरे रास्तों पर लोड बढ़ता जा रहा है जिससे उन मार्गों पर भी हादसों की आशंका बढ़ गई है।
शिकायतें और सुझाव
1. पुल क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण ग्रामीणों का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है। इससे उनकी परेशानी बढ़ गई है।
2. पुल व सड़क क्षतिग्रस्त होने के कारण क्षेत्र की व्यवसायिक गतिविधियां ठप हो गई हैं। इससे विकास अवरूद्ध है।
3. शाहपुर होकर शहर आने से समय और पैसा दोनों अधिक लगता है। कई बार तो ग्रामीण चाहकर भी शहर नहीं आ पाते
4. क्षतिग्रस्त सड़क के कारण दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं। क्षेत्र के कई लोग अपंग हो चुके हैं।
1. पुल और सड़क की तत्काल मरम्मत कराई जाए। इससे ग्रामीणों का जिला मुख्यालय से संपर्क स्थापित हो सकेगा।
2. पुल की मरम्मत कराकर आवागमन प्रारंभ कराया जाए। इससे व्यवसायिक गतिविधियां तेज होने लगेंगी।
3. जल्द से जल्द सड़क का अनुरक्षण कराया जाए जिससे ग्रामीणों के समय और धन की बर्बादी बच सके।
4. सख्त निगरानी में विभाग तत्काल पुल व सड़क का मरम्मत कार्य कराए।
इनकी भी सुनिए
चेड़ाबार कोयल पुल के पहुंच पथ के लिए एलायमेंट कर भूअर्जन की प्रक्रिया आगे बढ़ गई है जबकि रेलवे ओवरब्रिज निर्माण के लिए बोरिंग कर मिट्टी जांच की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है अगले वित्त वर्ष 2026-27 में काम शुरू होगा।
अनिल कुमार, ईई, पीडब्लूडी रोड, मेदिनीनगर
कई बार पुल व सड़क की मरम्मत को लेकर ग्रामीण जिला प्रशासन व जन प्रतिनिधियों से मिल चुके हैं। पर बात नहीं बनी। सांसद की पहल पर पहुंच पथ और सामने आरओबी बनाने की पहल शुरू हुई थी परंतु इस दिशा में अभी भी कोई काम शुरू नहीं हो सका है।
अक्षय सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता
पुल जब बना था तब ग्रामीण खुश थे। किंतु जल्द ही पुल में लगे राड बाहर निकलने लगे। अब तो पुल से होकर आवागमन भी मुश्किल हो गया है। अक्सर हादसे होते हैं। रामजनम सिंह
पुल क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण क्षेत्र के हजारों ग्रामीण संकट में आ गए हैं। इस संबंध में सरकार को तत्काल गंभीरता पूर्वक कदम उठाने चाहिए।
बलिराम सिंह
पुल और सड़क काफी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस मार्ग से आना-जाना ग्रामीण छोड़ चुके हैं। उनके पास कोई रास्ता नहीं।
बुद्धनाथ सिंह
पुल बनने से शहर में प्रवेश का एक और रास्ता मिल जाता। किंतु कुछ ही दिनों में पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण समस्या फिर से जस की तस हो गई है। लोग परेशान हैं। ज्ञानी सिंह
इस पुल से आवागमन जारी रहने से शाहपुर पर नियमित रूप से लगने वाले जाम की समस्या से राहत मिल जाती। जनहित में पुल व सड़क का मरम्मत जरूरी है। पुरूषोत्तम सिंह
एक तो सरकारी पैसे का जमकर दुरूपयोग किया गया। ऊपर से बार-बार कहने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
अमित कुमार सिंह
सड़क क्षतिग्रस्त होने सेबच्चों को इधर से भेजने में भी डर लगता है। आए दिन दुर्घटनाएं होने से ग्रामीणों को भारी क्षति उठानी पड़ी है। लोग असहाय हो चुके हैं।
कौशल किशोर सिंह
पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण परिजनों के बीमार हो जाने पर उन्हें शहर ले जाने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है।
हुसैन अंसारी
ग्रामीणों ने वर्षों संघर्ष करने के बाद पुल का निर्माण कराया गया था। किंतु जल्द ही इसके ध्वस्त हो जाने के कारण पुन: पूर्व की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सच्चिदानंद राम
पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण ग्रामीणों का शहर से संपर्क कट गया है। ध्यान दिलाने के बाद भी कोई पहल नहीं होने से वे खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
संपत सिंह
इतनी जल्दी पुल का क्षतिग्रस्त होना गंभीर लापरवाही है। इस संबंध में तत्काल जांच कराकर दोषी अधिकारी व संवेदक के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मनोहर सिंह
पुल क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों की परेशानी काफी बढ़ गई है। शासन-प्रशासन के साथ जन प्रतिनिधियों को भी इस दिशा में तत्काल पहल करनी चाहिए। कामाख्या सिंह
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